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निजी स्कूलों में आग से बचाव के लिए लगाए गए हैं स्प्रिंकलर सिस्टम, स्टाफ और बच्चों को भी देते हैं प्रशिक्षण...होती है मॉकड्रिल

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Published : Feb 14, 2021, 11:02 PM IST

कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने के बाद आखिरकार प्रदेशभर में स्कूल खोल दिए गए हैं. पहले कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए और फिर बाद में कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए भी स्कूल खोल दिए गए हैं. लंबे समय तक बंद रहने के बाद स्कूल खुले तो ईटीवी भारत ने निजी स्कूलों में आग से सुरक्षा के मद्देनजर किए गए उपायों का जायजा लिया. ऐसे में देखा गया कि कई निजी स्कूलों में अग्निशमन की आधुनिक तकनीक प्रयोग में ली जा रही हैं और स्टाफ के साथ ही बच्चों को भी आपातकालीन व्यवस्था से निपटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. देखिए खास रिपोर्ट.

fire prevention measures in private schools, जयपुर के स्कूलों में अग्निशमन व्यवस्था
निजी स्कूलों में आग से बचाव के इंतजाम

जयपुर. कोरोना काल में करीब 10 महीने तक बंद रहने के बाद आखिरकार स्कूल खोल दिए गए हैं. फिलहाल कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को ही स्कूल बुलाया जा रहा है, लेकिन करीब 11 महीने बाद स्कूल खुलने के कारण निजी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को लेकर फिर से समीक्षा हो रही है. ऐसे में निजी स्कूलों में आग से बचाव के लिए अग्निशमन के इंतजामों का जायजा लिया. राजधानी जयपुर के स्कूलों में अग्निशमन की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने के साथ ही स्कूल स्टाफ के साथ बच्चों को भी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

निजी स्कूलों में आग से बचाव के इंतजाम

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निजी स्कूलों में स्टाफ, अभिभावकों और शिक्षकों के वाहनों की पार्किंग व्यवस्था बेसमेंट में ही होती है. ऐसे में बेसमेंट में बनी पार्किंग में ऐसे किसी अनहोनी से निपटने के लिए वहां स्प्रिंकलर सिस्टम लगाए गए हैं. रामबाग सर्किल स्थित सुबोध स्कूल के बेसमेंट में बनी पार्किंग में इस तरह व्यवस्था की गई है कि यहां कमोबेश हर गाड़ी को स्प्रिंकलर सिस्टम से कवर किया गया है, ताकि कोई भी अनहोनी होने पर कम समय में इस पर काबू पाया जा सके. इसके लिए हर कोने को स्प्रिंकलर सिस्टम से कवर किया गया है. इसके साथ ही स्कूल में जगह-जगह फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं.

इसके अलावा एक बड़ा पानी का टैंक बनाया गया है और उसे पाइप के माध्यम से स्कूल भवन के हर कोने में पहुंचने वाले संयंत्र से जोड़ा गया है. ताकि किसी भी अनहोनी के समय जल्द आग पर काबू पाया जा सके. इसके साथ ही जगह-जगह एक मैप भी लगाया है जिसमें आग लगने पर काम में लिए जाने वाले आपातकालीन निकास और फायर फाइटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी दी गई है, ताकि इसकी सहायता से आसानी से बिल्डिंग के बाहर तक पहुंचा जा सके.

आग से सुरक्षा के इंतजाम

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जगह-जगह बनाए गए हैं फायर एक्जिट

सुबोध स्कूल के क्राइसिस मैनेजमेंट के डॉ. संजय पाराशर ने बताया कि स्कूल भवन में जगह-जगह फायर एक्सिट बनाए गए हैं. इसके साथ ही फायर एक्सटिंग्विशर लगे हुए हैं. समय-समय पर उन्हें ऑपरेट करने के लिए स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाता है. टीचर्स और विद्यार्थियों को भी बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही मॉकड्रिल्स भी करवाई जाती है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए बच्चों और स्कूल स्टाफ को तैयार रखा जा सके. इसके साथ ही क्लास मॉनिटर्स और क्लास हेड्स को उनको भी समय-समय पर इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि अग्निशमन यंत्रों को किस तरह उपयोग में लिया जा सकता है. साथ ही बच्चों को एक एसओपी जारी कर दी जाती है.

उन्होंने बताया कि जब भी कोई बड़ा कार्यक्रम होता है तो उसमें प्रभारी बना दिए जाते हैं. उन्हें एसओपी के माध्यम से यह बताया जाता है कि किसी भी प्रकार की कोई अनहोनी होती है तो किन रास्तों का इस्तेमाल करना है. आमतौर पर ऐसे में बच्चों, अभिभावकों और स्टाफ के लिए अलग-अलग रास्ते रखे जाते हैं ताकि भगदड़ की संभावना नहीं रहे. यह सब बातें पहले से बताई जाती है.

टीचर्स और स्टाफ को भी दी जाती है ट्रेनिंग

इसके साथ ही सरकार की ओर से जब भी कोई दिशा-निर्देश या गाइड लाइन मिलती है तो जिला अग्निशमन अधिकारी का सहयोग लेकर उनका अनुपालन सुनिश्चित किया जाता है. वहां से आने वाली टीम टीचर्स और स्टाफ को ट्रेनिंग देती है और हम समय-समय पर अपने आप को अपडेट भी करते रहते हैं. इसके साथ ही अग्निशमन का आधुनिक सिस्टम काम में लिया जा रहा है और आपातकालीन हालात की जानकारी देने के लिए फायर अलार्म की भी व्यवस्था की गई है.

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सहायक अग्निशमन अधिकारी राजेन्द्र सिंह नागर का कहना है नगर निगम जयपुर की फायर शाखा की ओर से समय-समय पर अभियान चलाया जाता है और स्कूलों में जाकर बच्चों को आग से बचाव के तरीके भी सिखाए जाते हैं. ऐसे हालात में क्या सावधानियां रखने रहती है, किस रास्ते से सुरक्षित निकल सकते हैं और बिल्डिंग से बाहर निकलते समय भी क्या-क्या सावधानियां रखनी होती है.

एग्जिट प्लान बनाना भी बताया जाता है

स्कूल मैनेजमेंट को भी बताया जाता है कि एग्जिट प्लान किस तरह से बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि किसी भी स्कूल के संचालन के लिए फायर एनओसी लेनी जरूरी होती है. फायर एनओसी के लिए जो भी दस्तावेज चाहिए उनकी जानकारी भी निजी स्कूलों को दी जाती है. अगर स्कूल संचालकों की ओर से फायर एनओसी के लिए आवेदन में कुछ कमियां पाई जाती हैं तो उनके निराकरण के बारे में भी बताया जाता है. अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि निगम क्षेत्र में स्कूल संचालकों को फायर एनओसी के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है, जबकि निगम क्षेत्र से बाहर स्कूल है तो संचालक को ऑफलाइन आवेदन करना होगा.

सहायक अग्निशमन अधिकारी राजेन्द्र सिंह नागर ने बताया कि नियमित रूप से अग्निशमन की व्यवस्था का निरीक्षण भी किया जाता है. इसके साथ ही सीबीएसई स्कूलों ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है कि यदि फायर एनओसी नहीं है तो उन्हें स्कूल संचालन की अनुमति नहीं मिल सकती है. हम यह देखते हैं कि वहां पानी इकट्ठा करने के लिए स्टोरेज टैंक है या नहीं. इसके साथ ही राइजर व अन्य व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण में जायजा लिया जाता है कि वह काम कर रहे हैं या नहीं, हौज रील और एक्सटिंग्विशर की व्यवस्थाओं की भी जांच की जाती है. इसके बाद ही फायर एनओसी जारी की जाती है.

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