बीकानेर: पश्चिमी राजस्थान की लाइफ लाइन (Life Line) कही जाने वाली इंदिरा गांधी नहर (Indira Gandhi Canal) का जिक्र पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खूब किया गया. ट्रेंड चलाया गया #नहर_में_जहर. शोर की वजह था वो गंदा पानी. इस गंदे पानी में जो कैमिकल्स घुले रहते हैं वो बीमारियों का सबब बन रहे हैं. खतरा कैंसर का भी है.
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स्वास्थ्य से खिलवाड़ पर सरकार मौन
पंजाब के फैक्ट्रियों के दूषित पानी की बात कई बार उठी और नहर से आ रहे काले पानी (Dirty Water) से जनजीवन आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का मुद्दा भी उठा. राजनीतिक रूप से सरकारों के स्तर पर इस बात को कई बार रखा गया, लेकिन आज तक उसका समाधान नहीं निकला. सरकारें मौन हैं.
नहर में फैक्ट्रियों के दूषित काले पानी के घुलने का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा ऐसा Experts मानते हैं. दरअसल, यह चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि नहर से आसपास के भूजल में भी इस तरह के केमिकल्स मिले हैं जिनसे कैंसर और दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.
लंबे वक्त तक सेवन से होगा नुकसान
बीकानेर के पॉलिटेक्निक कॉलेज के रसायन विज्ञान के व्याख्याता डॉ आलोक व्यास और उनके सहयोगियों ने बीकानेर की लूणकरणसर (Loonkaransar) और आसपास के क्षेत्रों में भूजल शोध (Ground Water Research) के शुरुआती चरण कुछ तथ्य सामने आए हैं. डराता है. बताते हैं कि भूजल में कुछ केमिकल इस तरह से मिले हैं नीचे कैंसर और दूसरी बीमारियों का खतरा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक इस पानी का सेवन करने से पशुओं और इंसानों में इस तरह की बीमारी होने का खतरा है हालांकि उनका कहना है कि हमारी शोध के चरण में बारिश से पहले और बारिश के बाद अध्ययन को शामिल किया जाएगा. बारिश के पहले चरण को हमने किया है और अब अगले चरण की बारी है.
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