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Bharatpur Big News : साधु-संतों का धरना समाप्त, 15 दिन में वन क्षेत्र घोषित व 2 माह में हो जाएगी वैध खदानों की शिफ्टिंग...

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Published : Jul 20, 2022, 8:57 PM IST

Updated : Jul 20, 2022, 10:45 PM IST

भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र के आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में अवैध खनन बंद करने की मांग को लेकर चल रहा धरना-प्रदर्शन बुधवार को (Saints Strike Ended in Bharatpur) समाप्त हो गया. पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने साधु-संतों को उक्त क्षेत्र को 15 दिन में वन क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन दिया है. विश्वेंद्र सिंह के इसी आश्वासन के साथ साधु-संतों ने आंदोलन समाप्त कर दिया.

Tourism Minister Vishvendra Singh with Saints in Bharatpur
साधु-संतों के साथ पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह

भरतपुर.मंत्री विश्वेंद्र सिंह से वार्ता के बाद साधु-संतों का धरना समाप्त हो गया है. पर्यटन मंत्री ने उक्त क्षेत्र को 15 दिन में वन क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन दिया है. बुधवार शाम को विश्वेंद्र सिंह, जिला कलेक्टर आलोक रंजन और अन्य प्रशासनिक अधिकारी (Bharatpur Collector Alok Ranjan on Protest) धरना स्थल पासोपा पहुंचे. यहां पर पर्यटन मंत्री ने सभी साधु-संतों से समझाइश की. वहीं, जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने सरकारी आदेश को सभी साधु-संतों और ग्रामीणों के समक्ष पढ़कर सुनाया.

कलेक्टर रंजन ने सरकार के निर्देश पर जारी किए गए आदेशों को पढ़कर (Saints Movement Against Illegal Mining) सुनाया कि 15 दिन में आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र को सीमांकित कर वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी. सरकार आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में संचालित वैध खदानों को अन्य स्थान पर पुनर्वासित करने की योजना बनाएगी. जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि राजस्थान सरकार अपने देवस्थान विभाग, पर्यटन और वन विभाग से विचार विमर्श करेगी, ताकि इस पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके.

भरतपुर कलेक्टर आलोक रंजन ने क्या कहा, सुनिए...

आलोक रंजन ने बताया कि यह समस्त कार्य राज्य सरकार द्वारा 2 माह में पूरे कर लिए जाएंगे. जिला कलेक्टर द्वारा राज्य सरकार के निर्देश पर आदेश पढ़ने के बाद सभी साधु-संतों ने धरना समाप्त कर दिया. उधर आरबीएम जिला अस्पताल में से झुलसे हुए बाबा (Baba Vijay Das Set Himself on Fire in Bharatpur) विजायदास को जयपुर रेफर कर दिया. अस्पताल पीएमओ डॉ. जिज्ञासा साहनी ने बताया कि अस्पताल में बर्न आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से उन्हें बेहतर उपचार के लिए जयपुर रेफर किया गया है.

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आत्मदाह के प्रयास में घायल साधु से मिले पूनिया, वसुंधरा बोलीं- घटना के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार : कामां क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ चल रहे साधु-संतों के आंदोलन और संत विजय दास के आत्मदाह का प्रयास करने के मामले में प्रदेश की सियासत भड़क गई है. गंभीर रूप से घायल संत विजय दास को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया, जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पहुंच कर चिकित्सकों से उनकी कुशलक्षेम जानी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस पूरी घटनाक्रम के लिए गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष SMS अस्पताल की बर्न यूनिट में बुधवार रात (BJP Targets Gehlot Government) पहुंचे और चिकित्सकों से संत विजय दास के स्वास्थ्य को लेकर जानकारी ली. बताया जा रहा है कि आत्मदाह के प्रयास में संत विजय दास गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है. पूनिया के साथ भाजपा प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा और महापौर सौम्या गुर्जर भी घायल संत से मिलने अस्पताल पहुंची.

ये कैसी विडंबना, रोक के बावजूद हो रहा अवैध खनन : वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने भी अवैध खनन के खिलाफ चल रहे साधु-संतों के आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. वसुंधरा राजे ने कहा कि उदयपुर के बाद फिर बृज के कामां क्षेत्र में अशोक गहलोत सरकार की घोर लापरवाही सामने आई है. राजे ने कहा कि अवैध खनन को बंद करवाने की मांग पर राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया, जिसके परिणाम स्वरूप एक संत ने आत्मदाह का प्रयास किया.

घटना के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार

वसुंधरा राजे ने अपने बयान में यह भी कहा कि यह कैसी विडंबना है कि रोक के बाद भी वहां अवैध खनन हो रहा है और साधु-संतों को अपनी आवाज उठानी पड़ रही है. राजे ने कहा कि यदि गहलोत सरकार इस विषय को गंभीरता से लेती तो आज ये स्थिति नहीं बनती. राजे ने इस पूरी घटनाक्रम के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

संत द्वारा आत्मदाह का प्रयास गहलोत सरकार के माथे पर कलंक : प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने इस घटना को गहलोत सरकार के माथे पर कलंक करार दिया. राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि 551 दिन से क्षेत्र में साधु-संत आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन चीर निद्रा में सोई प्रदेश सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी. राठौड़ ने कहा कि कनकांचल और आदिबद्री पर्वत धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, जहां लंबे समय से खनन का विरोध हो रहा है. लेकिन साधु-संतों की चेतावनी के बावजूद प्रशासन नहीं चेता और ना ही सकारात्मक वार्ता करके आंदोलन को खत्म कराया गया.

Last Updated : Jul 20, 2022, 10:45 PM IST

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