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ST-6 की कहानी : सरिस्का की टेरिटरी में दहशत थी इस बाघ की..पूंछ और पैर में घाव के बाद एंक्लोजर में वक्त काट रहा बूढ़ा बाघ

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Published : Oct 13, 2021, 7:15 PM IST

सरिस्का टाइगर रिजर्व ST-6
सरिस्का टाइगर रिजर्व ST-6 ()

जब यह बाघ रणथंभोर में था तब घूमते हुए मथुरा और भरतपुर तक जा पहुंचा था. रणथंभोर में एक वन अधिकारी को घायल कर चुका था. इसे सरिस्का शिफ्ट किया तो अपनी टेरिटरी के लिए इसने दूसरे बाघों में खौफ कायम किया. लेकिन पूंछ और पैर में हुए घाव ने इसे एंक्लोजर में समेट दिया. अब यह बाघ बूढ़ा हो चुका है.

अलवर. जंगल का राजा बाघ सरिस्का में एक साल से पिंजरे में कैद है. 14 साल का उम्र दराज बाघ अपनी बची हुई जिंदगी पिंजरे में बिताएगा. एक साल पहले बाघ एसटी-6 की पूंछ के ऊपरी हिस्से पर जख्म हो गया था. उसमें कीड़े पड़ गए थे. इसकी जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम ने उसको ट्रेंकुलाइज किया. डॉक्टरों ने उसका इलाज किया और उसको एंक्लोजर में छोड़ दिया.

ये घाव कुछ हद तक ठीक हुआ कि उसके पैरों में चोट लग गई. इसके बाद उसे बाघ को एनक्लोजर में बंद कर दिया गया है. डॉक्टरों की टीम उसका इलाज कर रही है. बाघ की उम्र 14 साल से अधिक हो चुकी है. आमतौर पर मेल बाघ की उम्र 12 साल से 15 साल के बीच होती है. प्रदेश में अकेला सरिस्का नहीं है, जहां बाघ पिंजरे में बंद हों. इसके अलावा रणथंभोर और मुकंदरा टाइगर रिजर्व में भी बाघ एनक्लोजर में बंद हैं.

सरिस्का में एंक्लोजर में है टाइगर

रणथंभोर में किया वन अधिकरी पर हमला

सरिस्का में एक साल से पिंजरे में बंद बाघ एसटी-6 को रणथंभोर से सरिस्का में शिफ्ट किया गया था. रणथंभोर में इसने एक वन अधिकारी पर हमला कर दिया था. सरिस्का में आने के बाद भी बाघ का टेरिटरी को लेकर कई बाघों से संघर्ष हुआ. एक बार बाघ एसटी-6 धौलपुर तक चला गया था. लेकिन वापस सरिस्का के जंगलों में लौट कर आ गया. इसके बाद बाघ की पूंछ के पास एक घाव हो गया था. डॉक्टरों की टीम ने ट्रेंकुलाइज करके उसका इलाज किया व बाघ को एंक्लोजर में छोड़ दिया.

घाव होने के बाद एंक्लोजर में

इलाज के बाद उसके पैरों में घाव हो गया. इसलिए बाघ एनक्लोजर में बंद है. वन अधिकारियों ने कहा कि बाघ की उम्र हो चुकी है, ऐसे में साफ है कि अपनी बची हुई उम्र बाघ एंक्लोजर में बिताएगा. एनक्लोजर में बंद बाघ के खाने की व्यवस्था वन विभाग की टीम की तरफ से की जाती है. बाघ के लिए जानवर का मास पिंजरे में डाला जाता है. साथ ही डॉक्टरों की टीम भी जांच पड़ताल करती है. वन विभाग के अधिकारी 24 घंटे इस पर नजर रखते हैं.

बाघ एसटी-6

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कई बाघों को रखा गया एंक्लोजर में

प्रदेश में अकेले सरिस्का में बाघ एंक्लोजर में बंद नहीं है. इसके अलावा मुकुंदरा में बाघिन एमटी-4 एक साल से एंक्लोजर में बंद है. इस बाघिन की उम्र करीब 8 साल है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उस क्षेत्र में मेल बाघ नहीं है. इसकी सुरक्षा के लिहाज से इसको एंक्लोजर में रखा गया है. जिस एंक्लोजर में बघिन को रखा है, उसकी लंबाई चौड़ाई काफी कम है. ऐसे में बाघिन को रहने में खासी दिक्कत होती है. इसी तरह से रणथंभोर टाइगर रिजर्व में बाघ चीकू टी-104 दो साल से एंक्लोजर में बंद है. इसकी उम्र करीब 5 साल है. इसने तीन लोगों पर टेरिटरी में अटैक कर दिया था. जिसके बाद से उसको एंक्लोजर में रखा गया है. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी पर नजर रखी जाती है. इनको भोजन उपलब्ध कराने सहित अन्य कार्य भी वन विभाग की टीम करती है.

लंबे समय तक किया जंगल में राज

बाघ एसटी-6 शुरू से ही स्वभाव से हमलावर रहा है. पहले रणथंभोर से निकलकर मथुरा, धौलपुर व भरतपुर तक पहुंच चुका है. वहीं रणथंभोर में वन अधिकारी समेत कई लोगों को हमले में घायल कर चुका है. सरिस्का में टेरिटरी को लेकर हुए संघर्ष में बाघ एसटी-4 को गंभीर घायल कर चुका है. संघर्ष में घायल होने के बाद बाघ एसटी-4 की मौत हो गई. इसके अलावा बाघ एसटी-6 टेरिटरी के संघर्ष में बाघ एसटी-15 को भी टहला रेंज में खदेड़ चुका है. इसके अलावा भी कई अन्य बाघों को भी वापस लौटने को मजबूर कर चुका है.

बाघ एसटी-6

हर 15 दिन में होती है जांच

बाघ एसटी 6 सरिस्का का सबसे उम्रदराज बाघ है. बाघ की पूंछ के ऊपरी हिस्से पर जख्म हो गया था. इसका पता अक्टूबर 2020 महीने में लगा था. डॉक्टरों ने बाघ का इलाज किया, लेकिन सुधार नहीं हुआ. बाद में 8 नवंबर 2020 को बाघ को बेहोश कर घाव की ड्रेसिंग की. उस समय भी कीड़े पड़ गए थे. इसके बाघ को सरिस्का में बने एनक्लोजर में है. डॉक्टरों की टीम 15 दिनों में बाघ की जांच पड़ताल करती है.

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