अलवर. अलवर, दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बड़ी चुनौती है. हर साल अक्टूबर महीने के बाद एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर घुल जाता है. इसके लिए पराली जलाने से लेकर सड़कों पर दौड़ते वाहनों से निकलने वाला धुआं भी जिम्मेदार रहा है. हालांकि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में ईंट-भट्टों भी जिम्मेदार हैं. ऐसे में ईंट भट्टा के नियम सख्त किए गए हैं. हाल ही में एनजीटी ने नियमों में कुछ बदलाव किया गया (NGT changes rules of running brick kilns) है. इसका असर सभी भट्टा संचालकों पर पड़ेगा. नए नियमों से भट्टा संचालकों की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है.
एनजीटी के नए नियमों के (New rules for brick kilns) अनुसार अलवर सहित एनसीआर के शहरों में ईंट भट्टों का संचालन केवल चार माह होगा. मार्च से संचालन शुरू होगा और जून में बंद हो जाएगा. अभी तक भट्टों का संचालन 8 माह होता है. बारिश के समय में भट्टे बंद रहते हैं. एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि वायु प्रदूषण फैलाने वाले व पुरानी तकनीक से संचालित होने वाले ईंट भट्टे नहीं चलेंगे. वैध ईंधन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी, जिगजैग तकनीक अपनाने वाले ईंट भट्टे मार्च से जून 2022 तक संचालित होंगे. इसके अलावा एनजीटी ने 2024 तक सभी ईंट भट्टों को हाईड्रा तकनीक से संचालित करने के निर्देश दिए हैं. ईंट भट्टा आबादी क्षेत्र से एक किलोमीटर दूर होना चाहिए.
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एनजीटी के अनुसार ईंट भट्टा की चिमनी 30 हजार प्रतिदिन से कम ईंट बनाने वालों की ऊंचाई 14 मीटर, इसमें लोडिंग प्लेटफार्म से कम से कम 7.5 मीटर, जबकि 30 व उससे ज्यादा ईंट बनाने वाले भट्टों की चिमनी की ऊंचाई 16 मीटर व लोडिंग प्लेटफार्म से कम से कम 8.5 मीटर ऊंची होगी. पाइप पोर्ट हाल से चार से पांच इंची चौड़ा हो और भट्टों के चारों और हरित पट्टी अनिवार्य रूप से लगाई जाए. 8 से 10 फीट ऊंची भट्टा की बाउंड्रीवाल होगी.
छिड़काव के लिए टैंकर रखने के साथ कच्चा माल त्रिपाल से ढककर लाना होगा. इसके अलावा ईंट भट्टे से निकलने वाली राह का उपयोग की ईंट भट्टे के अंदर ही ईंट बनाने में काम में लेना होगा. ईंट भट्टों में अभी तक नियमों की पालना नहीं हो रही है. इस पर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नए नियमों के अनुसार भट्टों का संचालन होगा. जो नियमों का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.