अलवर. वैसे तो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा देश के अलग-अलग शहरों में निकलती है, लेकिन अलवर की रथ यात्रा सबसे अलग रहती है. अलवर में भगवान जगन्नाथ और जानकी जी का विवाह होता है. विवाह की सारी रस्में होती है. तीन दिनों तक मेला भरता है. अलवर के अलावा आसपास के राज्यों के शहरों से लाखों लोग भगवान जगन्नाथ और जानकी जी के दर्शन के लिए आते हैं.
मेले के दूसरे दिन रविवार को पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से माता जानकी जी की सवारी निकली, जो रूपबास स्थित मेला स्थल पर पहुंची. रात को भगवान जगन्नाथ जानकी जी के विवाह की रस में हुई. भगवान जगन्नाथ ने जानकी जी के साथ सात फेरे लिए. इस दौरान हजारों लोगों ने मां जानकी जी का कन्यादान किया. जगन्नाथ मेले के दौरान होने वाले यह कार्यक्रम अलवर के सबसे बड़े स्थानीय कार्यक्रम के रूप में मनाए जाते हैं.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का इतिहास दौ सौ साल पुराना: अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और मेले का ढाई सौ साल पुराना इतिहास है. भगवान जगन्नाथ का अलवर में विवाह होता है. यह कार्यक्रम देश में सबसे अलग है. अन्य जगहों पर केवल रथ यात्रा निकलती है. भगवान जगन्नाथ के विवाह के रस्म 15 दिनों तक चलती है 3 दिनों तक रूपवास में मेला भरता है शहर के पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकली. उसके 1 दिन बाद रविवार को माता जानकी जी की सुबह जगन्नाथ मंदिर से यात्रा रवाना हुई. जो दोपहर बाद मेला स्थल स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर पहुंची. रात को विवाह की रस में हुई भगवान जगन्नाथ ने माता जानकी जी के साथ सात फेरे लिए इस दौरान विवाह में शामिल हुए हजारों लोगों ने कन्यादान किया भगवान जगन्नाथ पर जानकी जी का विवाह देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.