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अजमेरः देश का एकमात्र मंदिर जहां मां के नौ रूपों का होता है दर्शन, आशीष पाने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

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Published : Oct 25, 2020, 6:05 PM IST

अजमेर में एक ऐसा मंदिर है जहां माता के नौ स्वरूपों का दर्शन एक ही स्थान पर हो जाते हैं. स्थानीय लोग इसे नौसर माता के नाम से जानते हैं. नवरात्र में शक्ति की उपासना माता के भक्तों ने की है. माता के नौ स्वरूपों की प्रतिदिन आराधना की जाती है. नौसर माता मंदिर कई समाज की कुलदेवी हैं. साल में दो बार नवरात्र में यहां मेला सा लगता है. माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान है.

नौसर माता मंदिर, Nausar Mata Temple
अजमेर का नौसर माता मंदिर

अजमेर. शक्ति की उपासना के पर्व के रूप में नवरात्र का त्यौहार मनाया जाता है. देश में माता के हजारों मंदिर होंगे जहां माता की एक या दो स्वरूपों में पूजा की जाती है, लेकिन आज हम आपको माता के एक ऐसे मंदिर का दर्शन करवाएंगे जहां माता के नौ स्वरूपों की पूजा एक ही जगह पर. नवदुर्गा का यह मंदिर अजमेर की नाग पहाड़ी के मुख पर स्थित है. स्थानीय लोग इसे नौसर माता के नाम से जानते हैं. नवरात्रा में शक्ति की उपासना माता के भक्तों ने की है. माता के नौ स्वरूपों की प्रतिदिन आराधना की जाती है.

अजमेर का नौसर माता मंदिर

देश में एक भी ऐसा मंदिर नहीं है जहां माता के नौ स्वरूपों के एक साथ दर्शन होते हैं. अजमेर में नौसर घाटी स्थित नौसर माता मंदिर में माता के नौ स्वरूपों के दर्शन एक साथ एक ही जगह पर मिलते हैं. मंदिर के बारे में पदम पुराण में उल्लेख है कि पुष्कर में सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगत पिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान किया था. दानवों से यज्ञ की रक्षा के लिए माता ने अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख्य पर प्रकट हुई थी. तब से माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान है.

रूपों में होते है माता के दर्शन

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किंवदंती है कि मुगल काल में औरंगजेब ने जब हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया था तब माता के इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था. मंदिर को औरंगजेब की सेना ने तोड़ दिया, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाले प्रतिमाओं को वह नुकसान नहीं पहुंचा पाए, उसके बाद मराठा काल में मंदिर की पुनः स्थापना की गई. लंबे समय से रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण शीर्ण होता गया. उसके बाद 130 साल बाद पूर्व संत बुध करण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.

माता के दरबार धोक लगाते भक्त

खास बात यह है कि पहाड़ी के आसपास कोई जलाशय नहीं था. ऐसे में संत बुध करण के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था. तब माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मंदिर के नीचे विशाल पत्थर है जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा. ऐसा ही हुआ वह कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि उस कुंड में कभी पानी नहीं सूखता.

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नौसर माता मंदिर कई समाज की कुलदेवी है. साल में दो बार नवरात्र में यहां मेला सा लगा रहता है. आसपास के ग्रामीणों में नौसर वाली माता ही उनके लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. नौसर माता में भक्तों की प्रगाढ़ आस्था है. यही वजह है कि इस बार नवरात्रा में मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भले ही कमी रही है लेकिन माता के भक्तों में माता के प्रति आस्था में कोई कमी नही आई है.

पहाड़ों पर विराजी माता नौसर

लोगों को यकीन है कि माता उनके बिगड़े काम संवार देती है. इस दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता. सदियों से मंदिर में विराजी नौसर माता के दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग नवरात्री में दर्शनों के लिए आते हैं. लोग माता से मुरादे मांगते है और नौ स्वरूपों में माता अपने भक्तों का कल्याण करती है.

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