अजमेर.महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में चल रहे रिश्वत के खेल की पहली शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भीलवाड़ा के एक निजी कॉलेज के संचालक ने की थी. जिसके बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय कुलपति और उनके आसपास सक्रिय लोग एसीबी की नजरों में थे. एसीबी लगभग तीन से चार महीनों से नजर बनाकर रख रही थी और मौके का इंतजार किया जा रहा था.
एसीबी महानिदेशक आलोक त्रिपाठी के अनुसार भीलवाड़ा के एक कॉलेज संचालक ने हाल ही 15 जून को शिकायत में बताया कि उनकी शिक्षा समिति बदनोर की संबद्धता के लिए निर्धारित शुल्क 70 हजार रुपए सहित आवेदन पत्र अजमेर विश्वविद्यालय में पेश किया गया था. 48 कॉलेज शिक्षा के सत्र 2019- 20 के लिए अस्थाई अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति भी साथ प्रस्तुत की वहीं कुलपति को मान्यता देने के लिए फाइल भेज दी थी. जिसके बाद 25 मई को रंजीत नाम के एक व्यक्ति का मोबाइल पर फोन आया और मिलने के लिए बुलाया गया, जहां अगले दिन रंजीत से मिला तो उसने बताया कि फाइल पर कुलपति की स्वीकृति के लिए 2 लाख रुपये लगेंगे.
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उसके बाद काफी समय से कुलपति का निजी सुरक्षा गार्ड रणजीत एसीबी के रडार पर था और एसीबी भी लगातार उसे फॉलो कर रही थी. वह इसी दौरान नागौर के इंजीनियर राहुल मिर्धा मेमोरियल कॉलेज में परीक्षा केंद्र आवंटन के लिए कान्हा कॉलेज मेड़ता सिटी के महिपाल सिंह चौधरी के रणजीत ने कुलपति के लिए 5 लाख की रिश्वत मांगी थी. वहीं जिसके बाद 3 लाख में सौदा तय किया गया. सोमवार को कुलपति के निवास पर महिपाल सिंह को 2 लाख 20 हजार रुपए की रिश्वत देते रंजीत को रिश्वत की राशि लेते गिरफ्तार किया गया.
कुलपति को किया देर रात गिरफ्तार