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यहां शतक लगाने के करीब डीजल, जानिए कैसे बढ़ी किसानों की मुसीबत?

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Published : Apr 1, 2022, 3:49 PM IST

शहडोल के किसान इन दिनों चिंता में हैं. पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों ने उनकी मुश्किलों को बढ़ा दिया है. रबी सीजन की फसल कटाई का समय है और तेल के दामों में वृद्धि ने किसानों का बजट बिगाड़ दिया है. कटाई-गहाई और ढुलाई का पूरा काम मशीनों से होने की वजह से लागत बढ़ गई है.

Farmers upset due to increase in petrol diesel prices
पेट्रोल डीजल कीमतें बढ़ने से किसान परेशान

शहडोल। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का असर आम जनता पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही साथ अब किसानों के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. क्योंकि रबी सीजन की फसल तैयार है, ऐसे में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों ने किसानों के लिए बड़ी समस्या पैदा कर दी है. क्योंकि अब किसानों की खेती की लागत और बढ़ जाएगी और इस बात को लेकर किसान चिंतित हैं.

पेट्रोल-डीजल के दाम: शहडोल में 29 मार्च को पेट्रोल जहां ₹114.87 पैसे प्रति लीटर की दर से बिका, तो वहीं डीजल की कीमत ₹98.03 प्रति लीटर पहुंच गई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो डीजल की कीमत शतक लगाने के करीब है. दिन-प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि देखने को मिल रही है. जिस तरह से हर दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उसे देखकर यही लग रहा है कि यह गति अभी नहीं रुकने वाली है. आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के दाम और बढ़ने की संभावना है.

किसानों की बढ़ी मुसीबत: पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों की वजह से अब किसानों की भी मुसीबत बढ़ गई है. क्योंकि जिस तरह से डीजल शतक लगाने के करीब पहुंच गया है, उसके बाद किसान अब चिंतित है. क्योंकि रबी सीजन की फसल पककर तैयार है, शहडोल में सबसे ज्यादा बड़े रकबे में गेहूं की खेती रबी सीजन में की जाती है. अब गेहूं की फसल लगभग लगभग हर किसान के खेत में पक कर तैयार है, मतलब अब कटाई-गहाई और ढुलाई का काम शुरू होगा. लेकिन इसी समय पर डीजल के बढ़ते दामों ने किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है.

पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ी

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ज्यादा लागत आने से किसान परेशान: किसानों का कहना है कि किसी कदर उन्होंने फसल तो तैयार कर ली है, लागत भी बहुत लगी है. वैसे भी रबी सीजन में लागत ज्यादा लगती है, क्योंकि सिंचाई के लिए पेट्रोल और डीजल की जरूरत होती है. अब जब खेत में फसल पककर तैयार है, तो डीजल के दाम एक बार फिर से बढ़ गए हैं और इसी समय फसल की कटाई और गहाई और ढुलाई का काम होना है, इससे हर किसी का रेट बढ़ जाएगा और लागत और लागत ज्यादा आएगी. किसानों का कहना है कि वह बेबस और लाचार हैं, एक ओर सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ा रही है वहीं दूसरी ओर किसान लगातार घाटे में जाता जा रहा है.

खेती के लिए मशीनों पर आश्रित किसान: शहडोल भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन बदलते वक्त के साथ यहां भी बहुत कुछ बदला है. अब यहां खेती ज्यादातर किसान मशीनों से खेती करते हैं. हल से खेती करने वाले किसानों की संख्या बहुत कम बची है, वैसे भी रबी सीजन की खेती जो भी किसान करते हैं, वह ज्यादातर मशीनों से ही करते हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दामों के घटने-बढ़ने का असर सीधे सीधे किसानों की लागत पर भी पड़ता है.

सब्सिडी में मिले डीजल: डीजल के बढ़ते दाम और किसानों की मुसीबत को लेकर कृषि एक्सपर्ट्स और किसान नेताओं का मानना है कि अचानक डीजल के दाम बढ़ जाने से किसानों की मुसीबत बढ़ जाती है. क्योंकि किसान एक निश्चित अमाउंट खर्च करता है और लागत लगाकर फसल तैयार करता है. लेकिन जब अचानक ही डीजल के दाम बढ़ जाते हैं, तो किसान की मुश्किल बढ़ जाती है. क्योंकि उसका सीधा असर बजट पर पड़ता है.

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