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बटन मशरूम की खेतीः कुछ ही महीनों में कमा सकते हैं लाखों, जानें युवा किसान कैसे बदल रहे अपनी किस्मत

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Published : Mar 9, 2022, 11:16 AM IST

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शहडोल में बटन मशरूम की खेती ()

शहडोल के युवा किसान लालबाबू सिंह सेंगर ने पारंपरिक खेती से अलग हटकर बटन मशरूम की खेती शुरू की. जिससे उनको काफी मुनाफा हो रहा है. अब वो दूसरे युवाओं को भी बटन मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

शहडोल।अगर आप कुछ अलग करना चाहते हैं, कम समय में ही ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं तो बटन मशरूम की खेती आपके लिए फायदेमंद हो सकती है. बटन मशरूम की डिमांड इन दिनों बहुत ज्यादा है और इसकी खेती बहुत कम लोग करते हैं. ऐसे में अगर आप बटन मशरूम की खेती करते हैं तो महज कुछ ही महीने में लाखों कमा सकते हैं और इससे भी बड़ी बात की इसके लिए बहुत बड़े रकबे की जरूरत भी नहीं होती है, बस थोड़ी सी जमीन पर ही इसकी खेती की जा सकती है और 2 गुना लाभ कमाया जा सकता है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट में जानें कि कैसे शहडोल जिले का युवा ग्रामीण किसान बटन मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं.

शहडोल में बटन मशरूम की खेती
पहले साल ही लागत का डेढ़ गुना मुनाफा
जिले के छोटे से गांव भमरहा के रहने वाले युवा किसान लालबाबू सिंह सेंगर कुछ साल पहले तक गेहूं, धान और सब्जियों की फसल ही लगाया करते थे लेकिन कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने ऑस्टर मशरूम की खेती करनी शुरू की. युवा किसान बताते हैं कि बटन मशरूम में टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी का गेम ज्यादा होता है, क्योंकि इसकी देखरेख ज्यादा करनी होती है. पहले ही साल में उन्हें बटन मशरूम की खेती से लागत का डेढ़ गुना फायदा हुआ है. उम्मीद है कि अगली बार 2 से 4 गुना तक फायदा हो सकता है, क्योंकि पहली बार में उन्हें इसके बारे में बहुत कुछ पता नहीं था.
पहले साल ही लागत का डेढ़ गुना मुनाफा

कुछ ही महीने में कमा सकते हैं लाखों
लालबाबू सिंह सेंगर का कहना है कि बटन मशरूम की खेती संभाग में कोई नहीं कर रहा, वो पहले युवा किसान हैं जो इसकी खेती कर रहे हैं. अपने अनुभव के आधार पर कहा कि बाजार में बटन मशरूम कि जिस तरह से डिमांड है, अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो कुछ ही महीने में लाखों रुपए भी कमाए जा सकते हैं. युवा किसान ने बताया कि बटन मशरूम की खेती में अगर रेडीमेड कम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं तो एक महीने बाद ही फसल निकलने लगेगी, और दो महीने तक मशरूम होंगे. एक थैले से दो किलो तक मशरूम निकल जाता है. जबकि एक थैला तैयार करने में करीब 200 से 250 रुपये तक का खर्च आता है.

कुछ ही महीने में कमा सकते हैं लाखों
फसल के बाद में कम्पोस्ट खाद के तौर पर इस्तेमाल
मशरूम की खेती के बाद जो कंपोस्ट बचता है, उससे बहुत अच्छा खाद बन जाता है. यह फसल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. मिट्टी को उपजाऊ बनाता है. लालबाबू ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए उन्होंने कंपोस्ट कानपुर से लाए, जबकि इसके बीज राजस्थान के उदयपुर से मंगवाया. 3 महीनों से मशरूम की खेती में जुटे युवा किसान की मानें तो ये उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है.
युवा किसान अब दूसरों को देते हैं ट्रेनिंग
मार्केट में बटन मशरूम की डिमांड
बटन मशरूम की अच्छी डिमांड है. लोगों को ताजा मशरूम पसंद आ रहे हैं. लाल बाबू की मानें तो उनके पास जितनी डिमांड आई, उतना माल नहीं होने के कारण सप्लाई नहीं कर पाएं. अब वो इसकी खेती का विस्तार करने की सोच रहे हैं. युवा किसान इसकी होम डिलीवरी भी करते हैं और ₹300 किलो इसे घर पर पहुंचाते हैं. घरों के साथ-साथ होटल्स, शादी-पार्टियों में भी इसकी मांग पहले से ज्यादा बढ़ी है. स्वाद के साथ-साथ ये सेहत के लिए भी अच्छा है.

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दूसरों को देते हैं ट्रेनिंग
लालबाबू सिंह सेंगर ने बताया कि पहले तो वो ऑस्टर मशरूम की खेती करते थे और अब बटन मशरूम की भी खेती शुरू कर दी है. साथ ही वह दूसरों को भी मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इतना ही नहीं जो युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं उन्हें सपोर्ट करने के लिए लालबाबू सिंह कहते हैं कि अगर उनका उत्पाद नहीं बिकता है तो वो मशरूम को सुखाने के बाद उसे ₹500 प्रति किलो की दर से खरीद लेते हैं, जिससे उनकी लागत निकल जाए और फिर वो उसे ड्राई करके या पाउडर बना कर के बेचते हैं.

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