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MP News Sawan 2022: यहां स्थापित है 1500 साल पुराना शिवलिंग, लेकिन कर सकते हैं सिर्फ दर्शन, पूजा-अभिषेक की है मनाही

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Published : Jul 14, 2022, 1:57 PM IST

shiv temple where worshiping not allowed
सती शिवलिंग सागर

Etv Bharat, सावन में आपको एक से बढकर एक शिव मंदिरों के दर्शन करा रहा है. इनके महात्म को बता रहा है. मगर इन सबके बीच आपको आज एक ऐसे शिवलिंग और मंदिर के दर्शन कराएंगे जहां की ऐतिहासिक मान्यता तो है लेकिन इस जगह पर आप ना तो जलाभिषेक कर सकते हैं ना ही किसी किस्म का पूजन अर्चन. ना तो आपको शिवलिंग के स्पर्श की अनुमति है और ना ही यहां आप बैठकर धूनी रमा सकते हैं. आप दूर से दर्शन कर इसे अपने जेहन में बसा सकते हैं और सावन में शिव शंभू का आशिर्वाद जरुर ले सकते हैं. (Shivling found in Bina) (sagar sawan shivlinga darshan) (shiv temple where worshiping not allowed)

सागर। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है. श्रद्धालु और भक्त पूरे महीने भर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं. देश में अलग-अलग जगह भगवान शिव के विशाल मंदिर और मूर्तियां हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसी जगह है, जहां दुनिया की 4000 साल पुरानी नगरीय सभ्यता निवास करती थी. वहां पर 1500 साल पुराना शिवलिंग स्थापित किया गया है. बस भक्तों को निराशा इस बात की हो सकती है कि यह अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ना तो हाथ से स्पर्श करने की अनुमति है और ना ही भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं. (eran sagar madhya pradesh shiv temple) (sawan shiv temples)

सागर में शिवलिंग जिसकी पूजा नहीं होती

दुनिया के प्राचीन नगरीय सभ्यता वाले ऐरण में स्थापित है प्राचीन शिवलिंग: मध्य प्रदेश में सागर के बीना तहसील से 15 किमी दूर दुनिया के प्राचीन नगरों में से एक नगर एरन बसा हुआ था. यहां 4 हजार साल पुरानी नगरीय सभ्यता के अवशेष मिले हैं. वही 1512 साल पुराना शिवलिंग मिला है. इस शिवलिंग का सीधा संपर्क भारत की पहली सती होने वाली महिला से है. भारत के इतिहास में सती होने का जो पहला प्रमाण मिला है, वह एरन के पहलेजपुर गांव में मिला है. जहां एरन के सेनापति के निधन के बाद उनकी पत्नी सती हो गई थीं और उनके सती होने के बाद शिवलिंग स्थापित किया गया था.

देश की पहली सती और शिवलिंग:भारतीय इतिहास के गुप्त काल में एरन से लगे पहलेजपुर गांव में शिवलिंग स्थापित किया गया था. इस शिवलिंग का संबंध हमारे देश के इतिहास की पहली सती होने वाली महिला से है. दरअसल 510 ईसवी में गुप्तकालीन शासक राजा भानु राज के सेनापति गोप राज युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उनकी पत्नी गोपाबाई एरन रियासत के पहलेजपुर गांव में बीना नदी के किनारे उनकी चिता पर सती हुई थी और फिर उनकी याद में ये शिवलिंग स्थापित किया गया था.

मिट्टी में दब गया शिवलिंग मिला 18वीं शताब्दी में:गोपीबाई की सती होने वाले स्थान पर 510 ईसवी में स्थापित किया गया शिवलिंग कालांतर में मिट्टी में दब गया. कई सालों तक मिट्टी में दबे रहने के बाद 1874 और 1877 के बीच भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के अनुसार कनिंघम द्वारा शिवलिंग को खोजा गया था. शिवलिंग की ऊंचाई 5 फीट 2 इंच, व्यास 4.8 फीट है. जलहरी का घेराव 4.6 फीट है और लंबाई 6.4 फीट है. शिवलिंग के सामने नंदी भी बैठे हैं. (shiv temple where worshiping not allowed)

नंदी का ऐतिहासिक स्वरुप

बीना नदी के किनारे 70 सालों से खेत में पड़ा था शिवलिंग:इस शिवलिंग को भले ही 143 साल पहले खुदाई में फिर हासिल कर लिया गया था. लेकिन पिछले 70 सालों से यह बीना नदी के किनारे एक खेत में पड़ा हुआ था. इस मामले में जबलपुर मंडल के पुरातत्व विभाग के अधीक्षक शिव कांत बाजपेई का कहना है कि शिवलिंग को मूल स्वरूप में फिर से उसी स्थान पर स्थापित किया गया है, जहां पहले स्थापित था. 70 साल पहले शिवलिंग गिर गया था, तब से जमीन में पड़ा था. विभाग लंबे समय से शिवलिंग को मूल स्वरूप में लाने के प्रयास कर रहा था.

सिर्फ दर्शन लाभ ले सकेंगे श्रद्धालु,पूजा-अभिषेक की नहीं अनुमति:अपने मूल स्वरूप में अपने मूल स्थान पर भले ही स्थापित कर दिया गया हो, लेकिन भगवान शिव के श्रद्धालुओं को यह बात दुखी कर सकती है कि सावन के महीने में वह 1500 साल पुराने शिवलिंग के दर्शन तो कर सकते हैं. लेकिन ना उनकी पूजा कर सकते हैं और ना ही अभिषेक कर सकते हैं. इसके पीछे कारण है कि यह एक ऐतिहासिक पुरासंपदा है जो देश की धरोहर है और इसकी देखभाल ASI के हवाले है. (jyotirlinga darshan in sawan 2022) (shivlinga under ASI custody in mp )

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