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रेफर सेंटर बना गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, डॉक्टरों की गैरमौजूदगी पड़ी घायल बच्ची पर भारी

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Published : Jul 28, 2020, 6:06 PM IST

नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाए गया स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएं ही लोगों को नहीं मिल पा रही है, कभी डॉक्टर तो कभी स्टॉफ की कमी से मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है, जिससे लोगों को परेशान होना पड़ता है और समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता.

Narsinghpur news
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नरसिंहपुर।जिले के गोटेगांव स्वास्थ्य केंद्र का भवन आलीशान बना हुआ है. बाहर से देखने पर मालूम होता है कि सामुदायिक सेंटरों पर बेहतर इलाज उपलब्ध होता होगा, लेकिन अंदर अव्यवस्थाओं का पिटारा देखने मिलता है. ब्लॉक स्तर पर स्थित इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाएं ठप हो गई हैं. लोगों के इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लाखों रुपए खर्च किया जा रहा है, इसके बावजूद स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति चिंताजनक है. मरीजों के यहां पहुंचने पर अधिकांश मरीजों को प्राथमिक इलाज करके जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है, ऐसे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नाम मात्र का रह गया है.

ग्रामीणों को बेहतर और समय पर इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ब्लॉक मुख्यालय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को स्थापित किया गया है. जहां हर साल नई सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए लाखों रुपए व्यय किए जाते हैं. लेकिन डॉक्टरों की कमी इन सुविधाओं पर पानी फेर रही है. कई बार लोगों को मामूली से इलाज के लिए अस्पताल में परेशानी उठानी पड़ती है, लोगों को इलाज न मिलने पर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है.

कई बार लोगों की झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से जान तक चली गई. झोलाछाप से इलाज कराने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ही लाया जाता है, लेकिन यहां बेहतर इलाज के अभाव में और डॉक्टरों की कमी के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. सीएचसी सेंटरों पर विभिन्न समस्याओं के चलते लोगों को बुखार, जुकाम, पेट दर्द, सिर दर्द जैसी आम बीमारी के इलाज के लिए भी जिला अस्पताल जाना पड़ रहा है.

लोगों का मानना है कि सीएचसी सेंटर पर बेहतर इलाज नहीं मिलता, इससे गरीब तबका सबसे ज्यादा परेशान हो रहा है. गोटेगांव के आजाद वार्ड में एक आठ वर्षीय बच्ची अपने घर के सामने गिर गई, जिसकी वजह से उसके सर में काफी गहरी चोट हो गई, परिजन उसे तत्काल गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां पर करीब आधे घंटे तक डॉक्टरों के इंतजार के बाद भी कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं हुआ और आखिर में नर्स ने बच्ची को जिला अस्पताल रेफर कर दिया

ऐसे में तत्काल इलाज के लिए परिजन मजबूरन बच्ची को गोटेगांव के प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां बच्ची का इलाज किया गया, लेकिन परिवार जनों का कहना है कि गोटेगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और नर्सों की मनमानी के कारण सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाता है, जिससे आम लोग यहां वहां के प्राइवेट अस्पतालों में भटकते रहते हैं.

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