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मंडला में 17 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार, पुनर्वास केंद्रों में नहीं है इलाज के लिए जगह

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Published : Jul 4, 2019, 3:07 PM IST

जिले के पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को इलाज कराने की जगह तक नहीं मिल रही है. समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चों की हालत और खराब हो जाती है.

पुनर्वास केंद्रों में नहीं है इलाज के लिए जगह

मंडला। जिले के ग्रामीण इलाकों में कई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, तो वहीं सरकार केवल दावे करने में ही व्यस्त है. यहां तक कि पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को इलाज कराने की जगह तक नहीं मिल रही है. वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चों की हालत और खराब हो जाती है.

पुनर्वास केंद्रों में नहीं है इलाज के लिए जगह

जिले में शून्य से 5 साल के कुल 85 हजार 456 कुपोषित बच्चे सर्वे के हिसाब से दर्ज हैं. इनमें से 250 बच्चों को छोड़कर सभी का वजन महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कराया गया. इस दौरान कम वजन या कुपोषित 14 हजार 446 बच्चे सामने आए. इसके अलावा ऐसे बच्चों के भी आंकड़े हैं, जो विभाग की योजनाओं पर सवाल खड़े करने वाले हैं. जिले में कुपोषित बच्चों के अलावा 1,290 ऐसे बच्चे हैं, जो अति कुपोषित की श्रेणी में आते हैं.

इस आंकड़े को देखा जाए, तो जिले में 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, वहीं 2 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित हैं. वहीं सभी पोषण पुनर्वास केन्द्रों में एक साथ कुल 120 बच्चों को ही भर्ती कराया जा सकता है, जबकि केन्द्रों में क्षमता के मुकाबले 425 बच्चों को भर्ती कराया गया है.


वहीं इसे लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र मण्डला की रश्मि वर्मा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी इसकी मुख्य वजह है. वहीं महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि हर बच्चे पर नजर रखी जाती है और कुपोषण के शिकार बच्चों का फॉलोअप भी लिया जाता है.


बीते तीन माह में कुपोषण के मामलेः-
अप्रैल-108
मई-146
जून-171

Intro:मण्डला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण का कहर इतना ज्यादा है कि पोषण पुनर्वास केन्द्रों में कुपोषित बच्चों के लिए जगह तक नहीं बच रही ऐसे में जब तक दूसरे बच्चों का नंबर आता है तब तक उसकी हालत और खराब हो जाती है


Body:मण्डला के 0 से 5 साल के कुल 85 हज़ार 456 सर्वे के हिसाब से दर्ज हैं जिनमें से 250 बच्चों को छोड़ कर सभी का बजन महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कराया गया इस दौरान कम वजन या कुपोषण के शिकार 14 हज़ार 446 बच्चे सामने आए जिनका प्रतिशत 17 है इस संख्या के अलावा ऐसे बच्चों के भी आंकड़े हैं जो इस विभाग की योजनाओं पर सवाल खड़े करने वाले हैं वो 1290 ऐसे बच्चे जो अति कुपोषित की श्रेणी में आते हैं,इस आंकड़े की यदि प्रतिशत में बात की जाए तो 100 में से 17% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं वहीं 2 बच्चे अति कुपोषित हैं,जो कि जिले के लिए चिंता का विषय है,अब अगर बात करें पोषण पुनर्वास केन्द्रों की छमता की तो जिले के अलग अलग केन्द्रों में कुल मिला कर एक साथ 120 बच्चे ही भर्ती कराए जा सकते हैं जबकि कुपोषित बच्चों की ज्यादा संख्या को देखते हुए बैड छमता के विरुद्ध 425 बच्चों को भर्ती कराया गया जिनका प्रतिशत 118 है और बीते तीन माह के आंकड़ो से यह आसानी से समझा जा सकता है कि कुपोषण का जिले में कितना कोप है,-
अप्रैल माह में 108,मई माह में 146 और जून माह में 171 कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए



Conclusion:जिले में कुपोषण के लगातार सामने आ रहे मामलों पर पोषण पुनर्वास केंद्र मण्डला की रश्मि वर्मा का कहना है ग्रामीण क्षेत्रो में जागरूकता की कमी इसकी मुख्य वजह है वहीं महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है की हर बच्चे पर नजर रखी जाती है और कुपोषण के शिकार बच्चों का फॉलोअप भी लिया जाता है,ऐसे में सवाल यही रह जाता है कि क्या बजह है जो कुपोषण का कोप मण्डला जिले को झेलना पड़ रहा

बाईट--रश्मि वर्मा पोषण पुनर्वास केंद्र मण्डला
बाईट--प्रशांत दीप ठाकुर, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी

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