भोपाल। भारतीय जनता पार्टी बड़वाह विधानसभा सीट पर जीत की हैट्रिक बना चुकी है. लेकिन पिछली बार जब बीजेपी यहां से हारी तो उसे उम्मीद नहीं थी, क्योंकि तैयारी बड़ी थी. बीजेपी ने खरगोन जिले की तीन सीट के प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन इस सीट से नहीं किया है. समस्या यह है कि विधानसभा रिकार्ड के अनुसार जो सचिन बिरला यहां से विधायक हैं, उनकी पार्टी अभी भी कांग्रेस ही है, लेकिन वे बीते उपचुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं. सचिन बिरला पिछले विधानसभा चुनाव में बड़वाह विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. वे मूलत: जिले के बेड़िया से सटे डूडगांव के निवासी हैं और किसान परिवार से संबंध रखते हैं.
बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर का मुकाबला: 24 अक्टूबर 2021 को सचिन बिरला ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में भाजपा ज्वाइन कर ली थी और तब से ही वे भाजपा का काम कर रहे हैं. खैर बात करते हैं बड़वाह विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव की तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला टक्कर का रहा. तब कांग्रेस के सचिन बिड़ला को चुनाव में 57 फीसदी यानी 96,230 वोट मिले और उन्होंने 3 बार के विधायक और बीजेपी के प्रत्याशी हितेंद्र सिंह सोलंकी को 30,508 के बड़े अंतर से चुनाव हराया. यदि इसी सीट के सामाजिक और आर्थिक पक्ष की बात करें तो नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर मिर्च उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. इस सीट पर गुर्जर, राजपूत और पाटीदार वर्ग का दबदबा माना जाता है.
विधानसभा का चुनावी इतिहास:वर्ष 1957 में पहली बार बड़वाह सीट पर विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस ने वीरेंद्र सिंह मोती सिंह को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने यह चुनाव 6713 वोट से जीत लिया. इस चुनाव में दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सिवा रहे थे. 1962 के चुनाव में तो निर्दलीय प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की. बालभद्र सिंह राणा भवानी सिंह नामक प्रत्याशी ने 5460 वोट से जीत दर्ज करके विधायक हासिल की थी. इस चुनाव में कांग्रेस की माया सिंह जताले दूसरे नंबर पर रही. लेकिन निर्दलीय का यह जलवा तीसरे चुनाव से गायब हो गया. 1967 में सीधा मुकाबला कांग्रेस के ए. मन्नालाल और भारतीय जनसंघ के आर. दिलीप सिंह के बीच हुआ. इसमें कांग्रेस के मन्नालाल ने जनसंघ के उम्मीदवार दिलीप सिंह काे 2479 वोटों से शिकस्त दी. 1972 के विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इस बार कांग्रेस प्रत्याशी अमोलकचंद छाजेड़ ने भारतीय जनसंघ के विमलचंद जैन को 14675 वोटों से करारी शिकस्त दी. उस समय कांग्रेस की यह बड़ी जीत थी.