1874 में पहली बार जबलपुर में खेला गया स्नूकर, आज भी सुरक्षित है पहली स्नूकर टेबल
विश्व प्रसिद्ध स्नूकर का खेल पहली बार मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में खेला गया था. शहर के नर्मदा क्लब में जिस टेबल पर स्नूकर पहली बार खेला गया था वह टेबल आज भी सही सलामत रखी हुई है.
पहली बार जबलपुर में खेला गया स्नूकर
जबलपुर। खेल प्रेमियों के बीच स्नूकर खेल की खास लोकप्रियता है. यह खेल पहली बार जबलपुर में खेला गया था. आज भी जिस टेबल पर स्नूकर पहली बार खेला गया था वह टेबल शहर के नर्मदा क्लब में सही सलामत रखी हुई है.
Intro:स्नूकर नाम के खेल का जन्म जबलपुर में हुआ था आज भी जबलपुर के नर्मदा क्लब में उसी तरीके से खेला जाता है स्नूकर जिस टेबल पर पहली बार स्नूकर हुआ था वह जबलपुर के नाम द क्लब में सही सलामत हालत में
Body: जबलपुर कई मामले में दुनिया भर में अपनी खास पहचान रखता है अध्यात्म के जानने वाले कई लोग जबलपुर से निकले जिन्होंने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई लेकिन बहुत ही कम लोगों को जानकारी है कि स्नूकर नाम का खेल का जन्म भी जबलपुर में ही हुआ था बाद में यह जबलपुर से निकलकर पूरी दुनिया में खेला गया और आज एक करोड़ से ज्यादा लोग स्नूकर को पसंद करते हैं
जबलपुर ब्रिटिश आर्मी का एक बड़ा सेंटर था 18 74 मैं ब्रिटिश आर्मी के एक अफसर नेबल चैंबर्लेन की जबलपुर पोस्टिंग हुई थी जबलपुर में उन दिनों एक ऑफिसर्स क्लब था जिसमें सेना के और पुलिस के अधिकारी मनोरंजन के लिए आया करते थे यहां मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध थे लॉन टेनिस बैडमिंटन बिलियर्ड्स और कई उच्च वर्गीय खेल खेले जाते थे डांसिंग फ्लोर था खाने पीने के रेस्त्रां थे यही अधिकारी बिलियर्ड्स खेला करते थे लेकिन नौजवान चैंबर्लेन को यह पुराना खेल पसंद नहीं था उन्होंने इसमें कुछ नया करने की का मन बनाया और गेंदों को स्नूक करके होल में डालने की एक नई तकनीक विकसित की इसमें सामान्य विलियर्स के नियम लागू नहीं होते थे और अलग-अलग रंग की गेंदों को डालने पर खिलाड़ी को अलग-अलग अंक मिला करते थे स्नूकर मतलब होता है धोखा देकर या चकमा देकर निकलना तो यह कहना है बाकी बॉल्स को चकमा देकर होल तक पहुंचते हैं इसलिए इसे स्नूकर कहा जाता है धीरे-धीरे यह खेल और विकसित हुआ और लोगों को पसंद आया चैंबर्लेन का जबलपुर से ट्रांसफर हो गया और वहीं जहां जहां भी गए उन्होंने इस खेल को आगे बढ़ाया लेकिन जबलपुर में 18 सो 75 से आज तक नर्मदा क्लब में यह खेल आज भी बदस्तूर जारी है और खिलाड़ी इस खेल को खेलते हैं जिस टेबल पर यह पहली बार खेला गया था वह टेबल सही सलामत हालत में क्लब में रखी हुई है और अब भी उस पर या खेल खेला जाता है हालांकि पहले हाथी दांत की बॉल से स्नूकर खेला जाता था बिजली के साधन नहीं थे तो लालटेन की रोशनी की जाती थी लेकिन समय के अनुसार यह सारी चीजें बदल गई लेकिन खेल नहीं बदला
अंग्रेजों के जाने के बाद नर्मदा क्लब जबलपुर की धनाढ्य लोगों का क्लब बन गया आज जबलपुर की डेढ़ हजार से ज्यादा रईस इस क्लब के सदस्य हैं जबलपुर नर्मदा क्लब के सदस्य इस बात पर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि दुनिया का एक बेहतरीन खेल पहली बार जबलपुर में जिस टेबल पर खेला गया था आज भी उस टेबल पर खेलते हैं क्लब के मैनेजर का कहना है कि वे समय-समय पर स्टेबल की मरम्मत करवाते हैं और इस ऐतिहासिक टेबल को सहेजने संभालने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते
Conclusion:बाइक मिस्टर थापा मैनेजर नर्मदा क्लब
बाइ बलवंत राव स्नूकर के खिलाड़ी
Body: जबलपुर कई मामले में दुनिया भर में अपनी खास पहचान रखता है अध्यात्म के जानने वाले कई लोग जबलपुर से निकले जिन्होंने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई लेकिन बहुत ही कम लोगों को जानकारी है कि स्नूकर नाम का खेल का जन्म भी जबलपुर में ही हुआ था बाद में यह जबलपुर से निकलकर पूरी दुनिया में खेला गया और आज एक करोड़ से ज्यादा लोग स्नूकर को पसंद करते हैं
जबलपुर ब्रिटिश आर्मी का एक बड़ा सेंटर था 18 74 मैं ब्रिटिश आर्मी के एक अफसर नेबल चैंबर्लेन की जबलपुर पोस्टिंग हुई थी जबलपुर में उन दिनों एक ऑफिसर्स क्लब था जिसमें सेना के और पुलिस के अधिकारी मनोरंजन के लिए आया करते थे यहां मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध थे लॉन टेनिस बैडमिंटन बिलियर्ड्स और कई उच्च वर्गीय खेल खेले जाते थे डांसिंग फ्लोर था खाने पीने के रेस्त्रां थे यही अधिकारी बिलियर्ड्स खेला करते थे लेकिन नौजवान चैंबर्लेन को यह पुराना खेल पसंद नहीं था उन्होंने इसमें कुछ नया करने की का मन बनाया और गेंदों को स्नूक करके होल में डालने की एक नई तकनीक विकसित की इसमें सामान्य विलियर्स के नियम लागू नहीं होते थे और अलग-अलग रंग की गेंदों को डालने पर खिलाड़ी को अलग-अलग अंक मिला करते थे स्नूकर मतलब होता है धोखा देकर या चकमा देकर निकलना तो यह कहना है बाकी बॉल्स को चकमा देकर होल तक पहुंचते हैं इसलिए इसे स्नूकर कहा जाता है धीरे-धीरे यह खेल और विकसित हुआ और लोगों को पसंद आया चैंबर्लेन का जबलपुर से ट्रांसफर हो गया और वहीं जहां जहां भी गए उन्होंने इस खेल को आगे बढ़ाया लेकिन जबलपुर में 18 सो 75 से आज तक नर्मदा क्लब में यह खेल आज भी बदस्तूर जारी है और खिलाड़ी इस खेल को खेलते हैं जिस टेबल पर यह पहली बार खेला गया था वह टेबल सही सलामत हालत में क्लब में रखी हुई है और अब भी उस पर या खेल खेला जाता है हालांकि पहले हाथी दांत की बॉल से स्नूकर खेला जाता था बिजली के साधन नहीं थे तो लालटेन की रोशनी की जाती थी लेकिन समय के अनुसार यह सारी चीजें बदल गई लेकिन खेल नहीं बदला
अंग्रेजों के जाने के बाद नर्मदा क्लब जबलपुर की धनाढ्य लोगों का क्लब बन गया आज जबलपुर की डेढ़ हजार से ज्यादा रईस इस क्लब के सदस्य हैं जबलपुर नर्मदा क्लब के सदस्य इस बात पर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि दुनिया का एक बेहतरीन खेल पहली बार जबलपुर में जिस टेबल पर खेला गया था आज भी उस टेबल पर खेलते हैं क्लब के मैनेजर का कहना है कि वे समय-समय पर स्टेबल की मरम्मत करवाते हैं और इस ऐतिहासिक टेबल को सहेजने संभालने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते
Conclusion:बाइक मिस्टर थापा मैनेजर नर्मदा क्लब
बाइ बलवंत राव स्नूकर के खिलाड़ी