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MP 100 Crore Scam: हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा बेलवाल के खिलाफ क्या हुई कार्रवाई

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Published : Jan 20, 2023, 10:54 PM IST

मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत किए गए 100 करोड़ के घाेटाले में हाईकोर्ट ने एमपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. अदालत ने नोटिस जारी कर सरकार से पूछा है कि मिशन के निदेशक ललित मोहन बेलवाल पर अब तक क्या एक्शन लिया गया है. इस घोटाले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 फरवरी तय की है.

MP 100 Crore Scam
हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

जबलपुर।राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 100 करोड़ के घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. नोटिस में उसने सरकार से पूछा है कि मिशन डायरेक्टर ललित मोहन बेलवाल पर अब तक क्या कार्रवाई की गई. मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को तय की गई है. सरकार को इस तारीख के पहले अपना जवाब पेश करना है. दरअसल आजीविका मिशन में एक साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए थे. जिसमें जांच के बाद आजीविका मिशन के प्रदेश प्रमुख ललित मोहन बेलवाल को दोषी बनाते हुए कार्रवाई की मांग की अनुशंसा की गई थी. जब उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मामला कोर्ट में पहुंच गया.

सरकार ने नियम विरुद्ध कर दी थी बेलवाल की नियुक्तिः दरअसल आजीविका मिशन में प्रमुख के पद पर किसी सीनियर आईएएस को नियुक्त करने का प्रावधान है. मध्य प्रदेश सरकार ने नियम विरुद्ध इसमें एक रिटायर्ड IFS ललित मोहन बेलवाल को संविदा के आधार नियुक्ति कर दिया था.जिसके बाद बेलवाल द्वारा अपनी एक चाहेती महिला कर्मचारी की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियम विरुद्ध राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट मैनजर के पद पर नियुक्त कर दी गई थी. इसके बाद शुरू हुआ था घोटाले का खेल. बेलवाल ने सबसे पहले प्रदेश के लाखों स्व सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं का बीमा कराने के नाम पर प्रत्येक सदस्य से 300 रुपए प्रतिवर्ष वसूल किए. इस राशि के बदले संबंधित व्यक्ति को न तो समूह के नाम से पॉलिसी दी गई न ही किसी को क्लेम.

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बीमा कंपनी में जमा नहीं की गई करोड़ों की राशिः बीमा के नाम पर जमा की गई करोड़ों की राशि किसी भी बीमा संस्थान में जमा ही नहीं की गई. आज तक उस राशि का कोई अता-पता नहीं है. इसके बाद प्रत्येक समूह के लिए अगरबत्ती बनाने की हजारों की संख्या में खरीदी गई. मशीनों के नाम पर भी खेल खेला गया. मशीनो की सप्लाई का ठेका बेलवाल द्वारा एक दलाल को दिया गया. जिसे प्रत्येक मशीन का एक से दो लाख तक का भुगतान संबंधित स्व सहायता समूहों पर दबाव बनाकर करवाया गया. जबकि उक्त मशीन की वास्तविक कीमत मात्र तीस से चालीस हजार रुपए है. इस संबंध में जिन कर्मचारियों ने शिकायत की उनको बेलवाल ने नौकरी से निकाल दिया. जिन समूहों ने लिखित शिकायतें की उन सभी की बेलबाल ने स्वयं जांच करके उन्हें खत्म कर दिया गया. उन समूहों के सदस्यों के विरुद्ध बेलवाल ने झूठे आरोप लगाकर कार्यवाही की गई.

स्कूली ड्रेस पर भी हुई थी बंदरबांटःइसके बाद प्रदेश के 22 जिलों में स्कूली बच्चों के ड्रेस के नाम पर बंदरबांट किया गया. कपड़ा व्यापारियों को ठेका देकर 200/- रु. मूल्य की ड्रेस के 800/-रु. का भुगतान करावाया गया. उक्त संबंध में कई जिला कलेक्ट्रों ने जांच करके संबंधित दोषियों के विरुद्ध तथा डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजरो के खिलाफ FIR करने तथा सेवाएं समाप्त किए जाने की अनुशंसा की गई, लेकिन आजीविका के प्रदेश प्रमुख बेलवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसी प्रकार मिशन में 300 से ज्यादा कर्मचारियों की सीधी भर्ती करने के लिए एक बाहर की एजेंसी को अधिकृत किया गया. जिसे लगभग 30 लाख का भुगतान भी किया गया. इस एजेंसी द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की सूची आजीविका मिशन को सौंपी गई थी. उक्त चयनित अध्यर्थियों में से जिन्होंने बेलबाल को पैसा दिया, केवल उनके ही नियुक्तियां की गई तथा शेष पदों पर बेलवाल ने स्वयं अभ्यर्थियों को चयनित करके नियुक्तियां कर दीं गई.

भूपेंद्र प्रजापित ने की थी शिकायतः व्हिसिल ब्लोअर भूपेंद्र प्रजापति ने दस्तावेजों सहित शासन को शिकायत की थी. जिसकी जांच सीनियर आईएएस नेहा मराव्या ने की थी. नेहा मराव्या ने शिकायत को प्रमाणित पाते हुए 2600 पेज की जांच रिपोर्ट सहित 57 पेज का प्रतिवेदन राज्य शासन को कार्रवाई के लिए भेजा था. नेहा मराव्या द्वारा आईएएस प्रियंका दास, ललित मोहन बेलवाल, सुषमा रानी शुक्ला सहित, हैदराबाद के एक बड़े अधिकारी तथा 5 अन्य अधिकारियों के विरुद्ध भारतीय दंड सहिता की धारा 420,467,468,469,472,406,409 120-बी तथा भ्रष्टाचार निवारण नियंत्रण अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही करने की अनुशंसा की गई थी. लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. सतना से भजापा विधायक नारायण त्रिपाठी ने सदन में ध्यानकर्षण के दौरान प्रश्न भी किया था. यही नहीं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने भी भ्रष्टाचारी ललित मोहन बेलवाल को तत्काल हटाने एवं आईएएस के प्रतिवेदन के अनुसार दोषियों पर कार्यवाही किए जाने का आग्रह किया गया फिर भी सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की.

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