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MP Damoh महिला की जलने से मौत, परिजनों ने लगाए चाची व चचेरे भाई पर आरोप

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Published : Feb 24, 2023, 7:53 PM IST

MP Damoh Woman died of burns

दमोह जिले के चौरई ग्राम के दरारिया हार में एक महिला की आग से जलकर मौत हो गई. मृतका की बेटी ने अपनी चाची और चचेरे भाई पर आग लगाकर जलाने के आरोप लगाए हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

दमोह/बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बालाकोट चौरई गांव के अंतर्गत आने वाले दरारिया हार में एक महिला की आग से जलने के कारण मौत हो गई. बताया जाता है कि राजकुमारी पत्नी नारायण लोधी को शुक्रवार दोपहर आग से जलने के कारण जिला अस्पताल में लाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. घटना की जानकारी लगते ही पुलिस ने घटनास्थल को सील कर दिया. एसपी राकेश कुमार सिंह एवं देहात थाना टीआई मनीष मिश्रा तत्काल जिला अस्पताल पहुंचे.

हर एंगल से जांच करेगी पुलिस :मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया है कि राजकुमारी बाई को उसकी देवरानी नन्नीबाई लोधी और उसके बेटे ने आग लगाकर जिंदा जलाया है. मृतका मृतिका की बेटी का कहना है कि उसकी मां को उसी की चाची और चचेरे भाई ने आग लगाई है. पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह का कहना है कि आरोपों और तथ्यों की बारीकी से जांच की जा रही है. अभी बयानों की कार्रवाई चल रही है. इसलिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. पूरे मामले की जांच की बाद ही यह तय होगा कि मृतिका की मौत आग लगाए जाने से हुई. घटनास्थल को सील कर दिया गया है.

बुरहानपुर में हड़ताल पर रहे वकील :बुरहानपुर जिले के अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज किए गए प्रकरणों को वापस लेने सहित अन्य मांगें नहीं माने जाने पर विरोध स्वरूप न्यायालय में पैरवी नहीं की. इस दौरान सभी अधिवक्ता एक दिवसीय हड़ताल पर रहे और न्यायालय परिसर में नारेबाजी कर विरोध जताया. जिला अधिवक्ता संघ के सचिव विनोद कुमार काले ने कहा कि हाईकोर्ट ने पांच साल से ज्यादा पुराने प्रकरणों की रोजाना सुनवाई कर निराकरण करने के निर्देश दिए हैं. प्रत्येक न्यायालय को 25-25 प्रकरण दिए गए हैं. जिससे अधिवक्ता मानसिक रूप से दबाव में हैं.

बुरहानपुर में हड़ताल पर रहे वकील

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वकीलों ने ये पक्ष रखा :वकीलों का कहना है कि जल्दबाजी में प्रकरणों का निराकरण करना उचित नहीं है. इससे पक्षकारों को उचित न्याय नहीं मिल पाएगा. प्रकरणों का गुण-दोष के आधार पर फैसला नहीं हो पा रहा है. इन प्रकरणों की सुनवाई के कारण अधिवक्ता परिवार तक को समय नहीं दे पा रहे हैं. अधिवक्ता काले ने कहा कि कोरोना काल के ढाई साल में न्यायालयों में कामकाज नहीं हो पाया, जिसके चलते लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ गई है. इसके लिए सरकार को नीति तय करनी चाहिए. इसके साथ ही सरकार द्वारा अधिवक्ताओं पर दर्ज किए गए प्रकरणों को वापस लेना चाहिए.

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