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Makar Sankranti Festival जानें क्यों खाए जाते हैं तिल-गुड़ के लड्डू, पतंग उड़ाने का भी है वैज्ञानिक महत्त्व

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Published : Jan 12, 2023, 10:42 PM IST

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छिंदवाड़ा में मकर संक्राति पर धूम ()

मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाने और तिल-गुड़ से बने लड्डू खाने की परंपरा है. क्या आप जानते हैं इसके कई वैज्ञानिक महत्त्व है. जानिए पतंगबाजी और तिल-गुड़ से बने लड्डू खाने का महत्व.

छिंदवाड़ा में मकर संक्राति पर धूम

Makar Sankranti 2023।मकर संक्राति के आते ही आसमान में रंग-बिरंगी पतंग से आसमान छा जाता है. इस बार छिंदवाड़ा में 10 फीट बड़ी पतंग बनाई गई है, जो आकर्षण का केंद्र बन रही है. पतंग निर्माता ने बताया कि 10 फीट ऊंची पतंग आर्डर पर बनाई गई है. जिसका मूल्य 8 सौ रुपए है. बाजार में 10 से लेकर 8 सौ तक की रंग बिरंगी पतंग उपलब्ध है. मकर संक्रांति के पर्व को लेकर भी लोगों में उत्साह देखा जा रहा. मकर संक्रांति में तिल और गुड़ से बने लड्डू को बनाने और खाने की परंपरा है लड्डू बनाए जाने के कई महत्व हैं.

मकर संक्रांति पर धूम: नए वर्ष की शुरुआत में पूरे धूमधाम के साथ पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तभी इस पर्व को मनाया जाता है. वर्तमान सदी में यहां त्यौहार जनवरी महीने के 14 या 15 दिन में ही पड़ता है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति का पर्व ठंड में पड़ता है और ठंड में हमारे शरीर में कफ की मात्रा भी बढ़ जाती है और त्वचा भी रूखी हो जाती है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण में होता हो जाते हैं.

तिल और गुड़ से बने लड्डू का महत्व: ज्योतिष विज्ञान के अनुसार माना जाता है तिल को शनि से संबंधित वस्तु मानी जाती है तो वही गुण को सूर्य देव से संबंधित माना जाता है, तिल और गुड़ का मिलन सूर्य और शनि के मिलन का प्रतीक माना जाता है, इसलिए लड्डू को परिवार में बनाने और खाने का बहुत लाभ माना जाता है तिल और गुड़ से बने लड्डू भेंट करने से सूर्य देव को प्रसन्न करना भी माना जाता है.

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गुड़ और तिल वैज्ञानिक महत्त्व: जिस समय मकर संक्रांति का त्यौहार आता है उस समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड होती है,जरूरतमंद लोग इस ठंड के प्रभाव से प्रभावित होते हैं, गुड़ और तिल दोनों की तासीर गर्म होती है. दोनों ही चीज सर्दी के प्रभाव से बचने में जरूरतमंद मानी जाती है. इसे खाने से शरीर में गर्माहट उत्पन्न होती है. त्योहार के अवसर पर इसलिए इसे बनाकर खाया जाता है.

पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक महत्त्व: इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती है इसलिए इस पर पर पतंग उड़ाने को शुभ माना जाता है. वैज्ञानिक दृष्टि से भी कहा जाता है कि जब हम पतंग उड़ाते हैं और डोर खींचते हैं, उस समय हाथ, कंधा ,पैर कमर और आंखों को भी फायदा मिलता है. पतंग उड़ाने वाले की नजर काफी तेज होती है बारीक डोर और दूर उड़ने वाली पतंग को भी आसानी से देख लेते हैं. पतंग बनाने वाले दुकानदारों ने बताया कि चाइनीज मांझा से होने वाले नुकसान को देखते हुए, इस बार चाइनीस मांझा की भी मांग काफी कम है उन्होंने दुकानों में चाइनीज मांझा भी नहीं रखा है.

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