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Burhanpur News: ना पुलिस और ना कचहरी, फैसला सीधे पंचों पर निर्भर, देखें- आदिवासी समाज में विवाद खत्म करने का अनूठा तरीका

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 23, 2023, 1:53 PM IST

मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज भले ही बहुत पिछड़े तरीके से जीवनयापन करते हों लेकिन इस समाज में जितनी सूझबूझ और अनुशासन है, इतना कहीं और देखने को नहीं मिलेगा. दो पक्षों में जारी बड़े से बड़े विवाद को ये लोग पंचायत बैठाकर खत्म करवा लेते हैं. इस हाईटेक युग में विवाद खत्म करने का तरीका भी अनूठा है.

Unique way to end disputes between two parties
आदिवासी समाज में दो पक्षों के बीच विवाद खत्म करने का अनूठा तरीका

आदिवासी समाज में दो पक्षों के बीच विवाद खत्म करने का अनूठा तरीका

बुरहानपुर।अभी तक आप लोगों ने पंच परमेश्वर की कहानी किताबों मे पढ़ी होंगी. पुराने समय में जब पुलिस थाने, कोर्ट, कचहरी नहीं हुआ करते थे तो लोगों के आपसी झगड़े पंच सुलझा देते थे. अब पुलिस, कोर्ट कचहरी बन जाने से लेनदेन विवाद, पारिवारिक विवाद सहित अन्य विवादों के लिए लोगों को कई चक्कर लगाने पड़ते हैं. लेकिन बुरहानपुर जिले में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आज भी आदिवासी बारेला समाज के लोग पंचायत बुलाकर विवाद को सुलझा लेते हैं. धूलकोट क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. यहां के अधिकांश आदिवासी परिवार वनग्रामों में निवास करते हैं, यहां आदिवासी समाज मे जमीन विवाद, शादी ब्याह, व लेनदेन सहित अन्य विवादों के समझौते के लिए समाज के पंचों की पंचायत बुलाई जाती है.

दोनों पक्षों को मानना पड़ता है फैसला :आदिवासी समाज पंचायत बुलाकर फैसला करवा लेते हैं. यह फैसला उन परिवारों को मानना पड़ता है, जिन परिवारों की सुनवाई के लिए बैठक बुलाई जाती है. आदिवासी बारेला समाज में यदि किसी भी प्रकार का विवाद होता है तो सुलझाने के लिए समाज की बैठक बुलाई जाती है. इसमें आसपास के गांव व फालियाओ से समाजजन पहुंचते हैं. समाज के जिन वरिष्ठजनो को पंचों का दर्जा दिया जाता है, उनको बाकायदा आदर सम्मान के साथ चारपाई पर बैठाया जाता है. फिर शुरू होती है पंचायत. इसमें पंचों द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया जाता है.

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दो पक्ष के प्रमुख करते हैं घोषणा :मामला सुलझने पर दोनों पक्षों को मुखिया के हाथ में एक-एक छोटी लकड़ी यानी छह इंच की लकड़ी देते हैं और बोलते हैं कि अब तुम्हारा विवाद सुलझ चुका है. अब दोनों लोग हाथों से लकड़ी को तोड़ दो. दोनों पक्ष के मुखिया लकड़ी को तोड़ते है और एक दूसरे को अभिवादन कर विवाद खत्म करने की घोषणा करते हैं. फैसला होने के बाद दोनों पक्षों के लिए पंचायत शामिल हुए पंचों और लोगो को सेव व नमकीन खिलाते हैं. इस प्रकार आज भी आदिवासी बारेला समाज मे समाज की पंचायत अभी भी जिंदा है.

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