भोपाल। महिलाएं पितरों का तर्पण नहीं कर सकती...ये रूढी अब टूट रही है. भोपाल में सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर विश्राम घाट में 16 श्राद्ध के बाद जो सामूहिक तर्पण किया गया, उसमें इस बार तर्पण कर रहे हाथ महिलाओं के भी थे. तर्पण कर रही इन महिलाओं ने अपने पुरखों के साथ उनके लिए भी प्रार्थना की जिनका तर्पण करने वाला कोई नहीं है.
भाई नहीं करता तो कौन करेगा तर्पण:रेणु सिन्हा श्राद्ध पक्ष में अपनी मां के साथ अपने पति का तर्पण बिना नागा करती है. वह बताती हैं ''भाई नहीं करता उसे किसी से मतलब ही नहीं है. तो मां का कोई तो तर्पण करेगा इसलिए मैं करती हूं. पूरे चौदह दिन पानी देती हैं. अपनी मां को भी और पति को भी. बेटा बाहर है उसे टाइम नहीं मिलता तो मैं ही करती हूं. पति का 2019 में देहांत हो गया था तो पिछले तीन साल से उनका तर्पण करती हूं.''
ताकि वो उस लोक में भी सुख से रहें:ममता श्रीवास्तव उन्हीं महिलाओं में से हैं. उन्होंने मायके और ससुराल दोनों पक्षों के लिए और ऐसे परिजन जो अब नहीं रहे उनके लिए तर्पण किया. ममता बताती हैं ''वैसे परिवार में मायके ससुराल में सब लोग हैं, तर्पण भी करते हैं. लेकिन मैं भी अपने आत्मीय जनों को अपने हिस्से का तर्पण कर सकूं इसके लिए मैंने आज सामूहिक तर्पण में हिस्सा लिया. अपने परिजनों के अलावा मैंने तर्पण करते हुए सृष्टि के हर उस जीव की शांति के लिए प्रार्थना की जिनका कोई नहीं होता.'' महिलाएं तर्पण नहीं कर सकती, इस मिथक पर वह कहती हैं, ये सब टूट रहा है अब.'' वे बताती हैं हम गया गए थे तो वहां पंडित जी ने बताया कि महिलाएं भी तर्पण कर सकती हैं. उत्सुकता भी थी और भाव भी तो कर दिया.''