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Shani Sadhe Sati: स्वराशि में लौट रहे 30 साल बाद शनि, जानिए इन राशियों के लिए कष्टदायी होगा शनि का राशि परिवर्तन

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Published : Jan 16, 2023, 10:52 PM IST

Shani Sadhe Sati

शनि ग्रह की सात वर्ष की महादशा को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. शनि ग्रह की साढ़ेसाती बहुत ही कष्टकारी मानी जाती है. 17 जनवरी से शनि राशि कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहा है.

Shani Sadhe Sati:शनि की मेहरबानी हो तो लोगों के भाग्य बदलने में समय नहीं लगता, लेकिन शनि नजर अगर वक्री हुई तो सौभाग्य भी दुर्भाग्य में बदल जाता है. ये बदलाव आपकी राशि में शनि की मौजूदगी और दृष्टि की वजह से होती है. अगर शनि रूठे हैं तो आपके जीवन में कष्ट लंबे समय तक रह सकता है. ऐसा ही बदलाव मंगलवार को होने जा रहा है, जब शनि राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं. मकर राशि से निकालकर 17 जनवरी को शनि कुम्भ राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसका असर कुछ राशियों में अत्यंत कष्टकारी होने वाला है.

साढ़ेसाती का राशी प्रभाव:राशियों में ग्रहों की दशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भाग्योदय से लेकर कष्टकारी समय का लेखा जोखा इन्हीं ग्रहों की दृष्टि और संचरण पर निर्भर करता है. बात जब शनि की आती है तो उन्हें न्याय और कर्म के आधार पर फल देने वाला गृह माना गया है. उनका प्रवेश ही किसी भी राशि के लिए बड़ा परिवर्तन लेकर आता है फिर चाहे यह अच्छा हो या बुरा. माना जाता है कि अगर शनि की वक्री नजर आपकी लग्न में है, तो आपका बुरा समय शुरू हो जाता है. किसी राशि में शनि ढैया तो किसी में साढ़ेसाती का प्रभाव हो जाता है. 17 जनवरी को शनि कुम्भ राशि में प्रवेश के साथ कई राशियों के लिए कष्टदाई समय लेकर आ रहे हैं. जिनमें दो राशियां शनि की ढैया तो तीन साढ़ेसाती से प्रभावित होंगी.

क्या है शनि की साढ़ेसाती:जब किसी राशि में शनि की साढ़े सात वर्ष की महादशा लगती है, तब इसे साढ़ेसाती कहा जाता है. यानि इस महादशा के प्रभाव से अगले साढ़े सात वर्षों तक राशि के जातक पर कष्टों का प्रभाव रहता है. साढ़े साती को तीन चरणों में वर्णित किया गया है. साढ़ेसाती का प्रत्येक चरण ढाई वर्ष का होता है. प्रथम चरण में मानसिक कष्ट का माना गया है. यानि पहले चरण में शनि का प्रभाव आपको मनोदशा, मानसिक कष्ट, परेशानी बीमारी आदि लेकर आता है. द्वितीय चरण को आर्थिक कष्ट माना गया है, अर्थात् इस चरण में राशि जातक आर्थिक रूप और नुकसान से परेशान रहता है. वहीं तीसरा और अंतिम चरण आने पर शनि उसे राहत देते हैं और उसके नुकसान और कष्ट की भरपाई कराते हैं. उसकी स्थिति में सुधार लाते हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार किसी भी जातक के जीवन में साढ़ेसाती ज्यादा से ज्यादा 4 बार ही आती है, क्यूंकि एक के बाद दूसरी बार साढ़ेसाती लगने में 30 वर्ष का अंतर होता है. हालांकि जो लोग सत्य के मार्ग पर चलते हैं और न्याय का साथ देते हैं उन पर शनि की कृपा होती है और उन्हें साढ़ेसाती का ज्यादा कष्ट नहीं देखना पड़ता है.

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इन राशियों पर होगा साढ़ेसाती का प्रभाव:राशि परिवर्तन के साथ जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहने वाला है वह तीन राशियां मकर, कुम्भ और मीन है. जहां 17 जनवरी की रात 8 बजकर 2 मिनट पर शनि अपनी स्वराशि कुम्भ में प्रवेश करेंगे. उसी के साथ कुम्भ राशि में चल रही साढ़ेसाती का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा. वहीं पहले से मकर राशि में शनि की साढ़ेसाती चल रही है, इसलिए मकर राशि जातकों पर भी उसका प्रभाव रहेगा. वहीं राशि परिवर्तन के साथ कुम्भ से अगली राशि मीन होने से इस राशि में शनि की साढ़ेसाती लग जाएगी और इसका प्रथम चरण शुरू हो जाएगा. इसके अलावा कर्क और वृश्चिक राशि पर भी शनि की ढैया शुरू होने जा रही है.

इन उपायों को करने से मिलेगा लाभ:शनि की साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं. जिन्हें करना लाभदायक साबित हो सकता है. जिन राशि जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो उन्हें प्रत्येक शनिवार शनिधाम जाना चाहिए. शनिवार के दिन 11 बार शनिस्रोत का पाठ करना चाहिए. पीपल के पेड़ पर दूध से मिश्रित जल चढ़ाएं, चींटियों को चीनी और आटा खिलाना चाहिए. इन उपायों को करने से शनि की महादशा और उससे होने वाले कष्टों का प्रभाव कम होता है.

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