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आला-रे-आला गोविंदा आला, उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में जन्माष्टमी की धूम, श्रीकृष्ण ने यहां ली थी शिक्षा

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Published : Aug 30, 2021, 6:01 AM IST

जन्माष्टमी पर्व पर देशभर सहित उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में धूम देखने को मिल रही है. भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं.

आला-रे-आला गोविंदा आला
आला-रे-आला गोविंदा आला

उज्जैन।जन्माष्टमी पर्व पर देशभर सहित उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में धूम देखने को मिल रही है. भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं. हर साल उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में कृष्ण जन्माष्टमी की काफी धूम देखने को मिलती है. भगवन श्रीकृष्ण ने बलराम और सुदामा के साथ यहां ही शिक्षा ग्रहण की थी. जन्माष्टमी पर उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में गुरु सानीपनि, श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा के मंदिर को सजाया जाता है. इस बार रविवार देर रात 12.00 बजे भगवान श्रीकृष्ण की आरती के बाद सोमवार को दिनभर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर को खोल दिया जाएगा.

सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 64 कलाओं का ज्ञान, 14 विधाएं और 16 कला सीखी थी. हालांकि मंदिर पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए दर्शन करने की अनुमति दी गई है.

श्रीकृष्ण ने यहां ली थी शिक्षा

सान्दीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण ने ग्रहण की थी शिक्षा

लगभग 5000 साल पहले श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा उज्जैन के संदीपनि आश्रम में गुरु संदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने आए थे. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने उज्जैन के संदीपनि आश्रम में रहकर ही 64 दिन में 64 विद्या और 16 कला का ज्ञान सीखा था. इस कारण इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. इसी कारण कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालू दूर-दूर से संदीपनि आश्रम पंहुचते हैं, भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद लेते हैं.

श्रीकृष्ण, बलराम, सुदामा की मूर्ति एकसाथ विराजित

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रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि सांदीपनि की आरती के बाद जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इसके बाद सोमवार सुबह से ही श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर को खोल दिया जाएगा. इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है. दिनभर होने वाले कार्यक्रम को लेकर भी काफी उत्साह मंदिर में देखने को मिला. यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण, बलराम सहित उनके सखा सुदामा और गुरु सांदीपनि की मूर्ति एक ही जगह विराजित है. इन्हीं मान्यताओं के चलते जन्माष्टमी पर सांदीपनि आश्रम में श्रद्धालू दूर-दूर से दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं.

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