मध्य प्रदेश

madhya pradesh

Shruti Kanitkar Visit Ujjain:26 साल की श्रुति ने संस्कृत में रचा महाकाव्य, 5 हजार से ज्यादा पदों में किया राधा चरित्र का वर्णन

By

Published : May 25, 2022, 11:07 PM IST

कहते हैं कि जिस उम्र में बच्चों के पढ़ाई के साथ-साथ उनके भविष्य का भी मार्ग तय होता है. उसी मार्ग को मुंबई की 26 वर्षीय श्रुति ने साकार कर दिखाया है.श्रुति ने संस्कृत में महाकाव्य लिख कर इतिहास रचा है.

Shruti Kanitkar Visit Ujjain
श्रुति कानिटकर

उज्जैन। महाकाल की नगरी में बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने पहुंची श्रुति कानिटकर (26) ने इतिहास रच दिया. मात्र 1 साल के अंदर श्रुति ने संस्कृत में राधा के जन्म से परमधाम तक के सार को 5559 पद्य के माध्यम से महाकाव्य में रच कर कमाल कर दिखाया है. मुम्बई में पली बढ़ी श्रुति का संस्कृत भाषा में इतना लगाव रहा है कि, कक्षा आठवीं के बाद से ही संस्कृत विषय को प्रमुख विषय मानकर अपने कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की. आईआईटी में शोध कर चुकी श्रुति ने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही संस्कृत पढ़ते-पढ़ते राधा के ग्रंथों काव्य और साहित्य में चरित्र को अलग-अलग हिस्सों में जाना.

श्रुति कानिटकर का संस्कृत भाषा में लगाव

विदिशा का ऐतिहासिक राधा मंदिर, यहां सालभर में एक बार होते हैं दर्शन


मैं कक्षा 8 वीं से संस्कृति सीख रही हूं. जब मेरी संस्कृत पढ़ने में रुचि बढ़ने लगी तो मैंने कक्षा 10वीं के बाद संस्कृत विषय को अपना प्रमुख विषय माना और कॉलेज की पढ़ाई भी संस्कृत में की. मैं कुछ न कुछ सोभाषित रचनाएं संस्कृत की करती रहती थी. जब मैं पुराण, साहित्य, और ग्रंथ पढ़ी तो राधा जी के बारे में पढ़ना की लालसा हुई. इससे मुझे उनके चरित्र का पता चला. मुझे ज्ञात हुआ कि उनका चरित्र थोड़े थोड़े हिस्से में अलग अलग जगह पर हैं. मैं कॉलेज की पढ़ाई के समय श्रीमतीचरित्रम ग्रंथं लिखा. इसमें राधा जी के जन्म से परंधामगमं तक लिखा गया है. ये सब लिखने में मुझे करीब 1 साल लगा. अभ्यास के दौरान ही मैंने ये सब किया. - श्रुति कानिटकर लेखक

राधा-कृष्ण पहनेंगे नोटों की पोशाक, बांसुरी, मुकुट और माला भी भारतीय करेंसी से तैयार, ईटीवी भारत में करिए दर्शन

कक्षा 8वीं से संस्कृत में थी रुचि: श्रुति कानिटकर ने स्कूल की शिक्षा के बाद मुम्बई में रहकर संस्कृत में BA. MA किया. इसके बाद आईआईटी मुम्बई से संस्कृत व्याकरण में शोध कार्य किया. उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के साथ विक्रम विश्वविधालय में संस्कृत अध्ययन शाला में प्राचीन ग्रंथों का अवलोकन करने भी पहुंची. श्रुति ने अपने लिखे ग्रंथ को बाबा महाकाल के चरणों मे समर्पित कर आशीर्वाद लिया और कहा की ले राधा को अपना गुरु मानती हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details