सागर।टीकमगढ़ जिले की हरपुरा नहर के निर्माण कार्य की पोल पहली बार तालाबों में पानी भरने के दौरान खुल गई. करीब 80 करोड़ की लागत से बनाई गई नहर का निर्माण कार्य 2010 में जल संसाधन विभाग की देखरेख में शुरू हुआ था. ये मध्यप्रदेश सरकार की ऐसी योजना थी, जिसमें मप्र-उप्र के बीच जामनी नदी में बनाई गयी नहर के जरिए 11 तालाबों में पानी भरा जाना था. लेकिन घटिया निर्माण के कारण पहली बार तालाबों में पानी भरने के प्रयास में नहर फूट गई और नहर का पानी बहकर खेतों में पहुंच गया. जैसे ही तालाबों को भरने के लिए नहर से पानी छोड़ा गया तो बौरी गांव से निकली नहर पूरी तरह फूट गई. खेतों में पानी भरने से करीब 50 एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है.
देश की पहली नदी- तालाब जोड़ो परियोजना :उप्र की सीमा से लगा टीकमगढ़ जिला लगातार सूखे की मार लंबे समय से झेल रहा है. टीकमगढ़ में सिंचाई ज्यादातर चंदेलकाल के तालाबों से होती है. सूखे से जूझ रहे टीकमगढ़ के लिए मप्र सरकार ने नदी-तालाब जोड़ो परियोजना बनायी थी. दावा था कि बारिश के पानी को जामनी नदी में रोककर हरपुरा नहर से टीकमगढ़ से मोहनगढ़ के 11 तालाबों को भरा जाएगा. इस परियोजना से 1980 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती और पानी की समस्या समाप्त होती, लेकिन पहली बार में नहर फूट गई.
कारम बांध वाली एजेंसी सवालों के घेरे में :मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने हरपुरा नहर के लिए भी उसी एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया है. जिसने कारण बांध का निर्माण किया था. जिसके टूटने के कारण कई घरों पर तबाही का संकट मंडरा रहा था. इस मामले में केके मिश्रा ने ट्वीट कर कहा है कि भ्रष्टाचार की कोढ़ ने टीकमगढ़ के हरपुरा गांव की 80 करोड़ से निर्मित नहर भी फोड़ी. सुना है इसके निर्माता/निर्देशक भी वही हैं. Canal broke in Tikamgarh MP, 50 acres crop wasted, Karam Dam building agency, Congress target Shivraj government