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मोदी मंत्रिमंडल में MP से दो नए चेहरे, सिंधिया बने मंत्री, यूपी का जाति समीकरण साधने के लिए वीरेंद्र खटीक भी कैबिनेट में शामिल

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Published : Jul 7, 2021, 7:55 PM IST

मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. सिंधिया का नाम जहां पहले से तय माना जा रहा था. वीरेंद्र खटीक को यूपी विधानसभा चुनाव में एससी वर्ग का जाति समीकरण साधने के लिए कैबिनेट में जगह दी गई है.

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मोदी मंत्रिमंडल में MP से दो नए चेहरे

भोपाल।मोदी कैबिनेट का विस्तार मध्यप्रदेश के लिहाज से भी अहम रहा सिंधिया के साथ-साथ साफ छवि वाले वीरेंद्र कुमार खटीक के शामिल होने की चर्चा पहले नहीं थी, लेकिन ऐन मौके पर उनका कैबिनेट मंत्री बनने के पीछे की वजह यूपी चुनाव माने जा रहे हैं. वीरेंद्र खटीक अनुसूचित जाति से आते हैं और इस वर्ग को साधने के लिए ही उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है.

वीरेंद्र खटीक का मंत्री बनना, दलितों को साधने की रणनीति
मोदी कैबिनेट में मध्यप्रदेश की टीकमगढ़ से लगातार 7 बार के सांसद वीरेंद्र खटीक को एससी वर्ग को साधने की रणनीति माना जा रहा है.
खटीक का लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़ यूपी से सटा हुआ है. यहां एससी वर्ग की अच्छी खासी तादाद है. सांसद वीरेंद्र खटीक भी टीकमगढ़ सहित यूपी से सटे इलाकों में एससी वर्ग के बीच खासा प्रभाव रखते हैं. जिसका फायदा बीजेपी को यूपी विधानसभा चुनावों में मिल सकता है. इसी रणनीति के कैबिनेट में शामिल किए जाने को लेकर चर्चा से बाहर चल रहे वीरेंद्र कुमार को ऐन मौके पर मोदी कैबिनेट में शामिल करने का फैसला लिया गया है. दूसरी बड़ी वजह थावरचंद गहलोत (एससी) को कर्नाटक का राज्यपाल बना दिए जाने के बाद केंद्र में इस वर्ग का प्रतिनिधित्व कम हो रहा था, जिसे साधने के लिए वीरेंद्र खटीक को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है. वीरेंद्र खटीक, मध्यप्रदेश में पूर्व मंत्री रहे गौरीशंकर शेजवार के रिश्तेदार भी हैं. गौरीशंकर शेजवार फिलहाल बीजेपी के खिलाफ बागी तेवर अपनाए हुए हैं. खटीक के जरिए मध्यप्रदेश में शेजवार को भी साधा जा सकेगा.

यूपी और बुन्देलखण्ड में सधेगा जाति समीकरण
वीरेंद्र खटीक का लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़ यूपी के बड़े एरियाबांदा महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट, ललितपुर, झांसी , जालौन, ललितपुर की सीमा के पास ही है. इन इलाकों में एससी वर्ग से बड़ी आबादी रहती है.

ग्वालियर चंबल में बढ़ेगी सिंधिया की ताकत

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद अब उन्हें बड़ा मंत्रालय मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है. मध्यप्रदेश में बीजेपी में शामिल होकर प्रदेश की सत्ता में पार्टी की वापसी कराने वाले सिंधिया अब और ज्यादा ताकतवर होंगे. हालांकि उनका बीजेपी में शामिल होना प्रदेश बीजेपी के ही कुछ बड़े नेताओं को रास नहीं आ रहा था, लेकिन सिंधिया सीधे हाईकमान से बातचीत करने के बाद बीजेपी में अपने समर्थक विधायकों के साथ शामिल हो गए. जिससे प्रदेश में भी सिंधिया की ताकत बड़ेगी. बीजेपी के लिए सिंधिया बड़े बाजीगर बनने के उभरे हैं. पहले प्रदेश में 15 महीने तक सत्ता से बाहर रही बीजेपी की सत्ता में वापसी करवाई, फिर राज्यसभा सदस्य बने और अब केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर.

क्या मध्यप्रदेश में कमजोर पड़ेगे शिवराज?

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के कुछ ही दिन बीतने के बाद से ही प्रदेश में चेहरा बदलने को लेकर कई तरह की अपवाहें उड़ी. हालांकि फिलहाल इन पर विराम लगा हुआ है, लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि ऐसा सिंधिया समर्थकों और शिवराज विरोधी नेताओं के समर्थन से ही किया जा रहा है. ऐसे में अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश में नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बड़े नेता हैं. खास बात यह है कि ये सभी ग्वालियर चंबल अंचल से ही आते हैं. ऐसे में अंचल में सिंधिया की ताकत बढ़ेगी और शिवराज पर दबाव भी बढ़ेगा. इसकी बानगी दिखाई भी देने लगी है. सिंधिया के शामिल होने के बाद से सीएम शिवराज सिंह के एकतरफा फैसले लेने पर रोक सी लगी हुई है. हाल ही के दिनों में देखा गया है कि मध्य प्रदेश से जुड़ा कोई भी बड़ा फैसला लेने के लिए शिवराज को दिल्ली दरबार में हाजिरी लगानी होती है. ऐसे में मध्य प्रदेश की सियासत में ग्वालियर चंबल संभाग का दबदबा के चलते आने वाले समय प्रदेश का मुख्यमंत्री भी ग्वालियर चंबल से होने की मांग उठ सकती है. यही वजह है कि अब शिवराज इन्हीं समीकरणों के चलते सिंधिया को साधने लगे हैं.

कैलाश विजयवर्गीय भी हैं नाराज

बंगाल चुनाव की जिम्मेदारी के बाद से फ्री होने के बाद माना जा रहा था कि कैलाश विजयवर्गीय को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. विस्तार हो चुका है और कैलाश बाहर हैं. इसके साथ ही यह तय हो गया है कि फिलहाल उन्हें संगठन में ही जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी. माना जा रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय को मंत्रिमंडल में न शामिल करने की वजह उनका विवादों से जुड़ा होना रहा है. ऐसे में प्रदेश में सक्रीय रहे विजयवर्गीय भी शिवराज सिंह की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.

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