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आज शाम काल भैरव जयंती पर करें भय और शत्रु बाधा का नाश, जरूर करें ये आसान-सा उपाय

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Published : Nov 27, 2021, 10:57 AM IST

हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत किया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती के तौर पर मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कालभैरव का अवतरण हुआ था. इस साल कालभैरव की जयंती 27 नवंबर, शनिवार के दिन पड़ रही है.

Bhagavan kaal bhairav jayanti 2021
भगवान काल भैरव जयंती 2021

भोपाल। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत किया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कालभैरव का अवतरण हुआ था. इस साल कालभैरव की जयंती 27 नवंबर 2021 शनिवार के दिन है. इसलिए आज शाम को और आधी रात में इनकी विशेष पूजा की जाएगी.

आज 27 नवंबर 2021 शनिवार के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन यानी रविवार को सुबह तकरीबन 6 बजे तक रहेगी. भगवान काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं, साथ ही हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. काल भैरव की पूजा से हर तरह की बीमारियां और डर खत्म हो जाता है. इनकी पूजा प्रदोष काल यानी शाम लगभग 5.35 से रात 8 बजे तक और रात 12 से 3 के बीच करनी चाहिए.

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हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं. इस दिन शुभ मुहूर्त में सच्चे दिल से प्रभु की उपासना करने से व्यक्ति अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है. पूजा करने से काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं.

भैरव देव कौन हैं ! (Who is Bhairav Dev)

भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला. ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा है, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं. इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है. कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं.

दंडपाणि काल भैरव (Kal Bhairav)

माना जाता है कि भगवान भैरव जी से काल भी भयभीत रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव एवं हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है.

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जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति (Get Rid Of Sins)

नंदीश्वर भी कहते हैं कि जो शिव भक्त शंकर के भैरव रूप की आराधना नित्य प्रति करता है उसके जन्म-जन्मों में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं. इनके स्मरण और दर्शन मात्र से ही प्राणी के सब दुःख दूर होकर वह निर्मल हो जाता है. मान्यता है कि इनके भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता.

इस दिन करें ये उपाय (Upay On Kalashtami)

भैरव जी का वाहन श्वान यानी कुत्ता है इसलिए विशेष रूप से इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव के कृपा पात्र बनते हैं. कालिका पुराण के अनुसार कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ आर्थिक तंगी की समस्या से भी राहत मिलती है. भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैवाष्टक का पाठ करना चाहिए,ऐसा करने से आदि-व्याधि दूर होती है.

अगर कर रहें हैं व्रत तो भूलकर भी न करें ये काम (Kalashtami Puja 2021)

भक्त को झूठ नहीं बोलना चाहिए. इससे भक्त को नुकसान हो सकता है.कालाष्टमी व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए.कालाष्टमी व्रत को नमक भी नहीं खाना चाहिए. शरीर में नमक की कमी महसूस हो तो काला नमक का सेवन करना चाहिए.काल भैरव की पूजा किसी के नाश के लिए नहीं किया जाना चाहिए.गृहस्थ जीवन में भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. बल्कि बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए. इनकी पूजा सौम्य मानी जाती है.

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काल भैरव व्रत करने की विधि

काल भैरव का उपवास करने वाले भक्तों को सुबह स्न्नानादि कर सबसे पहले अपने पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए.

जिस आसन पर बैठकर पूजा की जानी है उस पर भी काला कपड़ा बिछाएं.

काल भैरव की पूजा ऊनी आसन पर बैठकर भी की जा सकती है.

पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतूरे के फूल का इस्तेमाल जरूर करें.

काल भैरव को चमेली के फूल या नीले फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही सरसों के तेल का दीपक लगाएं.

भगवान को नैवेद्य में जलेबी, पापड़, पूड़ी पुए और पकौड़े भगवान को भोग लगाएं.

इस दिन व्रत करने और काले कुत्ते को खाना खिलाने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं.

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इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को पूरे दिन उपवास रखकर रात के समय भगवान के सामने धूप, दीप, काले तिल,उड़द, सरसों के तेल के दीपक के साथ भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए. इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं. माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे मन से काल भैरव भगवान की पूजा करता है तो उस पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।

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