सिमडेगा: झारखंड के सिमडेगा जिले में सांप के डसने से 3 बच्चियों की मौत हो गई है. सांप के डसने के बाद परिजन बच्चियों को अस्पताल ले जाने के बजाए रातभर झाड़-फूंक में लगे रहे.
सर्पदंश से तीन बच्चियों की मौत
जिला मुख्यालय से 46 किलोमीटर दूर ठेठईटांगर थाना क्षेत्र के गौरीडूबा गांव में रविवार को नवाखानी पर्व मनाने के बाद तीनों बच्चियां सो गई थी. इसी दौरान रात में सांप ने दो सगी बहनों अंकिता लकड़ा, हर्षिता लकड़ा और उनकी एक रिश्तेदार एडलिन एक्का को डस लिया. इसके बाद परिजन एंबुलेंस के लिए फोन लगाते रहे लेकिन गांव में नेटवर्क नहीं होने के कारण फोन नहीं लगा. बेबस परिजन तीनों बच्चियों को रातभर गांव में ही रखकर झाड़-फूंक कराते रहे.
बच्चियों को रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया
झाड़-फूंक का क्रम सोमवार सुबह तक चलता रहा. इसके बाद पुलिस जब गांव पहुंची तो बच्चियों को अस्पताल तक ले जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण परिजन तीनों बच्चियों को खटिया पर लेकर डेढ़ किलोमीटर पैदल चले. इसके बाद 5 किलोमीटर का सफर उन्होंने बच्चियों को कंधे पर रखकर पूरा किया. तब जाकर पक्की सड़क पर खड़ी एंबुलेंस से बच्चियों को ठेठईटांगर रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया. रेफरल अस्पताल के डॉक्टर दिनेश ने जांच के बाद तीनों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया. परिजन इसके बाद भी नहीं माने और झाड़-फूंक के लिए बच्चियों को ओडिशा ले जाने की जिद पर अड़े रहे. ग्रामीणों के दबाव में पुलिस बच्चियों को ओडिशा के जगांगपुर में किसी वैध के पास ले गए लेकिन बच्चियों की जान नहीं बचाई जा सकी.
ये भी पढे़ं:कृषि कानूनों को लेकर विधान सभा का विशेष सत्र जारी, शिअद-आप का प्रदर्शन
अस्पताल लाने से पहले बच्चियों की मौत
रेफरल अस्पताल के डॉक्टर दिनेश ने ईटीवी भारत को बताया कि तीनों बच्चियों की मौत अस्पताल लाने से पहले ही हो चुकी थी. सांप के डसने के बाद यदि उनका इलाज तुरंत शुरू हो जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी. ठेठईटांगर के थानाप्रभारी सतेंद्र कुमार ने कहा कि गांवों में अंधविश्वास की गहरी पैठ है और जागरूकता की लाख कोशिश के बाद भी ग्रामीणों के बीच से इसे खत्म नहीं किया जा सका है.
जिस गांव में महज 24 घंटे पहले उत्सव मनाया जा रहा था, वहां अब मातम पसरा हुआ है. ये घटना बताती है कि झारखंड के दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है? जहां न मोबाइल नेटवर्क हो और न ही एक अदद बेहतर अस्पताल, वहां के मरीज भगवान भरोसे ही हैं. बहरहाल, इन तीन बच्चियों की मौत सवाल कर रही है कि आखिर उनकी मौत की जिम्मेदारी किसकी है?