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टीएसी पर विवादः राजभवन और राज्य सरकार के बीच तकरार! राज्यपाल की असहमति ने बढ़ाया सियासी तापमान

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Published : Feb 7, 2022, 7:45 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 8:13 PM IST

राजभवन द्वारा टीएसी गठन को असंवैधानिक करार देने पर झारखंड में सियासत तेज हो गयी है. इसको लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच तकरार बढ़ गयी है. पक्ष और विपक्ष की ओर से टीएसी पर विवाद पर बयानबाजी शुरू हो गयी है.

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राजभवन द्वारा टीएसी

रांचीः राजभवन ने टीएसी गठन को असंवैधानिक बताए जाने पर झारखंड में सियासत तेज हो गयी है. सत्तापक्ष ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए हेमंत सरकार द्वारा पिछले वर्ष बनाई गयी नियमावली को सही बताया है. वहीं विपक्ष एक बार फिर सरकार पर हमलावर होता हुआ दिख रहा है.

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जनजातीय सलाहकार परिषद (Tribal Advisory Council) यानी टीएसी गठन का विवाद एक बार फिर तेज हो गया है. राज्य सरकार द्वारा बनाई गयी नियमावली 2021 को राज्यपाल रमैश बैस ने असंवैधानिक करार देते हुए राज्य सरकार को पुर्नविचार करने की सलाह दी है. इसके अलावा राजभवन ने सरकार को यह भी कहा है कि राज्यपाल को संविधान प्रदत्त शक्ति को जारी रखते हुए सदस्यों के मनोनयन का अधिकार पूर्व की तरह रखी जाए. राजभवन के द्वारा भेजे गये स्पष्ट निर्देश के बाद इस मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच तकरार बढ़ गयी है.

टीएसी को लेकर सियासी बयानबाजी

पिछले वर्ष हेमंत सरकार ने टीएसी नियमावली 2021 को लागू किया था. नयी नियमावली के तहत जनजातीय सलाहकार परिषद के मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष होंगे इसके अलावे एक उपाध्यक्ष और 18 सदस्य टीएसी में होंगे. नयी नियमावली में राज्यपाल के अधिकार की कटौती कर सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल को नहीं दिया गया था. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल में हुए इस निर्णय के बाद बीजेपी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए अभी तक टीएसी की बैठक का बहिष्कार कर इसका विरोध करती रही है. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के बाद रमेश बैस के आने के बाद राजभवन द्वारा इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए संविधान विशेषज्ञों से राय ली गयी इसके बाद राजभवन ने यह दिशानिर्देश सरकार को भेजा है.



टीएसी पर राजनीति शुरूः राजभवन द्वारा राज्य सरकार को टीएसी पर दिए गए निर्देश के बाद राजनीति शुरू हो गयी है. विपक्षी दल बीजेपी और आजसू ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह असंवैधानिक रुप से तैयार की गयी थी जिसे राजभवन ने ठुकरा दिया है. बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने राजभवन के द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि बीजेपी शुरू से ही इसको लेकर आंदोलनरत थी. वहीं आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने भी राजभवन के द्वारा उठाये गए कदम की सराहना की है.

इधर सत्तापक्ष झामुमो राजद ने हेमंत सरकार द्वारा बनाये गए टीएसी को संवैधानिक बताते हुए छत्तीसगढ़ का उदाहरण दिया है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि बीजेपी सरकार में ही छत्तीसगढ़ में टीएसी नियमावली में बदलाव हुए थे उस समय भाजपा क्यों चुप थी. राजद नेता राजेश यादव ने राज्य सरकार द्वारा गठित टीएसी को सही बताते हुए इसे पूरी तरह संवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विधि विशेषज्ञों की राय लेकर पूरी तरह से नियमानुकूल तैयार किया था.

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ऐसा है टीएसी नियमावली 2021ः जनजातीय सलाहकार परिषद के मुख्यमंत्री पदेन चेयरमैन हैं. इसके अलावा टीएसी में एक उपाध्यक्ष है. चेयरमैन की अनुपस्थिति में वाइस चेयरमैन की अध्यक्षता में टीएसी की बैठक होगी. चेयरमैन, वाइस चेयरमैन के अलावा टीएसी में 18 सदस्य होंगे. टीएसी के 18 में से 15 सदस्य अनुसूचित क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाले विधानसभा सदस्य हैं. शेष 3 सदस्यों का मनोनयन का पावर मुख्यमंत्री को दिया गया है. जनजातीय सलाहकार परिषद का कार्यकाल 5 वर्षों का होगा. टीएसी की बैठक के लिए कम से कम 7 सदस्यों का होना अनिवार्य होगा. टीएसी की बैठक 10 दिन पहले बुलाये जाने का प्रावधान है.


जनजातीय सलाहकार परिषद के लिए क्या हैं संवैधानिक प्रावधानः भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार, प्रत्येक राज्य में, जहां अनुसूचित क्षेत्र हैं, एक टीएसी का गठन होगा. अगर राष्ट्रपति निर्देश देते हैं तो ऐसे राज्य में भी एक टीएसी होगी, जहां अनुसूचित जनजातियां हैं, लेकिन वहां गैर-अनुसूचित क्षेत्र हैं. टीएसी की भूमिका है, राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित ऐसे मामलों पर सलाह देना, जो राज्यपाल द्वारा उन्हें निर्दिष्ट किये जाएं.

Last Updated :Feb 7, 2022, 8:13 PM IST

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