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कृषक पाठशाला खोलने की तैयारी में झारखंड सरकार, जनवरी से होगी शुरुआत

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Published : Dec 28, 2022, 7:40 AM IST

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झारखंड सरकार (Jharkhand government) कृषक पाठशाला खोलने की तैयारी में हैं. इसको लेकर निजी एजेंसी चयनित कर ली गई है और संभावना है कि जनवारी से शुरुआत हो जाए. कृषक पाठशाला के जरिए किसानों को मदद पहुंचाई जाएगी.

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रांचीः सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचे. इसको लेकर हेमंत सरकार कृषक पाठशाला खोलने की तैयारी (Preparation to open Farmer School) में हैं. संभावना है कि जनवरी माह से कृषक पाठशाला की शुरुआत हो जाए. शुरुआती दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में 17 कृषक पाठशाला खोले जाएंगे. लेकिन आने वाले समय में कृषक पाठशाला की संख्या 100 किया जाएगा, जो 5 वर्षों तक संचालित किया जाएगा.

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पशुपालन भवन में राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला को संबोधित करते हुए कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि कृषक पाठशाला के आपसाप के गांव बिरसा गांव कहलायेंगे, जहां के किसान कृषक पाठशाला से जुड़कर सरकार की योजना का लाभ लेंगे. कृषक पाठशाला संचालित करने के लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है और जल्द ही शुरू किया जायेगा. रबी कर्मशाला का उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि विषम परिस्थिति में कई फैसले लिए, जिससे कृषि क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आए है. उन्होंने कहा कि हर साल कृषि विभाग पर राज्य की जनता नजर रखती है. इसलिए हमने पूरी गंभीरता के साथ किसान हित में निर्णय लिए हैं. स्मार्ट विलेज की कल्पना को साकार करने के लिए संबंधित सभी विभाग के साथ को-आर्डिनेशन बनाने की जरूरत है. उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि किसान मित्र की मदद से उन किसानों को सहयोग करें, जो प्रज्ञा केंद्र नहीं पहुंच पा रहे हैं.

राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि कृषि सेक्टर को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है, क्योंकि देश की जीडीपी में 20 प्रतिशत योगदान कृषि का है. विभाग का लक्ष्य है खाद्य आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर राज्य के किसानों को स्वावलंबी बनाना. उन्होंने बताया कि किसानों की कर्ज माफी सफलतापूर्वक की गई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन योजना स्मार्ट विलेज और कृषक पाठशाला जैसी योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि इस साल 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में थे, जिन्हें सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया. इसके लिए केंद्र सरकार से हमने 9000 करोड़ रुपए मांग की है. उन्होंने कहा कि पिछले साल खरीफ की पैदावार 53 लाख मीट्रिक टन थी और कुल 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल हुई थी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बीज वितरण में 90 फीसदी और 100 फीसदी अनुदान दे रही है, जबकि पिछले साल तक यह अनुदान 50 प्रतिशत ही था. इस साल 80 हजार क्विंटल बीज वितरण किया है, जो रिकॉर्ड है. निशा उरांव ने कहा कि इस साल ब्लॉकचेन की शुरुआत की गई है. इससे पारदर्शिता और जवाबदेह तरीके से बीज वितरण का पूर्ण विवरण दिखाई दे रहा है. कर्मशाला में पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा, विशेष सचिव प्रदीप हजारे, भूमि संरक्षक निदेशक अजय कुमार सिंह, उपनिदेशक रसायन अनिल कुमार, उपनिदेशक मुकेश सिन्हा आदि उपस्थित थे.

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