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अधिवक्ता राजीव कुमार गिरफ्तारी मामलाः स्टील कारोबारी सोनू अग्रवाल से ईडी की पूछताछ

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Published : Sep 20, 2022, 6:48 AM IST

ED questioning businessman Sonu Agarwal on Rajiv Kumar arrested case
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दुर्गापुर के स्टील कारोबारी सोनू अग्रवाल से ईडी की पूछताछ (ED questioning businessman Sonu Agarwal) हुई. अधिवक्ता राजीव कुमार गिरफ्तारी मामले (Rajiv Kumar arrested case) में जांच का दायरा बढ़ाते हुए ईडी ने सोनू से पूछताछ की है. इससे पहले झारखंड के कारोबारी विष्णु अग्रवाल से भी पूछताछ की गयी थी.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार की कोलकाता में हुई गिरफ्तारी मामले (ED probe on advocate arrested case) में ईडी की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. ईडी ने दुर्गापुर के कारोबारी सोनू अग्रवाल से पूछताछ की (ED questioning businessman Sonu Agarwal) है. इस मामले में झारखंड के चर्चित कारोबारी विष्णु अग्रवाल से भी पूछताछ हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक अधिवक्ता राजीव कुमार ने ईडी को बताया है कि सोनू अग्रवाल के कहने पर ही वह अमित अग्रवाल से मिलने कोलकाता गये थे. उनके लिए कोलकाता की फ्लाइट का टिकट विष्णु अग्रवाल ने मुहैया करवाया था. इस मामले में ईडी ने विष्णु अग्रवाल का मोबाइल डिटेल भी खंगाला है.

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सूत्रों के मुताबिक सोनू अग्रवाल ने अधिवक्ता राजीव कुमार के बयान को गलत बताया है. राजीव कुमार ने अपनी सफाई में कहा था कि सोनू अग्रवाल ने अमित अग्रवाल के किसी अन्य केस की पैरवी के लिए उनसे संपर्क किया था. इसलिए वह एक 31 जुलाई को कोलकाता के क्वेस्टा मॉल में अमित अग्रवाल से मिले थे. उसी दौरान जबरन उनकी गाड़ी में 50 लाख रु रखकर कोलकाता पुलिस से गिरफ्तार करवाया (Rajiv Kumar arrested case) गया था. हालांकि सोनू अग्रवाल ने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि शेल कंपनियों से जुड़े मामले को लेकर ही अधिवक्ता राजीव कुमार ने अमित अग्रवाल पर दबाव बनाया था. उन्होंने कहा कि अमित अग्रवाल के किसी दूसरे केस में पैरवी की बात बेबुनियाद है.

आपको बता दें कि सोनू अग्रवाल स्टील कारोबारी हैं और एनआईए के रडार पर रहे हैं. फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली हुई है. सोनू अग्रवाल पर झारखंड की मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग का आरोप है. इस मामले में एनआईए ने चार्जशीट दायर किया था.

क्या है पूरा मामला: 31 जुलाई को झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार की कोलकाता से गिरफ्तारी हुई थी. आरोप था कि उनके खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में राहत पहुंचाने के नाम पर अधिवक्ता ने पहले 10 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन बाद में एक करोड़ रुपये देने की बात तय हुई. पहली किस्त में 50 लाख रुपये लेने के लिए ही राजीव कुमार कोलकाता आये थे. जहां उन्हें 50 लाख रुपये कैश के साथ गिरफ्तार कर लिया गया.

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