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झारखंड में ऑर्गेनिक खेती के लिए खुलेंगे आउटलेट्स, उत्पादों के सर्टिफिकेशन के लिये होगी लैब की स्थापना: कृषि मंत्री

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Published : Feb 26, 2022, 10:53 AM IST

झारखंड का पहला जैविक उत्पाद विपणन केंद्र ओफाज की ओर से कृषि भवन में खोला गया. झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिये जल्द ही राज्य के सभी जिलों में ऑर्गेनिक आउटलेट्स खोला जाएगा, साथ ही ऑर्गेनिक उत्पादों के सर्टिफिकेशन के लिये एक लैब की भी स्थापना की जायेगी.

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रांची: झारखंड में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिये जल्द ही राज्य के सभी जिलों में ऑर्गेनिक आउटलेट्स खोला जाएगा इसके साथ-साथ ऑर्गेनिक उत्पादों के सर्टिफिकेशन के लिये एक लैब की भी स्थापना की जायेगी. झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने इसकी घोषणा जैविक उत्पाद विपणन केंद्र के उद्घाटन समारोह में की है. ओफाज (Oceanography and Fisheries Open access journal OFOAJ) की ओर से कृषि भवन में झारखंड का पहला जैविक उत्पाद विपणन केंद्र खोला गया है. कृषि मंत्री ने कृषक मित्र को ओफाज की ओर से जैविक उत्पाद के परिवहन के लिए उपलब्ध कराई गई गाड़ी की चाबी भी सौंपी.

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जैविक उत्पाद विपणन केंद्र जैविक उत्पादों को बेहतर बाजार दिलाने में साबित होगा मील का पत्थर: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिये विभाग सभी क्षेत्रों में काम कर रहा है. सभी पदाधिकारी इस दिशा में कार्य भी कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि आज एक नई शुरुआत हो रही है भविष्य में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेगें. किसानों के जैविक उत्पादों को बेहतर बाजार मिले इस दिशा में जैविक उत्पाद विपणन केंद्र मील का पत्थर साबित होगा. सरकार का प्रयास होगा कि राज्य के सभी जिलों में इस तरह के केंद्र की स्थापना हो ताकि किसानों को जैविक उत्पादन का उचित मूल्य मिल सके और उनकी आय में बढ़ोतरी हो.

जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये सरकार तत्पर: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसानों द्वारा उत्पादित उत्पादों का उचित मूल्य मिले. उनके उत्पादों का वैल्यू एडिशन हो ताकि उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा मिले. उन्होंने कहा कि जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये सरकार तत्पर है. हमारा प्रदेश प्राकृतिक तौर पर जैविक कृषि पर ही आधारित है राज्य के कई क्षेत्रों में अभी भी जैविक कृषि की जाती है. इमली, कटहल और भी कई तरह के उत्पाद है जो प्राकृतिक तौर पर जैविक ही हैं, हमें जरूरत है बस उन उत्पादों को सर्टिफाइड करने की. इस दिशा में प्रयास जारी है, जल्द ही राज्य में एक लैब की स्थापना की जायेगी.


58 लाख बिरसा किसानों को मिलेगा यूनिक कार्ड:कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य के 58 लाख बिरसा किसानों को जैविक कृषि से जोड़ा जायेगा. जल्द ही इन किसानों को यूनिक कार्ड भी दिया जायेगा. सरकार का जो भी सहयोग चाहिये उन्हें मिलेगा, चाहे वह कृषि यंत्र से जुड़ा हो, सिंचाई से हो या कोई अन्य सहयोग, सरकार आपके साथ हमेशा खड़ी रहेगी. सरकार किसानों के उत्थान के लिये निरंतर कार्य कर रही है, आने वाले दिनों में झारखंड के किसान समृद्धशाली होगें और साथ मिलकर मजबूत झारखंड का निर्माण करेंगे.

जैविक उत्पाद विपणन केंद्र का उद्घाटन एक शुरुआत:कृषि सचिव अबु बकर सिद्दकी ने कहा कि राज्य सरकार पूरे राज्य में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहती है ताकि लोगों को जैविक उत्पाद उपलब्ध हो उन्होंने कहा कि लोगों की सेहत सर्वोपरी है. अच्छी सेहत अच्छे समाज की नींव डालती है. पूरे राज्य में लोगों को जैविक उत्पाद उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है और इस दिशा में जैविक उत्पाद विपणन केंद्र का उद्घाटन एक नई शुरुआत है. भविष्य में इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे. उन्होंने कहा कि कई ऐसे जैविक उत्पाद हैं, जिन्हें अगर सर्टिफिकेशन मिल जाये तो उन उत्पादों को बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी और किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना सरकार का कर्तव्य है और इस दिशा में यह एक सराहनीय पहल है. कृषि विभाग मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री की सोच को धरातल पर उतारने का निरंतर प्रयास कर रहा है और इस दिशा में ओफाज का यह प्रयास सराहनीय है.

मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी डॉ. एम एस ए महालिंगा शिवा ने बताया कि राज्य में परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनगड़ा प्रखंड में ओफाज एवं भारत सरकार के एसएफएसी के सहयोग से जैविक एफपीओ नीम फूल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया है. राज्य में विषैले रसायन मुक्त विशुद्ध पद्धति से उगाए गए कृषि उत्पादों की बहुत मांग है. राज्य के जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जैविक उत्पाद विपणन केंद्र कारगार साबित होगा, जहां से जैविक विधि द्वारा उपजाई गई प्रमाणीकृत सब्जियां, दलहन, तिलहन और मसालों आदि का विक्रय किया जा सकेगा. कार्यक्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओंकार सिंह, आईसीएमआर के डॉ. सिद्धार्थ, नाबार्ड के पदाधिकारीगण, कृषि वैज्ञानिक और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आये किसान मौजूद थे.

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