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बच्चों की जान पर खतरा, रेल पटरी पार कर स्कूल जाने की बेबसी

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Published : Nov 26, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 9:44 PM IST

पाकुड़ में बच्चों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. यहां किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. जिले के हीरानंदपुर में स्कूल जाने के लिए सैकड़ों बच्चे रोजाना जान हथेली पर रख कर रेल पटरी पार करते हैं. इस दौरान ये डर बना रहता है कि जाने कब ट्रेन धड़धड़ाती हुई मौत बन कर सामने आ जाए.

Children go to school by crossing railway track in pakur
पटरी पार कर स्कूल जाते बच्चे

पाकुड़: पाकुड़ के सदर प्रखंड के हीरानंदपुर में सैकड़ों बच्चों को रोजाना जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ता है. ये बच्चे स्कूल जाने और घर वापस आने के दौरान रेल की पटरी पर करने को विवश हैं. इन बच्चों को रेलवे की चारदीवारी के नीचे से झुककर भी गुजरना पड़ता है.

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रेलवे की चारदीवारी से गुजरने के दौरान हमेशा चोट का डर बना रहता है. इसके साथ ही रेल की पटरी पार करने के दौरान अचानक ट्रेन आने का डर भी सताते रहता है. लेकिन बच्चे करें भी तो क्या. बच्चों के अलावा आम लोगों को भी अपनी दैनिक जरूरतों के लिए इन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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सीढ़ी के पायदान की चोरी

केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से हीरानंदपुर में रेल पटरी के ऊपर पुल बनाया गया था. इस पुल पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बनाई गई थी. लेकिन हाल में ही पुल पार करने के लिए बनाई गई सीढ़ी के लोहे के पायदानों को चोरों ने चुरा लिया. इसके अलावा कुछ पायदान टूट गए. पुल पार करने के लिए सीढ़ी नहीं होने की वजह से अब लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है. खासकर बच्चों को रेल पटरी पार कर स्कूल जाना पड़ता है. इस ओर अब तक रेलवे या प्रशासन का ध्यान नहीं गया है, जिससे परेशानी हो रही है.

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मंत्री आलमगीर आलम ने दिया भरोसा

बच्चे पढ़ाई की ललक की वजह से तमाम जोखिम उठाकर रेल पटरी पार कर स्कूल जा रहे हैं लेकिन कहीं ऐसा न हो कि छोटी सी लापरवाही बड़े दर्द का कारण बन जाए. क्या जिम्मेदारी अधिकारी किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं तभी पुल और सीढ़ी की मरम्मत हो पाएगी. इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जरूरत है. पाकुड़ आए मंत्री आलमगीर आलम का भी कुछ ऐसा ही मानना है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के जरिए उन्हें इसकी जानकारी मिली है और वे निश्चित तौर पर इस मामले में प्राथमिकता के साथ कदम उठाएंगे.

पटरी पार कर स्कूल जाते बच्चे

शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कई कदम

झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद अब तक सभी सरकारों ने बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक समय 'घर घर अलख जगाएंगे बदलेगा जमाना' का नारा बुलंद किया गया. राज्य में शैक्षणिक माहौल विकसित करने के लिए बड़े-बड़े विद्यालय बनाए गए. शिक्षकों की बहाली इस आस में की गई कि नौनिहालों का भविष्य उज्ज्वल हो सके. लेकिन कई जगहों पर बदइंतजामी से बच्चों को परेशानी का सामना का सामना करना पड़ रहा है.

बच्चों में शिक्षा पाने की ललक

शासन और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी बच्चे भी शिक्षा लेने स्कूल जा रहे हैं. सरकार के ही प्रयास की वजह से ही ड्रॉप आउट बच्चे आज भी बड़ी संख्या में सरकारी विद्यालयों में जा रहे हैं. शिक्षा की जल रही ज्योत की लौ धीमी नहीं हो, इसके लिए प्राइवेट विद्यालयों में भी गुणात्मक शिक्षा को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन इस तरह की परेशानी बच्चों की पढ़ाई में बड़ी बाधक साबित हो रहे हैं.

Last Updated :Nov 26, 2021, 9:44 PM IST

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