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लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, खेतों में पड़े हैं लाखों के मिर्च की फसल

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Published : Apr 17, 2020, 7:25 PM IST

लोहरदगा में कुडू और सेन्हा प्रखंड में हर साल मिर्च की खेती किसानों के चेहरे पर मुस्कान लेकर आती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण किसानों की कमर टूट गई है. किसानों को मिर्च खरीददार तक नहीं मिल पा रहे हैं और न ही मिर्च बेचने के लिए बाजार, जिससे किसानों में निराशा है.

Farmers facing loss in lockdown in lohardaga
लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर

लोहरदगा: जिले के कुडू और सेन्हा प्रखंड में सबसे अधिक मिर्च की खेती होती है. दोनों ही इलाके लोहरदगा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में आते हैं. यहां पर किसानों को इसका अधिक फायदा भी पहुंचता है, क्योंकि रांची, गुमला, लातेहार के अलावा भी कई जिलों के व्यापारी इस क्षेत्र में आकर मिर्च खरीदते हैं.

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लोहरदगा में किसानों को मिर्च की बिक्री के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. यहां के किसानों की हरी मिर्च अगर सही दामों में नहीं बिकता है तो किसान मिर्च को सूखाकर लाल मिर्च और सुखी मिर्च के रूप में तब्दील कर देते हैं और बाजरों में बेचते हैं, जिसकी कीमत भी अधिक मिल जाती है. यहां के किसानों को हर तरफ से मुनाफा ही मुनाफा होता था. इन क्षेत्रों में मिर्च की खेती की पैदावार ज्यादा होने की एक वजह यह भी है कि यहां सिंचाई के साधन बेहतर है. खेती के लिए मजदूर से लेकर तैयार फसल को बेचने के लिए बाजार तक उपलब्ध है, हालांकि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी मिर्च की खेती होती है, लेकिन इन दोनों क्षेत्रों की बात ही निराली है.

लॉकडाउन ने तोड़ी किसान की कमर

लोहरदगा में लॉकडाउन की वजह से जहां अन्य फसलों के पैदावार और किसान प्रभावित हुए हैं, वहीं मिर्च की खेती ने भी किसानों को तगड़ा झटका दिया है. जिले में किसानों का एक बड़ा वर्ग मिर्च की खेती के सहारे ही अपना जीवन यापन करते हैं, लेकिन इस बार लोहरदगा के किसानों को दोहरी मार पड़ गई है. पहले तो तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा के बाद कर्फ्यू की वजह से लोहरदगा लगभग 1 महीने तक डर का माहौल रहा, जिससे किसानों पर असर पड़ा. वहीं अब लॉकडाउन की वजह से खेती बर्बाद हो गई. मिर्च की पैदावार को जब बेचने की बारी आई तो ना तो कोई खरीदार मिल रहे और ना ही बाजार ही उपलब्ध है. किसान करें तो क्या करें. किसानों को अब कोई उपाय नहीं दिखा दे रहा है. अब तक सरकार की ओर से भी किसानों के लिए कोई पहल नहीं की गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

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लोहरदगा में 5102 हेक्टेयर जमीन में होती है सब्जी की खेती

लोहरदगा जिले में 55070 हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य है, जिसमें से महज 7752 हेक्टेयर सिंचाई का क्षेत्र है. मिर्च की खेती कम पानी में भी बेहतर ढंग से सालों भर की जा सकती है. पूरे साल किसान इस खेती से मुनाफा कमाते हैं. जिले में धान, दलहन, तिलहन, मक्का, मडूवा के अलावा भी कई फसल होते हैं. जिले में लगभग 5102 हेक्टेयर जमीन में सब्जी की खेती भी की जाती है.

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने किसानों को पहल का भरोसा दिया है. चेंबर अध्यक्ष अभय अग्रवाल का साफ तौर पर कहना है कि किसानों की बदौलत ही हमारी व्यवस्था है, हम किसानों की समस्या और अधिकार को सरकार तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि किसानों को उनका हक मिलना ही चाहिए, परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो यदि किसान खुशहाल नहीं होगा, तो समाज किसी भी स्थिति में कुशल नहीं हो सकता है. चेंबर ऑफ कॉमर्स किसानों को बाजार और तमाम व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने को लेकर पहल जरूर करेगा.

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