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कोडरमाः बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ ने युवक को पीटा, हालत गंभीर

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Published : Sep 2, 2019, 9:29 PM IST

झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटना लगातार बढ़ती जा रही है. उसी कड़ी में कोडरमा में एक घटना सामने आया है, जहां एक समाजसेवी के बेटे को बच्चा चोरी के शक में पीटा गया. जिसके बाद उसे इलाज के लिए रांची रिम्स रेफर करना पड़ा. वहीं, युवक के पिता ने कहा कि आपसी रंजिश में युवक को पीटा गया है.

बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ ने युवक को पीटा

कोडरमाःबच्चा चोर की अफवाह में मॉब लिचिंग की घटना लगातार बढ़ती ही जा रही है. भले ही पुलिस मॉब लिचिंग की घटना को रोकने के लिए लोगों को जागरूक कर रही है, लेकिन अब आलम यह है कि बच्चा चोर और मॉब लिचिंग की आड़ में लोग आपसी रंजिश निकाल रहे हैं. ऐसी ही एक घटना सोमवार को कोडरमा में देखने को मिली जहां एक समाजसेवी के पुत्र को बच्चा चोर कह कर जमकर पिटाई की गई. पिटाई के बाद युवक की हालत गंभीर बताई जा रही है.

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बता दें कि खंभे से बंधा भीड़ का शिकार हो रहा युवक कोडरमा जिले के जयनगर प्रखंड के समाजसेवी दशरथ मोदी का पुत्र शशि भूषण मोदी है. जो हरिद्वार में रहता है. सोमवार डंडाडीह पावर हाउस के पास अपनी जमीन देखने गया था, लेकिन भीड़ ने युवक की पिटाई कर दी. खंभे से बंधा युवक लोगों को अपनी पहचान बता रहा था, लेकिन लोग इसके आधार कार्ड मांग रहे थे, वह मिन्नत कर रहा है, लेकिन लोग उसे बच्चा चोर कह कर इसका पहचान पत्र मांग रहे थे. वह पिता का नाम भी बता रहा था, लेकिन लोग सुनने के बजाय उसे पीट रहे थे.

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पिता का आरोप है, कि जमीन विवाद में ही गांव के कुछ लोगों ने घात लगाकर रखा था. जिसके बाद उसपर बच्चा चोर का आरोप लगाया गया. जिसके बाद उसकी जमकर पिटाई की. हालत यह है कि उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए स्थानीय डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए रांची रेफर कर दिया है. जनप्रतिनिधि भी मानते हैं कि बच्चा चोर की अफवाह के कारण निर्दोष और मासूम लोग मॉब लिंचिंग का शिकार हो रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करने की जरूरत है.

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भले ही पुलिस प्रशासन बच्चा चोरी की अफवाह और मॉब लिंचिंग की घटनाओं से लोगों को बचने की सलाह दें रहे हैं. लेकिन हालात बद से बदतर होती जा रही है. लोग अब मॉब लिचिंग के बहाने अपनी पुराने रंजिश को अंजाम दे रहे हैं. हालांकि कोडरमा एसडीपीओ ने लोगों को चेतावनी दी है कि अब इस तरह की घटनाओं से बचना होगा, नहीं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.


कहा जाता है कि भीड़ की कोई शक्ल नहीं होती और फिर जब भीड़ हिंसा पर उतर आए तो मामला संगीन हो जाता है. पुलिस कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा तो देती है, लेकिन अक्सर भीड़ की शक्ल पहचान में नहीं आती है. यही कारण है कि अब लोग अपनी रंजिश निकालने के लिए खुद को भीड़ का शक्ल दे देते है. जिसके बाद कानून के किताब में उसे मॉब लिचिंग की संज्ञा दे दी जाती है.

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