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अंधविश्वास के चक्कर में ग्रामीणों ने किया एक परिवार को प्रताड़ित, हुक्का-पानी किया बंद

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Published : Mar 9, 2020, 9:40 PM IST

झारखंड आज भी डायन जैसी कुप्रथा से बाहर नहीं निकल पाई है. इसका जीता जागता उदाहरण है गुमला जिला के रायडीह प्रखंड क्षेत्र के कासीर टंगराटोली, जहां डायन बताकर एक परिवार को ग्रामीणों ने बहिष्कृत कर दिया है. वहीं, अगर पीड़ित परिवार से कोई भी ग्रामीण बात करेगा तो उसे दस हजार रुपए जुर्माना देना होता है. इस मामले में पीड़ित परिवार ने थाना में आवेदन दिया है.

villagers Harassed a family by calling him a witch in Gumla
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गुमला:आज हम भले ही डिजिटल इंडिया की बात करते हैं. हम कहते हैं कि हमने काफी तरक्की कर ली है, विदेशो में भारत का डंका बज रहा है. मगर जमीनी हकीकत यह है कि आज भी हम डायन जैसे कुप्रथा से बाहर नहीं निकल पाए हैं.

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डायन बिसाही का आरोप

इस कुप्रथा के कारण न जाने कितने महिलाओं की जान चली गई है. अभी एक ताजा मामला सामने आया है. मामला है गुमला जिला के रायडीह प्रखंड क्षेत्र के कासीर टंगराटोली की. इस गांव में एक परिवार वालों को गांव वालों ने डायन बिसाही का आरोप लगाकर बहिष्कृत कर दिया है.

कोई बात करेगा तो जुर्माना
गांव वालों ने पीड़ित परिवार के साथ किसी भी ग्रामीण का उठने बैठने पर पाबंदी लगा दी है. इस परिवार को न तो कुएं से पानी भरने दिया जाता है और न ही कोई ग्रामीण इस परिवार से बात कर सकता है. अगर इस प्रतिबंध को गांव का कोई भी व्यक्ति तोड़ता है तो उस पर गांव वाले दस हजार रुपए का जुर्माना लगाएंगे.

पीड़ित परिवार

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स्कूल में भी नहीं करता कोई बात

हद तो यहां तक है कि इस परिवार में दो लड़कियां हैं और इन दोनों लड़कियों से भी गांव की कोई लड़कियां बात नहीं करती है, वे स्कूल भी जाती हैं तो उनसे कोई बात नहीं करता है. इसको लेकर पीड़ित परिवार ने रायडीह थाना में ग्रामीणों के विरुद्ध मामला दर्ज कराया है.

जमीन विवाद से जुड़ा मामला!

दरअसल, यह पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है. गांव के कुछ ग्रामीणों से जब हमने बात किया तो वे कैमरे के सामने तो नहीं आए मगर उन्होंने बताया कि गांव में पक्की सड़क बन रही है और सड़क बनाने में पीड़ित परिवार का थोड़ा सा जमीन आ जा रहा है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं. जबकि गांव के सभी लोग यह चाहते हैं कि सड़क बने ताकि ग्रामीणों को सुविधा हो. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क बनने के दौरान सिर्फ उसी परिवार का जमीन नहीं जा रहा है, गांव के अन्य लोगों की भी जमीन जा रही है. मगर वह जमीन देना नहीं चाहता है. जबकि गांव के जिन लोगों की जमीन जा रही है उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

थाना

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घुट-घुटकर जीने को मजबूर
इस मामले पर पीड़ित परिवार के महिला ने कहा कि गांव के लोग हमें प्रताड़ित कर रहे हैं. गांव से हमें सामाजिक बहिष्कृत किया गया है. गांव वाले हमसे बात नहीं करते हैं, जिसके कारण हम घुट घुटकर जी रहे हैं. गांव वालों ने यह भी प्रतिबंध कर दिया है कि अगर हमारे साथ कोई बैठता भी है तो उसे दस हजार रुपए जुर्माना देना होगा.

कुएं से पानी भरने पर रोक

प्रताड़ना यहीं नहीं रुकी है, हमारे कुएं से पानी भरने पर भी रोक लगाया गया है. वहीं, पीड़ित परिवार के पुरुष सदस्य ने कहा कि मेरी पत्नी के ऊपर डायन बिसाही का आरोप लगाकर एक व्यक्ति घर आया था तो मैंने उसे समझाया कि बेकार की बातें क्यों कर रहे हो डायन बिसाही क्यों बोलते हो.

उसके बाद से गांव वालों ने हमें किनारे कर दिया और सभी गांव वाले एक तरफ हो गए हैं. जब मेरे दादा जी का देहांत हुआ था तो उस समय भी गांव वालों ने साथ नहीं दिया. कोई भी व्यक्ति मेरे दादाजी के दफन क्रिया में शामिल नहीं हुआ था.

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लिखित आवेदन दर्ज
वहीं, इस मामले पर रायडीह थाना के प्रभारी ने कहा कि एक लिखित आवेदन मिला है. जिस पर प्राथमिकी दर्ज कर लिया गया है और अनुसंधान किया जा रहा है. अनुसंधान के बाद जो भी दोषी होंगे उस पर कानूनी कार्रवाई किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आवेदनकर्ता ने अपने आवेदन में कहा है कि गांव वाले उनके परिवार को डायन बिसाही बोलकर प्रताड़ित करते हैं. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला जमीन विवाद का लगता है.

जानकारी देते उपायुक्त

एक दिन पहले हुआ था डायन कुप्रथा जागरूकता शिविर
हालांकि एक दिन पूर्व ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जिला मुख्यालय स्थित इंडोर स्टेडियम में डायन कुप्रथा से संबंधित जागरूकता शिविर आयोजित की गई थी. जिसमें जिले के उपायुक्त ने शिविर में शामिल महिलाओं को संबोधित करते हुए डायन जैसे कुप्रथा से निकलने की बात कही थी और उन्हें समझाया था कि डायन जैसी कोई बात नहीं है. यह लोगों के जेहन में लंबे समय से बैठा हुआ है जो हमारे पुराने लोगों की सोच है, उसे हम ढोते आ रहे हैं. आज हम भले ही पढ़ लिख लिए हैं, लेकिन लोगों में एक डर बना हुआ है. लेकिन लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, ऐसे अंधविश्वास से सभी को बाहर आने की जरूरत है.

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