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12 साल बाद भी नहीं मिला भू-विस्थापितों को जमीन का पट्टा, प्रशासन से लगायी मदद की गुहार

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Published : Jul 23, 2020, 10:37 PM IST

गोड्डा के अंतर्गत ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया पिछले 12 वर्षों से भू-विस्थापितों को जमीन का पट्टा देने के लिए दौड़ा रही है. जबकि उनकी जमीन को प्रबंधन ने अधिग्रहण कर उस पर उत्खनन भी कर लिया. भू-विस्थापित परिवारों को अब प्रमाण पत्र बनाने के लिए भटकना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें ईसीएल ने अभी तक पट्टा ही नहीं दिया है.

people did not get land in godda
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गोड्डा: जिला के ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया में भू-विस्थापितों के साथ प्रबंधन पिछले 12 वर्षों से छलावा कर रही है. इस कारण भू-विस्थापित परिवार अपना जाति-निवासी प्रमाण पत्र बनाने लिए ब्लॉक के दफ्तरी के चक्कर लगा रहे, जहां उनके लिए ये साबित करना मुश्किल हो रहा है कि वो यहीं के स्थानीय निवासी हैं.

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क्या है मामला

असल में 2012 में बड़ा भोडाय को ईसीएल प्रबंधन ने विस्थापित किया था. बदले में उन्हें जमीन एक टुकड़ा कहीं और देने का वादा किया गया था. साथ ही उन्हें दी जाने वाली जमीन का प्लॉट दिखा भी दिया गया, लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी जमीन के उस प्लॉट का भू-विस्थापितों का पर्चा नहीं दिया गया है. ऐसे लगभग भोडाय के 70 से 80 परिवार है, जिन्हें ईसीएल प्रबंधन ने आज तक जमीन नहीं दिया है. जो जमीन भू-विस्थापितों को दिखाई गयी है. उस जमीन पर उसके पुराने मालिकाना हक वाले लोग अब दावा करने लगे हैं.

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मूल निवासी साबित करन में मुश्किलें

मामले के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि जो सबसे बड़ी समस्या है, वो है कि जिन लोगों की जमीन ईसीएल ने ले रखी है और उसके जमीन में उत्खनन भी हो रहा है उसका अस्तित्व अब खत्म हो चुका है. ऐसे में भू-विस्थापितों के पास ईसीएल से आवंटित की गयी जमीन का कोई पर्चा भी नहीं है. इस कारण उन्हें प्रखंड कार्यालय में ये साबित करने में मुश्किले हो रही हैं कि वो यहां के मूल निवासी हैं.

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