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गिरिडीह में यूनियन लीडरों ने किया प्रदर्शन, कोयला खदानों की नीलामी रोकने की मांग की

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Published : Jun 18, 2020, 6:26 PM IST

गिरिडीह जिले में कोयला खदानों की नीलामी को लेकर यूनियन के लोग खासे नाराज हैं. गुरुवार को विभिन्न यूनियन के पदाधिकारियों ने गिरिडीह कोलियरी के समक्ष प्रदर्शन किया.

Union leaders protested in Giridih
गिरिडीह में यूनियन लीडरों ने किया प्रदर्शन

गिरिडीह: कमर्शियल माइनिंग-कोल ब्लॉक की नीलामी से मजदूर यूनियन में नाराजगी देखी जा रही है. गुरुवार को इसे लेकर संयुक्त मोर्चा के बैनर तले विभिन्न मजदूर यूनियन के नेताओं ने प्रदर्शन किया. राकोमस के एनपी सिंह (बुल्लू), एटक के देव शंकर मिश्रा, बीएमएस के प्रमोद सिंह, कोयला मजदूर यूनियन के शिवाजी सिंह, झारखंड कोयला मजदूर यूनियन के तेजलाल मंडल और सीएमडब्ल्यूयू के राजेश यादव के नेतृत्व में सीसीएल महाप्रबंधक कार्यालय के सामने प्रदर्शन और नारेबाजी की गई.

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प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कामर्शियल माइनिंग, कोयला खदानों की नीलामी तुरंत बंद करनी चाहिए. कोल इंडिया को कमजोर करने की साजिश को रोकने, सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने, ठेकेदार के मजदूरों के मजदूरी का निर्धारण हाई पॉवर कमिटी से करने और 9.4.0, 9.3.0, और 9.5.0 के प्रावधनों को पूर्ववत लागू करना होगा. इसके बाद एक मांगपत्र महाप्रबंधक के अनुपस्थिति में परियोजना पदाधिकारी को सौंपा गया. इस दौरान प्रदीप दराद, राजेश सिन्हा, इकबाल, अमित यादव, सरफराज आदि मौजूद थे.

18 जून को नीलामी

भारत सरकार की ओर से 18 जून को शुरू होने जा रही नीलामी प्रक्रिया में झारखंड की 22 कोयला खदानें भी शामिल हैं. इन सभी के नीलाम होने पर झारखंड के खाते में कुल मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपए आने की उम्मीद है. यह राशि रॉयल्टी के अलवा खनिज विकास कोष में कपंनियों के अंशदान के रूप में मिलेगी. हर कोयला खान में खनन की अवधि 30 साल की होती है. इस तरह लगभग तीन हजार करोड़ रुपए हर साल झारखंड सरकार के खजाने में आएंगे. सभी 22 खदानों के नीलाम हो जाने पर लगभग 30 हजार लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है. एक खदान में सभी स्तरों को मिलाकर लगभग 700 लोगों को नौकरी मिलती है. इस तरह 15 हजार लोगों को सीधी नौकरी की आशा है. इसी तरह 15 हजार लोगों को ट्रांसपोर्टेशन और बाकी आपूर्ति श्रृंखला में मिलेगा.

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