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झारखंड में बेशकीमती रत्न पन्ना का बड़ा भंडार, 38 वर्ग किमी के रेंज वाले दो ब्लॉक्स की होगी नीलामी

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Published : Aug 22, 2022, 8:35 PM IST

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में पन्ना का बड़ा भंडार है, जहां पर खनन के लिए जल्द ही ब्लॉक्स की नीलामी होगी. अक्टूबर-नवंबर में नीलामी के लिए टेंडर जारी होने की संभावना है. Large stock of precious gem emerald in Jharkhand.

Large stock of precious gem emerald in Jharkhand
Large stock of precious gem emerald in Jharkhand

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांधा में लगभग 38-40 वर्ग किलोमीटर के रेंज में फैली पहाड़ियों में बेशकीमती रत्न पन्ना का बड़ा भंडार (Panna stock in East Singhbhum) है. खनन एवं भू-तत्व विभाग ने एक दशक पहले ही इसका पता लगा लिया था. अब सरकार ने यहां पन्ना के व्यावसायिक खनन के लिए इसके दो ब्लॉक्स को चिन्हित कर लिया है और इनकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू (Auction of blocks for excavation of Panna in East Singhbhum) की जा रही है.

यदि सब कुछ ठीक रहा तो आगामी अक्टूबर-नवंबर में नीलामी का टेंडर जारी कर दिया जायेगा. ऐसा होने से झारखंड देश में पन्ना का खनन करने वाला पहला राज्य बन जायेगा. इससे इलाके में रोजगार के नये अवसरों के द्वार खुल सकते हैं. पन्ना एक बेहद बेशकीमती रत्न है. यह बेरिल खनिज का एक प्रकार है, जिसकी पहचान क्रोमियम और वैनेडियम जैसे तत्वों की मौजूदगी से की जाती है. गुड़ाबांधा में मिलने वाले पन्ना के सैंपल की जांच कोलकाता स्थित जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) की प्रयोगशाला में करायी गयी. इसकी रिपोर्ट में यहां पाये जाने वाले पन्ना की क्वालिटी बेहद उम्दा बतायी गयी है.

खनन एवं भूतत्व विभाग ने पन्ना के खनन के लिए जो दो ब्लॉक्स चिन्हित किये हैं, उनमें से एक का क्षेत्रफल 25 वर्ग किलोमीटर और दूसरे का 13 वर्ग किलोमीटर है. ये दोनों इलाके जमशेदपुर से करीब 85 किमी दूर स्थित हैं. यहां पावड़ी, झारपोखरिया, पोखरडीहा बारुनमुठी, खरकुगोड़ा सहित 45 पहाड़ियां हैं. इनकी ऊंचाई एक हजार से 15 सौ फीट तक है. 25 वर्ग किलोमीटर वाले बड़े ब्लॉक में बारुनमुठी और गुड़ाबांधा शामिल हैं, जबकि 13 वर्ग किलोमीटर वाले दूसरे ब्लॉक में चिड़िया पहाड़, हड़ियान, उड़ियान और बाहुटिया की पहाड़ियां शामिल हैं. अनुमान है कि यहां लगभग 628 एकड़ भूमि इलाके में पन्ना मौजूद है.

इस इलाके में पन्ना के भंडार का पता सरकार को तब चला, जब वर्ष 2012 में बेनीडांगर नामक जगह पर अवैध खनन के दौरान तीन लोगों की मौत हो गयी थी. जांच हुई तो पता चला कि ये लोग पन्ना का खनन कर रहे थे. पता चला कि यहां राजस्थान के जयपुर, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि राज्यों के पत्थर के कारोबारी गुपचुप तरीके से स्थानीय मजदूरों से पन्ना का खनन करवा रहे थे.

राज्य के भूतत्व निदेशक विजय कुमार ओझा के अनुसार, इन दोनों ब्लॉक्स में ड्रोन सर्वे, टोपोग्राफी मैपिंग, जियोलाजिकल मैपिंग के जरिए भू-तात्विक सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है. पिछले हफ्ते रांची में झारखंड राज्य भूतात्विक कार्यक्रम परिषद की बैठक में इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गयी है. जियोलॉजिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए विभाग ने वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई है. टीम में ज्योति कुमार सत्पथी, अवनीस सिंह, संजीव कुमार एवं अन्य शामिल हैं.

बता दें कि झारखंड सरकार ने माइनिंग सेक्टर से होनेवाली आय को बढ़ाने के लिए बड़ी कार्ययोजना तैयार की है. इसके लिए सरकार ने झारखंड अन्वेषण एवं खनन निगम लिमिटेड (जेइएमसीएल) नामक कंपनी बनायी है. सरकार इसे एक हजार करोड़ की पूंजी वाली कंपनी के रूप में विकसित करेगी. यह कंपनी खनिज की खोज, उत्पादन और नीलामी आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी. सीएम ने खनन एवं भू-तत्व विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर माइनिंग सर्विलांस सर्विस सिस्टम डेवलप करने का निर्देश दिया था.

पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांधा (Gudabandha of East Singhbhum) इलाके में पन्ना की अवैध खुदाई पिछले दस साल से हो रही है. बहरहाल, अब खदानों की आधिकारिक तौर पर बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की उम्मीद बढ़ी है. अनुमान है कि इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर कम से कम दस हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा. सरकार ने जो पॉलिसी तय की है, उसके अनुसार राज्य में लीज पर खदान चलाने वाली कंपनियों को 75 प्रतिशत पदों पर स्थानीय लोगों को नियुक्त करना होगा. Large stock of precious gem emerald in Jharkhand.

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