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आध्यात्म की राह पर झारखंड राज्य की अलख जगाने वाले सूर्य सिंह बेसरा, जानें क्या करेंगे अब

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Published : May 30, 2021, 8:38 PM IST

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झारखंड पीपुल्स पार्टी के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा

झारखंड पीपुल्स पार्टी के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा ने राजनीति के बाद नए तरह से जीवन जीने का फैसला किया है. कोरोना से जंग जीतने के बाद उन्होंने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की है.

जमशेदपुरःझारखंड पीपुल्स पार्टी (Jharkhand People's Party) के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा ने कोरोना से स्वस्थ होने के बाद आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की है. इसको लेकर पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने अपना एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने बताया कि वह 30 मई से आध्यात्मिक जीवन की शुभारंभ कर रहे हैं. अब उनका नया नाम सूर्यावतार देवदूत होगा.

झारखंड पीपुल्स पार्टी के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा

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सूर्य सिंह बेसरा ने लगाई थी मदद की गुहार
जमशेदपुर के टेल्को घोड़ाबांधा क्षेत्र निवासी पूर्व विधायक सह झारखंड पीपुल्स पार्टी के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा अब राजनीति के बाद अब आध्यात्मिक जीवन शुरू कर रहे हैं. सूर्य सिंह बेसरा कोरोना से संक्रमित पाए गए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी कर मदद की गुहार लगाई थी. एक माह तक उपचार के बाद वे स्वस्थ हुए हैं.

ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू की स्थापना
पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने बताया कि वे 30 मई से आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि करीब 22 दिन के बाद कोरोना से जंग जीत कर नई जिंदगी हासिल की है. उनका कहना है कि वह बरसों से भगवान की खोज में थे और उन्हें मिल भी गए. बेसरा का कहना है कि उनकी उम्र 65 वर्ष पूरी हो चुकी है और आधी जिंदगी अलग झारखंड राज्य के निर्माण में संघर्षमय जिंदगी बिताई है. उनके नेतृत्व में आजसू के संघर्ष के परिणाम स्वरूप ही झारखंड राज हासिल हुआ है. बेसरा ने भालू पत्रा स्कूल से 1976 में मैट्रिक पास करने के बाद पैतृक गांव छामडाघुटू में एक प्राथमिक स्कूल की स्थापना की थी. 1983 में जब घाटशिला कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की तब मुसाबनी में सिदो कान्हू जनजातीय महाविद्यालय की स्थापना की. 1986 में रांची विश्वविद्यालय से संथाली में स्नातकोत्तर पास कर ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू की स्थापना की.

घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित
सूर्य सिंह बेसरा 1990 में घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए. 1 वर्ष 5 महीने के अंदर झारखंड अलग राज्य के मुद्दे पर जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ललकारा तब बेसरा ने प्रतिक्रिया और प्रतिवाद स्वरूप बिहार विधानसभा से 12 अगस्त 1991 को त्यागपत्र दे दिया था. 1991 में उन्होंने झारखंड पीपुल्स पार्टी जेपीपी की स्थापना की थी.

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मधुशाला के लिए अनुवाद पुरस्कार
सूर्य सिंह बेसरा ने विश्व कवि रविंद्र नाथ ठाकुर की ओर से रचित गीतांजलि और डॉ हरिवंश राय बच्चन की ओर से रचित मधुशाला का संथाली में अनुवाद किया. बेसरा ने 2017 में घाटशिला स्थित दाम पाढ़ा लेदा में संताल विश्वविद्यालय की स्थापना की. उसी वर्ष भारत सरकार की ओर से अंगीकृत साहित्य अकादमी नई दिल्ली की ओर से मधुशाला के लिए अनुवाद पुरस्कार उन्हें मिला. सूर्य सिंह बेसरा को झारखंड रत्न, झारखंड आंदोलनकारी सेनानी, उत्कृष्ट विधायक, भारत सेवा रत्न, साहित्य शिखर सम्मान, उपाधि देकर उन्हें विभूषित किया गया है.

राजनीति से पूरी तरह संन्यास लेने की घोषणा नहीं
सूर्य सिंह बेसरा ने बताया कि अब सृष्टि, प्रकृति और प्रवृत्ति के बीच आध्यात्मिक अध्ययन करेंगे. भगवान की खोज में निकले थे, अब वे विश्वास प्राप्त कर चुके हैं कि भगवान प्रकृति में है. बेसरा का मानना है कि भले ही अलग-अलग मजहब का अलग-अलग रास्ते हों, लेकिन सबका मालिक एक है. वे अब बाकी की जिंदगी का सफर आध्यात्मिक के रास्ते से तय करेंगे. हालांकि राजनीति से पूरी तरह संन्यास लेने की घोषणा उन्होंने नहीं की है.

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