झारखंड

jharkhand

27 जनवरी को केंद्र सरकार करेगी झरिया की किस्मत का फैसला, एक लाख से ज्यादा लोग हैं प्रभावित

By

Published : Jan 10, 2023, 8:10 PM IST

Updated : Jan 10, 2023, 8:43 PM IST

Jharia fire affected area
डिजाइन इमेज

झरिया आग प्रभावित क्षेत्र (Jharia fire affected area) के लोगों की जिंदगी खतरे में है. उन्हें दूसरी जगह बसाने का मास्टर प्लान सफल नहीं हो पाया है. इसे लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर एक्शन में है. 27 जनवरी को इस मुद्दे को लेकर हाई लेवल मीटिंग होने वाली है, जिसमें संशोधित झरिया मास्टर प्लान पर चर्चा हो सकती है.

रांची: झारखंड के झरिया में दशकों से जमीन के अंदर धधक रही आग और अनगिनत दरारों से उठते धुएं के बीच लाखों लोगों की जिंदगियां खतरे में हैं (Jharia fire affected area). झरिया में कोयला खदानों का संचालन करने वाली कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लि) ने बीते सितंबर महीने में ही पूरे शहर को असुरक्षित कर इसे खाली करने का नोटिस जारी किया था. अब केंद्र सरकार ने इस शहर की बड़ी आबादी को यहां से हटाकर सुरक्षित जगहों पर बसाने के प्रस्तावित संशोधित झरिया मास्टर प्लान (Revised Jharia master plan) पर एक बार फिर मंथन शुरू किया है.

ये भी पढ़ें-कितना बढ़िया 'नया झरिया', जानिए बेलगड़िया टाउनशिप की 'हकीकत'

27 जनवरी को केंद्रीय कैबिनेट सचिव इस मसले पर हाई लेवल मीटिंग करेंगे. इसमें कोयला सचिव, झारखंड के मुख्य सचिव और कोयला कंपनियों बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लि) और ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि) के आला अधिकारी भी भाग लेंगे. कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने बीते सोमवार को कोयला कंपनियों की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी.

बता दें कि कोयले के भंडार के ऊपर बसे झरिया की भौंरा कोलियरी में वर्ष 1916 में पहली बार आग लगी थी. इसके बाद धीरे-धीरे यहां के बाकी इलाकों में भी जमीन के अंदर आग फैलती चली गई. एक शताब्दी बाद भी यहां की आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. दर्जनों योजनाओं और बेहिसाब खर्च के बाद भी आग का दायरा लगातार बढ़ता गया. इलाके में भू-धंसान की हजारों घटनाएं हो चुकी हैं.

आखिरकार केंद्र और राज्य की सरकारों ने माना कि अग्नि प्रभावित और भू-धंसान वाले इलाके से लोगों को हटाकर दूसरी जगह पर बसाना ही एकमात्र उपाय है. इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की साझीदारी से इसके लिए मास्टर प्लान बनाकर इसपर वर्ष 2009 में काम शुरू हुआ था. 11 अगस्त 2009 को लागू हुए इस मास्टर प्लान की मियाद 2021 के अगस्त महीने में खत्म हो गयी, लेकिन आग के मुहाने पर बैठी आबादी को स्थानातंरित करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया.

मास्टर प्लान के मुताबिक भूमिगत खदानों में लगी आग को नियंत्रित करने के साथ-साथ 12 साल बाद यानी अगस्त 2021 तक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए दूसरी जगहों पर आवास बनाकर उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाना था, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. आगामी 27 जनवरी को केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बुलाई गई बैठक में मास्टर प्लान को रिवाइज करने पर निर्णय लिया जा सकता है.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार को पुराने मास्टर प्लान को लेकर सौंपी गयी मूल्यांकन रिपोर्ट में बताया गया है कि फायर कंट्रोल के लिए किये गये उपायों के परिणाम स्वरूप अग्नि प्रभावित क्षेत्र का दायरा काफी कम हो गया है. 2021 में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार भूमिगत आग का दायरा 17.32 वर्ग किलोमीटर से घटकर 1.8 वर्ग किलोमीटर रह गया है. मास्टर प्लान जब लागू हुआ था, तब 70 साइटों पर फायर प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. 2021 की रिपोर्ट के अनुसार ऐसी साइटों की संख्या 17 रह गयी है.

मास्टर प्लान में अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रहनेवाले रैयतों, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड बीसीसीएल के कामगारों और कोलियरी की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा कर रह रहे लोगों के पुनर्वास की योजना थी. जिन्हें दूसरी जगहों पर स्थानांतरित किया जाना था, उनके लिए 2004 का कट ऑफ डेट तय किया गया था. यानी इस वर्ष तक हुए सर्वे के अनुसार जो लोग यहां रह रहे थे, उन्हें दूसरी जगहों पर आवास दिये जाने थे. इस सर्वे में कुल 54 हजार परिवार चिन्हित किये गये थे, लेकिन 12 वर्षों में इनमें से बमुश्किल 4000 परिवारों को ही दूसरी जगह बसाया जा सका है. इस बीच 2019 में कराये गये सर्वे में पता चला कि अग्नि और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे परिवारों की संख्या बढ़कर 1 लाख 4 हजार हो गयी है.

इनपुट-आईएएनएस

Last Updated :Jan 10, 2023, 8:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details