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मजदूर संघ का बोकारो प्रबंधन के अधिकारियों पर 200 करोड़ सालाना लूट का आरोप, सीबीआई जांच की मांग की

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Published : Aug 10, 2023, 4:45 PM IST

बोकारो में सेल प्रबंधन के खिलाफ क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रबंधन पर मजदूरों के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया.

200 crores annual loot in bokaro
200 crores annual loot in bokaro

राजेंद्र सिंह, सदस्य एनजेसीएस

बोकारो:जिले मेंक्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ ने बुधवार को सेल बोकारो स्टील के मजदूर और ठेका मजदूरों के लंबित मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. यह विरोध प्रदर्शन पूर्व घोषित था. इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संघ के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने विराट प्रदर्शन को संबोधित किया. इस दौरान वह बोकारो प्रबंधन के साथ सेल प्रबंधन पर भी जमकर बरसे. साथ ही अधिकारियों पर 200 करोड़ रुपए की लूट का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की.

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राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज ही के दिन 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया था. हमें अग्रेंजो से आजादी मिल गई. मगर आजादी के 75 वर्ष बाद भी यहां के मजदूर खास कर ठेका मजदूर गुलामी और दासता को मजबूर हैं. लंबे इंतजार के बाद सेल के मजदूरों का वेज रिवीजन का एमओयू हुआ. लेकिन, सेल प्रबंधन इतना लचर और सुस्त है कि अब तक मजदूरों को वेज रिवीजन का पूरा लाभ नहीं मिल सका है. आज भी मजदूरों की खून पसीने की कमाई का 39 महीने का एरियर प्रबंधन दबाकर बैठी है. मजदूरों को रात्रि पाली भत्ता का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं क्षमता से अधिक उत्पादन लक्ष्य तय कर प्रबंधन मजदूरों के इंसेंटिव रिवॉर्ड पर भी चाकू चलाने से बाज नहीं आ रही है. मजदूरों का पेट काटकर अधिकारियों की झोली भरी जा रही है.

ठेका मजदूरों की स्थिति और भी दयनीय:उन्होंने आगे कहा कि ठेका मजदूरों की स्थिति और भी दयनीय है. कारखाना में भवन निर्माण और बीड़ी पत्ता का मिनिमम वेज सुनने से ही हास्यास्पद लगता है. मगर यहां यही नियम है. वह भी मिनिमम वेज लगभग 90% मजदूरों को नहीं मिलता है. जो मजदूर मिनिमम वेज के लिए आवाज उठाते हैं. उन्हें प्लांट से बाहर निकाल दिया जाता है. अधिकारी मजदूरों का शोषण करने में पारंगत हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ठेका मजदूरों के ग्रुप इंश्योरेंस पर कई वादे किए गए. लेकिन, ग्रुप इंश्योरेंस नहीं किया गया. सेल के ही कई इकाइयों में ठेका मजदूरों को ग्रेच्युटी मिलता है, लेकिन, बोकारो प्रबंधन को सिर्फ उत्पादन का रिकॉर्ड हासिल करना है, बाकी मजदूर मरते हैं तो मरें. भ्रष्टाचार तो इतनी चरम पर है कि ठेका मजदूरों की गाढ़ी कमाई जैसे मिनिमम वेज, एडब्ल्यूए, फाइनल का हर वर्ष लगभग ₹200 करोड़ अधिकारी और ठेकेदार मिलकर बंदरबांट कर रहे हैं. उन्होंने इस लूट की सीबीआई जांच की मांग की है.

लंबित मांगों का निपटारा नहीं तो दिल्ली जाएंगे मजदूर:उन्होंने बताया कि 4 अगस्त को हुई सेल चेयरमैन से वार्ता के दौरान हमने मांग की है कि अगस्त माह में एनजेसीएस की बैठक बुलाकर सभी लंबित मामलों का निपटारा करी जाए. अगर प्रबंधन लंबित मामलों के निपटारे में टालमटोल करती है. तो 9-10 सितंबर 2023 को दुर्गापुर में होने वाली यूनियन के महासम्मेलन में आर पार की आखिरी लड़ाई की घोषणा की जाएगा. साथ ही सैकड़ो मजदूर दिल्ली सेल अध्यक्ष कार्यालय कूच करने को बाध्य होंगे.

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