रांचीः1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based domicile Policy) को लेकर लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिनके पास 1932 का खतियान नहीं है, उन्हें भी डरने की जरूरत नहीं है. गुरुवार को झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत ने ये बातें कहीं, उन्होंने कहा कि 1932 के पहले भी कई सर्वे हुए हैं और उसका पूरा डाक्यूमेंट्स उपलब्ध है. इस मसले पर हमारी सरकार पूरी तरह गंभीर है.
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सुखदेव भगत ने कहा कि 1932 खतियान को लेकर कुछ लोग राज्य में भ्रम फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांधी के देश में कोई फैसला होगा तो गांधीवादी तरीके से होगा. गोडसे के तरीके से नहीं होगा. उन्होंने कहा कि असम और अंडमान में 300 वर्षों से आदिवासी रह रहे हैं, उन्हें ट्राइबल कार्ड तक नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि किरायेदार चाहे लाख सक्षम हो जाये, वह मकान मालिक नहीं बन सकता है.
सुखदेव ने कहा कि राज्य के विकास में सब का योगदान है. लेकिन स्थानीय व्यक्ति कौन है. इसके लिए कोई एक आधार होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 1932 खतियान को आधार माना है. 1932 खतियान झारखंड की अस्मिता और पहचान से जुड़ा हुआ है. यहां के लोगों के स्वाभिमान से जुड़ा है. सुखदेव भगत ने कहा कि स्थानीयता को लेकर हेमंत कैबिनेट ने जो फैसला लिया है, उसका समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने यह बातें फैला कर भ्रम की स्थिति पैदा की है कि 1932 के खतियान संविधान के प्रतिकूल है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि 1932 हमारी पहचान और अस्मिता से जुड़ा हुआ है. जिस तरह 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने भाषा आधारित राज्य बनाया, उसी प्रकार हमारी सरकार ने 1932 के खतियान को आधार बनाया और पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट किया है कि एक व्यक्ति का कई राज्यों का स्थानीयता नहीं हो सकता.