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Earthquake in Himachal: हिमाचल में हर साल आते हैं भूकंप, अंधाधुंध निर्माण पर हाईकोर्ट से लेकर कैग तक ने दी है चेतावनी

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 6, 2023, 9:03 AM IST

हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है. हिमाचल भूकंप के जोन-5 में आता है. हिमाचल में हर साल औसतन 20 से 30 भूकंप आते हैं. जिसके कारण हिमाचल हाईकोर्ट से लेकर कैग तक ने भूकंप को लेकर चेतावनी दी है. कैग की रिपोर्ट में हिमाचल में अनियोजित तरीके से किए जा रहे निर्माण कार्यों पर चिंता जताई गई. (Earthquake in Himachal)

Earthquake in Himachal
हिमाचल में भूकंप का खतरा

शिमला: साल 1905 में भयावह भूकंप झेल चुके हिमाचल प्रदेश के लिए प्राकृतिक आपदा को लेकर स्थितियां गंभीर हैं. हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से संवेदनशील पांचवें जोन में आता है. हाल ही में 3 अक्टूबर को नेपाल सहित, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व भारत के कई शहरों में भूकंप के झटके आए थे. हिमाचल भी इससे अछूता नहीं था. हिमाचल में हर साल औसतन 20 से 30 भूकंप आते हैं. कुछ लघु यानी छोटे झटकों को भी शामिल करें तो ये संख्या और बढ़ जाती है.

हिमाचल पर भूकंप की तलवार:उदाहरण के लिए साल 2022 में हिमाचल में छोटे व मध्यम तीव्रता वाले 53 भूकंप आए थे. हालांकि बीते बरसों में भूकंप से जान-माल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन खतरे की तलवार निरंतर लटक रही है. इस प्राकृतिक आपदा को लेकर हाईकोर्ट व कैग ने भी कई बार चेतावनियां जारी की हैं. कैग की साल 2017 की रिपोर्ट में दर्ज है कि ढलान पर बने शिमला के मकान भूकंप आने पर तबाही का मंजर पेश करेंगे. हिमाचल हाईकोर्ट ने भी समय-समय पर अंधाधुंध निर्माण से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई पर राज्य सरकार को भूकंप के खतरे को लेकर चेताया है. गुरुवार को शिमला में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आपदाओं पर मंथन को लेकर आयोजित वर्कशाप में इस खतरे पर चर्चा की है.

भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील हिमाचल प्रदेश

कैग ने क्यों दिया न्यूजीलैंड का उदाहरण: शिमला के उपनगर चक्कर, संजौली, सिमेट्री, विकासनगर आदि में कई जगह अनियोजित निर्माण हुआ है. अधिकांश मकान ढलान पर बने हुए हैं. कैग ने इसी बात पर चेताया है. कैग की 2017 की रिपोर्ट में तत्कालीन प्रधान लेखाकार आरएम जोहरी ने कहा था कि यदि हिमाचल में बड़ी तीव्रता का भूकंप आता है तो भारी तबाही होगी. आरएम जोहरी ने कहा था कि हैती में आए भूकंप में हजारों लोग इसलिए मौत का शिकार हुए हैं, क्योंकि वहां बेतरतीब निर्माण हुआ था. वहीं, न्यूजीलैंड में ढलान पर इस तरह का निर्माण नहीं था, लिहाजा वहां हैती जितनी तीव्रता का भूकंप आने के बावजूद अधिक तबाही नहीं हुई थी. हिमाचल को भी इसी तरह के नियोजित निर्माणों की जरूरत है.

हाईकोर्ट दे चुका है कई बार चेतावनी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इसी साल 12 फरवरी को राज्य सरकार को सोलन के समीप अंधाधुंध निर्माण पर चेताया था. हिमाचल हाईकोर्ट धर्मशाला, शिमला आदि में भी ऐसे ही निर्माण को लेकर सख्ती दिखा चुका है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वो कौन सी अथॉरिटी है, जो इस तरह के निर्माण की अनुमति देती है. पहाड़ियों को काट कर बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं. भूकंप आने पर इस तरह के निर्माण नुकसान और तबाही को बढ़ाते हैं. इससे पहले हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2022 को एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अदालत भूकंप के लिहाज से संवेदनशील धर्मशाला में ऐसे निर्माण की अनुमति नहीं दे सकती. इसी तरह साल 2018 में भी हिमाचल हाईकोर्ट तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने धर्मशाला में अवैध निर्माण को लेकर हिमाचल सरकार को सख्त शब्दों में फटकार लगाई थी. अदालत ने टिप्पणी की थी कि क्या सरकार नींद में सोई हुई है, जो धर्मशाला में ऐसे निर्माण हो रहे हैं?

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हिमाचल में भूकंप: उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू व किन्नौर संवेदनशील जोन नंबर पांच के तहत आते हैं. अपेक्षाकृत तीव्र झटकों के लिहाज से देखें तो हिमाचल में सालाना 20 से 50 के बीच भूकंप आते हैं. सुखद तथ्य ये है कि इन भूकंपों की तीव्रता बहुत अधिक नहीं रही है. अध्ययन बताता है कि हिमाचल में सर्दियों के समय में अधिक भूकंप आते हैं. जनवरी से मार्च की अवधि संवेदनशील है. नए साल यानी वर्ष 2023 की शुरुआत में 14 जनवरी को धर्मशाला में भूकंप आया था. वर्ष 2021 में भी चंबा में जनवरी में ही धरती हिली थी. चंबा जिले में 6 जनवरी को 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. फिर वर्ष 2021 में ही जनवरी महीने में एक रात में मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार कंपन हुआ. फिर 2021 में फरवरी महीने में 13 तारीख को शिमला में भूकंप आया था.

हिमाचल प्रदेश में अंधाधुंध निर्माण

हिमालय रेंज से हिमाचल में भूकंप का असर: साल 2022 में मार्च महीने में तो तीन दिन में तीन बार झटके महसूस किए गए. ये भूकंप चंबा व किन्नौर में महसूस किया गया. इनकी तीव्रता कम थी. नवंबर 2022 में 24 घंटे के भीतर चार बार धरती कांपी. तब मंडी जिले में आया झटका काफी तेज था. 20 दिसंबर 2019 को अफगानिस्तान के हिंदुकुश में भूकंप आया, जिसका असर ऊना, कुल्लू और कांगड़ा में भी महसूस किया गया. साल 2022 में 9 जनवरी को कांगड़ा की करेरी झील में भूकंप का केंद्र पाया गया, जिसके झटके मनाली में भी महसूस किए गए. इससे पता चलता है कि हिमालयन रेंज में होने के कारण अन्य स्थानों पर आने वाले भूकंप का असर हिमाचल में भी होता है.

हिमाचल ने देखी है 1905 की तबाही: साल 1905 में चार अप्रैल को कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप में 20 हजार लोगों की मौत हुई थी. यदि दशक के आंकड़े देखें तो 2006 से 2016 तक हिमाचल में 75 बार भूकंप आए. एक दशक आए 75 भूकंपों में से चालीस बार उनकी तीव्रता चार से कम रही. सुखद बात ये है कि कम तीव्रता से जनहानि नहीं हुई. भूकंप के अध्ययन बताते हैं कि एक दशक में आए 75 भूकंप में से 15 बार इनका केंद्र नेपाल, जम्मू-कश्मीर, पाकिस्तान और अफगानिस्तान रहा.

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1286 छोटे-बड़े भूकंप: विशेषज्ञों का मानना है कि लाहौल स्पीति जिले और जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र रही है. फिर कांगड़ा आठ प्रतिशत, किन्नौर पांच प्रतिशत, मंडी व शिमला छह-छह प्रतिशत व सोलन दो प्रतिशत केस में भूकंप का केंद्र रहा है. साल 2012 में 12 बार भूकंप आया था और सबकी तीव्रता चार से ऊपर थी. साल 2013 में 17 बार धरती हिली और भूकंप की तीव्रता चार से पौने पांच के बीच थी. साल 2014 में भी चार की तीव्रता वाले पांच भूकंप आए. फिर साल 2015 में 13 झटके आए. साल 1920 से लेकर 2020 तक की सदी का आकलन करें तो इस दौरान 1286 छोटे-बड़े भूकंप आए हैं. साल 2023 में भी 17 बार छोटे व मध्यम तीव्रता वाले भूकंप आ चुके हैं.

हिमाचल में हर साल आते हैं भूकंप

1905 के बाद भी हुई है तबाही: साल 1905 का कांगड़ा भूकंप तो भयावह था ही, उसके बाद भी हिमाचल दहला है. साल 1906 में 28 फरवरी को कुल्लू में रिक्टर स्केल पर 6.4 तीव्रता का भूकंप आया. एक सदी में हिमाचल में 41 भूकंप ऐसे थे, जिनकी तीव्रता पांच से अधिक रही, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ. साइंस व तकनीकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी एसएस रंधावा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में भूकंप का खतरा निरंतर बरकरार है, क्योंकि ये संवेदनशील जोन में है. उनका मानना है कि हिमाचल में नियोजित निर्माण कार्य जरूरी है.

शिक्षण संस्थानों में मॉक ड्रिल जरूरी: नेपाल में जब विनाशकारी भूकंप आया था तो उस समय हिमाचल से संबंध रखने वाली भूगोल विशेषज्ञ मीनाक्षी रघुवंशी ने यूएनओ के तहत राहत और बचाव कार्य में योगदान दिया था. उन्होंने नेपाल में सैंकड़ों भूकंप रोधी मकान बनाने में भूमिका निभाई थी. मीनाक्षी का कहना है कि हिमाचल में भूकंप रोधी निर्माण की बेहद सख्त जरूरत है. हिमाचल में जो अनियोजित निर्माण हुआ है, उसका ऑडिट किया जाना चाहिए. स्कूलों, कॉलेजों व यूनिवर्सिटी में भूकंप से बचाव के लिए नियमित अंतराल पर मॉक ड्रिल होनी चाहिए. भूकंप आने की स्थिति में सबसे अधिक सजग संबंधित जिला के प्रशासन को होना चाहिए. चूंकि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, लिहाजा यहां राहत व बचाव कार्य में मुश्किलें आती हैं. ऐसा ढांचा पहले से मौजूद होना चाहिए जो आपदा आने पर तुरंत सक्रिय हो सके.

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