शिमला: देश की रक्षा के लिए सैनिक तैयार करने वाले प्रदेश की जवान जड़ों को चिट्टा, चरस और कैमिकल नशा खोखला कर रहा है. लाहौल स्पीति को छोड़कर प्रदेश का हर जिला संवेदनशील हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में नशा तस्करी के 3,360 मामले सामने आए हैं और 10 सालों में नशा तस्करी या एनडीपीएस के तहत दर्ज मामलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
10 सालों में दर्ज हुए NDPS के मामले
साल 2009 में NDPS एक्ट के तहत कुल 473 मामले दर्ज किये गए थे, जो 2010 में बढ़कर 596 हो गए थे. साल 2011 में 570, 2012 में 513, साल 2013 में 530, साल 2014 में 644, साल 2015 में 622, साल 2016 में 929, साल 2017 में 1010, साल 2018 में ये आंकड़ा 1342 और साल 2019 में 1282 तक पहुंच चुका है.
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इन जिलों में हो रहा सबसे ज्यादा तस्करी
प्रदेश के चार जिलों में नशे का काला कारोबार ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है ...ये जिले हैं- कांगड़ा, ऊना, शिमला और कुल्लू. ऊना और कांगड़ा पंजाब बॉर्डर के साथ लगते हैं. यहां बाहरी नशा माफिया के हौसले ज्यादा बुलंद हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा जिला ऊना पर अगर नजर डालें तो यहां पर चिट्टे का चलन ज्यादा है. सिर्फ चिट्टा तस्करी के मामलों पर ध्यान दें तो जनवरी 2018 से लेकर जून 2019 तक पुलिस में 54 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, कांगड़ा जिला में 2018 में नशा तस्करी के 270 मामले रजिस्टर हुए जिसमें 42 महिलाओं समेत 311 लोगों को जेल हुई, इसमें 285 हिमाचली तो 26 लोग बाहरी राज्यों के थे.
चरस के लिए दुनिया भर में कुख्यात कुल्लू जिला की बात करें तो 2018 में यहां पर 62 मामलों में 67 किलो से ज्यादा चरस पकड़ी गई थी और वहीं 2019 में 30 मई तक ही 65 मामलों में 39 किलोग्राम चरस पकड़ी गई. वहीं, साल 2018 और 2019 में पुलिस द्वारा बरामद नशे की मात्रा पर नजर दौड़ाई जाए, तो आंकड़े साफ तौर पर इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष प्रदेश में नशे के व्यापार ज्यादा हुआ है.