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डीजीपी और कारोबारी के बीच विवाद में अब एएसपी रैंक का अफसर करेगा जांच, अदालत का मीडिया ट्रायल से भी बचने का आदेश

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 3:26 PM IST

Himachal High court on DGP-Nishant Sharma Dispute: डीजीपी और कारोबारी विवाद मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने आदेश दिए कि मामले की जांच अब एएसपी रैंक का अफसर करेगा. साथ ही अदालत ने मीडिया ट्रायल से भी बचने के आदेश दिए. पढ़िए पूरी खबर...

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शिमला: हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू व पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा के मामले में अब जांच का जिम्मा एएसपी रैंक के अफसर को दिया जाएगा. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कई आदेश पारित किए. हाईकोर्ट ने कारोबारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के नए सिरे से निर्देश दिए. एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने अदालत को भरोसा दिलाया कि निशांत शर्मा की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा. फिलहाल, कारोबारी के साथ सुरक्षा के लिए दो कांस्टेबल तैनात किए गए हैं. जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी.

हाईकोर्ट में एसपी कांगड़ा की तरफ से रखी गई स्टेट्स रिपोर्ट के बाद अब अगली सुनवाई 4 दिसंबर को तय की गई है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब एएसपी रैंक का अफसर जांच करेगा. अदालत ने मीडिया ट्रायल से बचने के भी निर्देश दिए. मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कुछ सवाल उठाए थे. कोर्ट मित्र का कहना था कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी कारोबारी को धमकी देने वालों का सुराग नहीं लग पाया है. अदालत ने ये भी कहा कि स्टेट्स रिपोर्ट की फोटो कॉपी जमा की जाए. अगली सुनवाई में स्टेट्स रिपोर्ट पर भी अदालत का रुख सामने आएगा.

उल्लेखनीय है कि पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने डीजीपी को मेल लिखकर उनसे कुछ सवाल किए थे. आरोप है कि डीजीपी कारोबारी को शिमला बुला रहे थे. इसी संदर्भ में निशांत ने मेल लिखी थी. उसके बाद डीजीपी ने निशांत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. डीजीपी का कहना था कि कारोबारी की मेल में उन पर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं. उधर, कारोबारी निशांत का भागसूनाग में रास्ता रोककर धमकी देने का मामला सामने आया था. इस मामले में कांगड़ा पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज कब्जे में ली है. दो लोगों के खिलाफ एफआईआर भी हुई है.

निशांत का 27 अक्टूबर को भागसूनाग में रास्ता रोका गया था. उसकी शिकायत 28 अक्टूबर को की गई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई. उसके बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कहीं जाकर एफआईआर हुई. अदालत ने सख्त टिप्पणी की थी कि डीजीपी की शिकायत पर तुरंत प्राथमिकी हुई थी, लेकिन कारोबारी ने अपनी जान को खतरा बताया और पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. फिलहाल, मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को तय की गई है.

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