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जयराम के 'दरबार' में शामिल हुए 3 मंत्री, यहां जानें तीनों का राजनीतिक सफर

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Published : Jul 30, 2020, 1:42 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 4:03 PM IST

गुरुवार को जयराम सरकार के मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ. नूरपुर से विधायक राकेश पठानिया, घुमारवीं से विधायक राजेंद्र गर्ग और पांवटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी को राज्यपाल ने गोपनीयता की शपथ दिलाई. फिलहाल नए मंत्रियों को अभी मंत्रालय नहीं सौंपे गए हैं. मंत्रालयों की घोषणा आज शाम तक हो सकती है.

डिजाइन फोटो
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शिमला: लंबे समय से खाली चल रहे जयराम सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार गुरुवार को हुआ. कैबिनेट में तीन नए चेहरे शामिल हुए, जिसमें नूरपुर से विधायक राकेश पठानिया, घुमारवीं से विधायक राजेंद्र गर्ग और पांवटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी ने राजभवन में मंत्री पदों की गोपनीयता की शपथ ली.

पीटरहॉफ में गुरुवार सुबह राज्यपाल ने तीनों मंत्रियों को शपथ दिलाई. प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 12 सदस्य हो सकते हैं. मगर मंत्रिमंडल में लंबे समय से तीन पद खाली चल रहे थे. हालांकि सरकार के गठन के वक्त मंत्रिमंडल में सभी 11 सदस्यों को शपथ दिलाई गई थी, लेकिन इसके बाद लोकसभा चुनाव में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री किशन कपूर चुनाव जीतने के बाद संसद पहुंचे. वहीं, ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा से पार्टी ने पुत्र मोह के चलते मंत्री पद छीन लिया. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद ये मंत्रालय भी खाली हो गया. नतीजतन मंत्रिमंडल में तीन पद खाली हो गए थे, जिन्हें लंबे समय से भरने की कवायद जारी थी. फिलहाल नए मंत्रियों को अभी मंत्रालय नहीं सौंपे गए हैं. मंत्रालयों की घोषणा आज शाम तक हो सकती है.

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राकेश पठानिया थे मंत्री पद की रेस में सबसे आगे

नुरपूर से विधायक राकेश पठानिया मंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे. विधानसभा क्षेत्र नूरपुर से तीन बार विधायक रहे राकेश प‍ठानिया ने पहली बार मंत्री पद की शपथ ली है. 15 नवंबर 1964 को नूरपुर के लदौड़ी गांव में जन्‍मे राकेश पठानिया ने 1991 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. इस दौरान वह जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष, प्रदेश सचिव किसान मोर्चा व प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य रहे. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में राकेश पठानिया ने 1996 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में उपचुनाव लड़ा. इस चुनाव में राकेश पठानिया एक हजार मतों से हार गए. उस समय नरेंद्र मोदी प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे और उन्होंने राकेश पठानिया को चुनावी मैदान में उतारा था.

राकेश पठानिया, नूरपुर विधायक

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में राकेश पठानिया नूरपुर से चुनाव जीत कर पहली बार विधायक बने उस समय वह पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष थे. 2003 में वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. सत महाजन से चुनाव हार गए. वहीं, 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. इस दौरान उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर से नूरपुर विस सीट से विधायक का चुनाव जीता.

सुखराम चौधरी, पांवटा साहिब विधायक

सुखराम चौधरी भी थे मजबूत कैंडिडेट

पांवटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी भी मंत्री पद की रेस में आगे चल रहे थे. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की परंपरागत सीट पांवटा साहिब से पहली बार बीजेपी को जीत दिलाई थी. इसके बाद वो पूर्व धूमल सरकार में सीपीएस रहे, लेकिन सिरमौर जिला से डॉ. राजीव बिंदल के विधानसभा अध्यक्ष बनते ही सुखराम को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई. अब जब मंत्रीमंडल में विस्तार हुआ और बिंदल के पार्टी पदेश अध्यक्ष से इस्तीफा देने के बाद सिरमौर के हिस्से में मंत्री पद की जगह खाली थी. इसके चलते सुखराम चौधरी को मंत्री पद मिला.

राजेंद्र गर्ग, घुमारवीं विधायक

जेपी नड्डा के खास राजेंद्र गर्ग भी बने मंत्री

घुमारवीं से विधायक राजेंद्र गर्ग का मंत्री पद में जगह बनाना सबके लिए चौंकाने वाला फैसला रहा. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र गर्ग ने पहली बार बीजेपी के टिकट पर घुमारवीं विधानसभा से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में वह कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र धर्माणी से हार गए थे. वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया और उन्होंने इस बार अपने प्रतिद्वंदी राजेश धर्माणी को हराकर पहली बार विधायक का चुनाव जीता. राजेंद्र गर्ग को बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का खास माना जाता है. वहीं, राजेंद्र गर्ग लंबे समय तक संघ के कार्यकर्ता भी रहे हैं.

Last Updated :Jul 30, 2020, 4:03 PM IST

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