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महेश्वर सिंह के निर्दलीय नामांकन से दिलचस्प हुई कुल्लू की जंग, बीजेपी को हो सकता है नुकसान

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Published : Oct 25, 2022, 5:11 PM IST

Updated : Oct 25, 2022, 7:45 PM IST

कुल्लू विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी को भारी नुकसान उठना पड़ सकता है. बीजेपी हाईकमान ने बीजेपी प्रत्याशी महेश्वर सिंह का टिकट काट कर नरोत्तम ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में महेश्वर सिंह भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भर सकते हैं. उधर, बीजेपी नेता राम सिंह ने बगावत करके निर्दलीय ही पर्चा दाखिल कर दिया है.

Maheshwar Singh
महेश्वर सिंह

कुल्लू:विधानसभा सीट कुल्लू पर आखिर भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. भाजपा हाईकमान ने आखिरी वक्त पर महेश्वर सिंह का टिकट काटकर नरोत्तम ठाकुर को टिकट दिया है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कुल्लू विधानसभा सीट पर भाजपा हाईकमान के इस निर्णय से पार्टी को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है, क्योंकि महेश्वर सिंह हिमाचल की राजनीति में एक जाना माना नाम है. (Maheshwar Singh ticket cut) (Narotam Thakur BJP Candidate)

क्यों कटा महेश्वर सिंह का टिकट-दरअसल बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में महेश्वर सिंह का नाम शामिल था. लेकिन कुल्लू जिले की बंजार सीट से महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह भी बीजेपी का टिकट मांग रहे थे. टिकट ना मिलने पर हितेश्वर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया. खबर है कि इस बीच महेश्वर सिंह को जिम्मेदारी दी गई कि वो बेटे को चुनाव ना लड़ने के लिए मना लें. कुल्लू के एक निजी होटल में 22 अक्टूबर को बैठक रखी गई जिसमें महेश्वर सिंह के साथ सीएम जयराम ठाकुर भी थे. हितेश्वर सिंह को भी बुलाया गया था लेकिन वो इस मीटिंग में नहीं पहुंचे. हितेश्वर सिंह की पत्नी विभाग मीटिंग में मौजूद रही. जिसके बाद से ही महेश्वर सिंह की टिकट पर तलवार लटकने लगी और आखिरकार नामांकन के आखिरी दिन बीजेपी ने महेश्वर सिंह की जगह नरोत्तम ठाकुर को अपना प्रत्याशी बना दिया.

हिमाचल की राजनीति में महेश्वर सिंह का लंबा चौड़ा इतिहास.

महेश्वर सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा है. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है. अगर महेश्वर सिंह ने नामांकन वापस नहीं लिया तो बीजेपी के लिए कुल्लू की डगर मुश्किल हो सकती है. महेश्वर सिंह साल 1972 में कुल्लू नगरपालिका के सदस्य बने थे और जनता पार्टी विधायक दल के भी महासचिव रहे हैं. महेश्वर सिंह प्रदेश भाजपा का भी दायित्व दो बार संभाल चुके हैं. महेश्वर सिंह साल 1977 में पहली बार वे विधायक चुने गए थे. साल 1982 में दोबारा विधायक बने और साल 1989 में लोकसभा के सदस्य चुने गए. उसके बाद साल 1999 में फिर लोकसभा का चुनाव भी महेश्वर सिंह ने जीता.

हिमाचल की राजनीति में महेश्वर सिंह का लंबा चौड़ा इतिहास.

इससे पहले महेश्वर सिंह साल 1992 में राज्यसभा सदस्य भी चुने गए थे. वहीं साल 2012 के चुनावों में भी महेश्वर सिंह को राजनीतिक उठापटक का शिकार होना पड़ा था. उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया था. साल 2012 में ही महेश्वर सिंह ने हिलोपा का गठन किया था और हिलोपा के बैनर तले चुनाव लड़कर कुल्लू विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. साल 2017 के विधानसभा चुनावों में हिलोपा का भाजपा में विलय कर दिया गया था और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार सुंदर ठाकुर से महेश्वर सिंह हार गए थे.

पढे़ं-कुल्लू विधानसभा सीट: बीजेपी नेता राम सिंह ने भी की बगावत, आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कूदे

बीजेपी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें-महेश्वर सिंह की कुल्लू में अच्छी खासी पैठ है. बताया जा रहा है कि महेश्वर सिंह अपने समर्थकों के साथ बैठक करने में जुटे हुए हैं और समर्थकों के साथ बैठक के बाद कोई फैसला लेंगे. अगर महेश्वर सिंह आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ते हैं, तो इससे कुल्लू विधानसभा में भाजपा भाजपा को खासा नुकसान हो सकता है, क्योंकि महेश्वर सिंह कुल्लू के ग्रामीण इलाकों में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं.

Last Updated :Oct 25, 2022, 7:45 PM IST

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