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संस्कृत महाविद्यालय को डिनोटिफाई कर राजीव गांधी डे- बोर्डिंग स्कूल खोलने की तैयारी: पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर

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Published : Mar 9, 2023, 1:43 PM IST

पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने सुखविंदर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मनाली के साथ लगते जगतसुख में संस्कृत महाविद्यालय डिनोटिफाई करना सही कदम नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां पर उसकी जगह राजीव गांधी डे- बोर्डिंग स्कूल खोलने की तैयारी की जा रही है.

गोविंद ठाकुर ने साधा निशाना
गोविंद ठाकुर ने साधा निशाना

कुल्लू:जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते जगतसुख में पूर्व भाजपा सरकार के समय में एकमात्र सरकारी संस्कृत महाविद्यालय खोला गया था. वहां पर छात्रों ने शिक्षा लेनी भी शुरू कर दिया था, लेकिन बीते दिनों मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अन्य शिक्षण संस्थानों के साथ संस्कृत महाविद्यालय को भी डिनोटिफाई कर दिया.

देवी- देवताओं की भाषा संस्कृत:ढालपुर में पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देवी- देवताओं की भाषा संस्कृत है और वेदों पुराणों की भाषा भी संस्कृत ही है. संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं की जागरूकता बढ़ाने के लिए संस्कृत महाविद्यालय खोला गया था. वहां स्टाफ की भी व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा इस सत्र में छात्रों की संख्या में भी वृद्धि होनी थी, लेकिन सरकार ने उसे बंद कर संस्कृत विरोधी होने का प्रमाण किया है.

राजीव गांधी डे- बोर्डिंग स्कूल खोलने की तैयारी:पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि अब पता चला है कि जहां पर यह संस्कृत महाविद्यालय खोला गया था वहां पर आवर राजीव गांधी डे- बोर्डिंग स्कूल खोले जाने की प्रक्रिया सरकार के द्वारा की जा रही है, जबकि पहले यह तय किया गया था कि राजीव गांधी डे- बोर्डिंग स्कूल के लिए अलग से भूमि का चयन किया जाएगा. इस तरह से संस्कृत महाविद्यालय को बंद करना बिल्कुल भी सही नहीं है. पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में यह बयान भी जारी किया था कि अगर एक भी बच्चा पढ़ने वाला होगा तो मैं उसके लिए भी स्कूल खोल कर दूंगा.

संस्कृत महाविद्यालय की फिर से बहाली होना चाहिए: लेकिन अब कांग्रेस सरकार अपने ही वरिष्ठ नेताओं की बात को भूल रही और इससे हिमाचल प्रदेश के हजारों छात्रों का भविष्य भी खराब हो रहा है. ऐसे में छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार को जगतसुख में खोले गए संस्कृत महाविद्यालय को फिर से बहाल करना चाहिए.

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