धर्मशाला:हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन समारोह में कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने जैविक और प्राकृतिक खेती को भारत की प्राचीन कृषि पद्धति बताया. साथ ही प्रयोगशाला से शोध खेतों तक लाने की बात कही. इस सम्मेलन में देश भर से 250 कृषि विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने भाग लिया.
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने "पारिस्थितिक, आर्थिक और पोषण सुरक्षा के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती" जैसे महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए विश्ववद्यालय को बधाई दी. उन्होंने कहा देशभर से जैविक खेती के क्षेत्र में विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों के ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान होने से कृषि और किसानों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होगा.
उन्होंने कहा सम्मेलन में तीन दिनों के मंथन के बाद कृषि वैज्ञानिकों की संतुतिओं का लाभ सरकार और किसानों को प्रत्यक्ष रुप में होगा. भारत में खेतीबाड़ी बहुत प्राचीन पद्धति है और हमारे पूर्वज बिना रासायनों, कीटनाशकों और पशुधन के साथ जैविक और प्राकृतिक खेती करते थे. प्राकृतिक और जैविक खेती कोई नई अवधारणा नहीं है, बल्कि भारत में हजारों वर्षों से इसी अवधारणा से खेतीबाड़ी होती रही हैं. कृषि विश्वविद्यालय और कृषि अनुसंधान केंद्र हमारे लिए कृषि वैज्ञानिकों की नर्सरी है.