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साल 1888 में अंग्रेजों ने कराया था हमीरपुर तहसील भवन का निर्माण, प्राचीन महत्व के साथ आकर्षण का केंद्र भी है यह इमारत

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Published : Sep 3, 2021, 4:58 PM IST

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फोटो.

ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1888 में अंग्रेजों ने हमीरपुर तहसील भवन का निर्माण कराया था. इस भवन में आज भी प्रशासनिक कार्य निपटाए जाते हैं. तहसील भवन प्रचान महत्व के साथ-साथ लोगों के लिए आकर्षण का भी केंद्र है. शुक्रवार को ईटीवी भारत ने भवन के इतिहास को टटोला.

हमीरपुर: अंग्रेजों के समय में बने ऐतिहासिक भवनों में आज भी प्रशासनिक कामकाज चल रहे हैं. जिले के तहसील भवन में आज भी लोगों के भूमि एवं राजस्व संबंधी कामकाज निपटाने का कार्य किया जाता है. यह ऐतिहासिक भवन अपने भीतर लंबा इतिहास संजोये हुए है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान अंग्रेजों ने हमीरपुर में जो तहसील बनाई थी, आज भी उसी तहसील भवन से भूमि एवं राजस्व रिकॉर्ड संबंधित सारे कामकाज निपटाए जा रहे हैं. यह तहसील भवन प्राचीन महत्व के साथ आकर्षण का केंद्र भी है. ईटीवी भारत की टीम ने शुक्रवार को भवन मे जाकर इतिहास को टटोला और वर्तमान तहसीलदार डॉ. अशोक पठानिया से भी इस विषय पर विस्तृत बातचीत की.


तहसीलदार डॉ. पठानिया ने कहा कि साल 1888 में हमीरपुर तहसील भवन बनाया गया. पूर्व में हमीरपुर के पांचों उपमंडलों के अलावा ऊना जिला की बंगाणा तहसील का क्षेत्र भी हमीरपुर तहसील के अंतर्गत आता था. वर्ष 1972 में हमीरपुर जिले के पुनर्गठन के समय, इसमें बड़सर और हमीरपुर केवल दो तहसील ही थीं.

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वर्तमान में जिले में हमीरपुर, बड़सर, नादौन, भोरंज, सुजानपुर टीहरा, बमसन स्थित टौणी देवी, ढटवाल स्थित बिझड़ी और गलोड़ नामक 8 तहसीलें और लंबलू, कांगू व भोटा नामक तीन उप तहसीलें हैं. वर्तमान में हमीरपुर तहसील के अंतर्गत 35 पटवार सर्किल और 362 राजस्व गांव शामिल हैं.


आपको बता दें कि अंग्रेज शासकों ने हमीरपुर शहर में वर्ष 1888 में तहसील भवन बनाया था. उस दौर में हमीरपुर के पांचों उपमंडलों के अलावा ऊना जिले की बंगाणा तहसील का क्षेत्र भी हमीरपुर तहसील के अंतर्गत आता था. 1980 में सुजानपुर टीहरा, नादौन और भोरंज उप तहसीलों का गठन किया गया. 1991 की जनगणना में नादौन और भोरंज तहसील बना दी गईं.

हमीरपुर जिले के इतिहास पर एक नजर डालें तो राजा संसार चंद ने साल 1775 से 1823 तक यहां पर शासन किया. इसके बाद अंग्रेज शासकों ने कांगड़ा जिले का गठन किया. जिसमें हमीरपुर, कुल्लू और लाहौल-स्पीति के क्षेत्रों को भी शामिल किया गया. वर्ष 1846 में कांगड़ा के कब्जे के बाद नादौन को तहसील मुख्यालय बनाया गया था. इस समझौते को साल 1868 में संशोधित किया गया और परिणाम स्वरूप तहसील मुख्यालय नादौन से हमीरपुर में स्थानांत्रित कर दिया गया.

साल 1888 में हमीरपुर और कांगड़ा के कुछ क्षेत्रों का विलय करके पालमपुर तहसील का गठन किया गया. एक नवंबर 1966 को पंजाब के पुनर्गठन तक हमीरपुर पंजाब प्रांत का एक हिस्सा बना रहा. जिसे पंजाब के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया. एक सितंबर 1972 को सम्मिलित किए गए क्षेत्रों और जिलों के पुनर्निर्माण के परिणाम स्वरूप हमीरपुर और बड़सर दो तहसीलों के साथ हमीरपुर का एक अलग जिले के रूप में गठन गया.

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